बालोद/डौंडी.पूर्व माध्यमिक शाला आमाडुला में पढ़ाई के दौरान छात्राओं के बेहोश होने का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। इस घटना के 21 दिनों बाद भी स्थिति जस की तस है। शुक्रवार को तो बच्चियां अजीब सी हरकत करने लगीं। सुबह एक बच्ची बेहोश हो गई। वहीं स्कूल की छुट्टी के पहले 6 छात्राएं मूच्र्छित होकर गिर पड़ीं, तो छुट्टी होने के बाद एक छात्रा जोर से चिल्लाती हुई कक्षा से बाहर निकली और रोती हुई छात्रा नम्रता हांफने लगी, पूछने पर बताया कि एक बुढिय़ा उसे पीठ पर लकड़ी से मारा, पर जब चिकित्सकों ने जांच की तो उसके पीठ पर कोई निशान नहीं दिखा और न ही कक्षा में कोई मिला।
वास्तविक कारण नहीं आया सामने
ब्लॉक मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम आमाडुला के स्कूल में इस तरह की अजीबोगरीब घटना का कारण पता नहीं चल पा रहा है। इसमें चिकित्सकों की नजर में हो, चाहे धार्मिक और अंधविश्वास में पर कोई भी इसका वास्तविक कारण अब तक सामने नहीं आया है। मामले में ग्रामीणों व पालकों का दावा है कि यह भूत-प्रेत की बाधा है। वहीं डॉक्टरों की टीम ने इस बात को नकारते हुए जांच के बाद कहा है कि बच्चियों के मन में डर की भावना बैठ जाने और ब्लडप्रेशर कम होने के कारण बेहोश हो रही हैं।
अधिकारियों के सामने चिकित्सा टीम ने की बच्चों की जांच
स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग और डॉक्टरों की टीम शुक्रवार की सुबह से ही स्कूल पहुंच गए थे। विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेन्द्र ठाकुर अपनी टीम के साथ आमाडुला उप स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे, उनके साथ सहायक नेत्र चिकित्सक आरके लारेन्द्र, छत्रपाल साहू, लैब टेक्नीशियन लक्ष्मण सिंह चन्द्राकर, विकासखंड प्रशिक्षण अधिकारी केएल कृपाल, बीपीएम ईश्वर चन्द्राकर, आरएचओ आरके लारेन्द्र, एएनएम विद्या कोमरे, स्टॉफ नर्स शशि साहू थे। जो उपस्वास्थ्य में कैम्प लगाकर छात्राओं के आंखों की जांच की तथा रक्त परिक्षण कर हिमोग्लोबिन जांची।
बेहोश छात्राओं को ओआरएस घोल पिलाने की सलाह
जहां कक्षा 6वीं की दो छात्रा भुनेश्वर
व रचना के शरीर में हिमोग्लोबिन 8 ग्राम पाया गया इन्हें दवाइयां दी गई।
कैम्प में 39 का नेत्र तथा रक्त परिक्षण किया गया। इसमें से 29 छात्राएं
आश्रम में रहती हैं तथा 10 छात्राएं घर से शाला आती हैं। इस दौरान डॉ. नरेन्द्र ठाकुर ने बेहोश होने की स्थिति में छात्राओं को ओआरएस घोल पिलाने को कहा, जिससे ब्लड प्रेशर सामान्य हो सके। डॉक्टरों की टीम ने मध्याह्न भोजन का भी परिक्षण किया और छात्र-छात्राओं से भोजन के बारे में जानकारी ली। छात्र-छात्राओं ने बतलाया कि मध्याह्न भोजन अच्छा मिलता है जहां सभी भर पेट भोजन करते हंै।
डर भगाने कई तरह की दी जानकारी, हरी सब्जियां खाने पर जोर
टीम के साथ आए विकासखंड प्रशिक्षक अधिकारी केएल कृपाल ने कक्षा 6वीं के छात्र-छात्राओं को मनोचिकित्सा की जानकारी दी। कृपाल ने छात्र-छात्राओं के मन में चल रहे डर को भगाने के लिए कई तरह की जानकारी दी तथा उन्हें बतलाया गया कि भूत-प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती। इस तरह डर कर या एक-दूसरे को देखकर बेहोश होना भी मानसिक सोच का कारण हो सकता है। जैसे एक सहेली बेहोश होती है तो दूसरी को भी लगता है कि मुझे भी कुछ हो रहा है और वह भी उसी तरह बेहोश हो जाती है। डॉ. ठाकुर द्वारा सभी बच्चों को गाजर, मूली तथा हरे पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह दी गई। सुबह एक छात्रा रीतू बेहोश हुई थी तथा शाम को छुट्टी के समय कामिनी, कविता, गायत्री, कुन्ती, रीतू व केसरी भी बेहोश हो गई।
अधिकारियों के सामने ही छात्राएं हो गईं बेहोश
इस दौरान छात्राओं का ब्लड प्रेशर कम था। डॉक्टरों ने ब्लड प्रेशर कम होने को कारण मानते हुए बेहोश होने का अनुमान लगाया है।
पत्रिका में खबर छपने के बाद शिक्षा विभाग स्कूल की घटना और बच्चियों के स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय हुआ है। पूर्व माध्यमिक शाला आमाडुला में बेहोश हो रही छात्राओं की सुध लेने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी आरआर ठाकुर ने एबीओ शैलेश कुमार देवांगन, बीआरसीसी सुन्दर राम मरकाम व संकुल समन्यवक डीएस निर्मलकर को भेजा। ये सभी अधिकारियों ने छात्र-छात्राओं से पूछताछ की तथा डर की भावना को निकालकर स्वस्थ मन से पढ़ाई करने की सलाह दी। शाला की समाप्ति तक रूके अधिकारियों के सामने ही छात्राएं बेहोश हुई तो सभी असमंजस में दिखे।