जिले के डौंडी ब्लॉक को जैविक कृषि ब्लॉक बनाने के लिए कृषि विभाग जुटा हुआ है। इसके लिए 20 गांवों को चयन कर काम शुरू कर दिया गया है।
बालोद. जिले के डौंडी ब्लॉक को जैविक कृषि ब्लॉक बनाने के लिए कृषि विभाग जुटा हुआ है। इसके लिए 20 गांवों को चयन कर काम शुरू कर दिया गया है। वहीं धान के ठूंठ को जलाने की बजाय उसे खाद बनाने के लिए कृषि विभाग ने एक ऐसी दवाई उपलब्ध कराई है जिसके छिड़काव से फसल कटाई के बाद बची ठूंठ (नराई) गल जाएगी। वो भी मात्र 20 रुपए में।
जैविक खाद से तैयार किया जा रहा फसल
जिले में पहली बार विभाग खुद अपनी देख-रेख में ऐसी खाद से फसल तैयार करवा रहा है। वहीं ठूंठ को जलाने की बजाय गलाने का भी यह तरीका पहली बार अपनाया जाएगा। बता दें कि कृषि विभाग पूरे बालोद जिले को जैविक कृषि जिला बनाना चाहता है, जिसके लिए प्रथम चरण में जिले के डौंडी ब्लॉक को जैविक ब्लॉक बनाने की पहल की जा रही है।
20 गांवों का किया गया चयन
इस ब्लॉक के 20 गांवों का चयन कृषि विभाग ने किया है, जहां किसान 400 हेक्टेयर में जैविक खाद से इस साल धान की फसल लेंगे। विभाग इन दिनों किसानों को जैविक कृषि के लिए जागरूक कर रहे हैं, जिसमें से कई किसानों ने सहमति भी जताई है और सेंपल के तौर पर अपने खेतों में जैविक खाद से धान का उत्पादन करने में लगे हुए हैं। विभाग का कहना है यहां सफल होने के बाद पूरे जिले में इस योजना को लागू किया जाएगा।
नई दवाई से सुरक्षित रहेंगे मिट्टी को उर्वरा बनाने वाले जीव
कृषि अधिकारी यशवंत केराम ने बताया जैविक कृषि के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। शासन का सख्त आदेश है कि धान की फसल कटाई के बाद कभी भी फसल के ठूंठ को न जलाया जाए क्योंकि जलाने से जैव मित्र नष्ट हो जाते हैं जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं जमीन के बंजर हो जाने की स्थिति बन सकती है। जिसे देखते हुए कृषि विभाग ने कृषि अनुसंधान रिसर्च सेंटर से मल्टीफ्लाईकेशन नामक जैविक खाद लाया है। यह खाद 20 रुपए के मामूली दाम पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
दवाई छिड़कने के बाद गल जाता है ठूंठ
मिली जानकारी के मुताबिक इस जैविक दवाई का छिड़काव करने से फसल के ठूंठ है वह गल जाता है और खेत में ही सड़ जाता है। पर वर्तमान में किसान फसल कटाई के बाद ठूंठ को जला देते हैं जबकि यह प्रतिबंधित है। विभाग किसानों को इसकी जानकारी दे रहे हैं, पर अभी तक इसका पालन करने की ओर किसान ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ऐसे करना है दवाई का उपयोग
इस जैविक दवाई का उपयोग 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ के साथ घोलना है, फिर घोले गए पानी को 3 दिनों तक रखना है। इसका उपयोग स्पेयर के माध्यम से अपने खेतों में धान की फसल के ठूंठ में छिड़काव करना है। इस जैविक दवाई की खास बात है कि घोले गए 200 लीटर पानी में दवाई को एक ड्रम बनाया जा सकता है।
इस एक ड्रम को 20 ड्रम बना सकते हंै। एक ही डिब्बे की दवाई से पूरे गांव के खेतों में छिड़काव कर सकते हैं। फिलहाल कृषि विभाग इसका उपयोग डौंडी ब्लॉक के खेतों में करने की तैयारी में है। यही नहीं किसानों से भी अपील कर रहे हैं कि इस दवाई का उपयोग कर जैविक कृषि के लिए करें।
हर साल 45 हजार मीट्रिक रसायनिक खाद का उपयोग
विभाग से मिले अनुमानित आंकड़े के मुताबिक जिले के किसान आज भी अपनी फसलों के उत्पादन में जैविक खाद का उपयोग कम, बल्कि हर साल धान की फसलों के लिए रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं। हर साल 45 लाख मीट्रिक टन रासायनिक खाद का उपयोग जिले में होता है।
50 किसान कर रहे हैं जैविक कृषि
बता दें कि जैविक खाद के उपयोग के लिए बीते दिनों कृषि विभाग ने डौंडी ब्लॉक के ग्राम धोबेदंड में 50 किसान जो जैविक कृषि कर रहे हैं उसे यह प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि ठूंठ को जलाने की बजाय दवाई से गलाने का तरीका बताया गया।
फसलों के अवशेष नहीं जलाने दी जा रही सलाह
बालोद जिला कृषि अधिकारी यशवंत केराम ने बताया फसलों के अवशेष को नहीं जलाने की सलाह दी जाती है, पर किसान जला देते हैं जिसके लिए एक विकल्प लाया गया है। किसानों को मामूली दाम पर जैविक दवाई दी जाएगी जिसके उपयोग से ठूंठ को जलाना नहीं पड़ेगा, बल्कि दवाई का छिड़काव कर उसे खेत में ही गला सकते हंै। यह किसानों के लिए काफी उपयोगी है।