यहां की कोर्ट ने एक भारतीय महिला को ब्रिटेन में अपने नौ वर्षीय बेटे के साथ रहने की मंजूरी दे दी है कोर्ट का यह फैसला ब्रिटिश सरकार के लिए एक झटका है।
कहा जाता है कि नकली पासपोर्ट रखने व फर्जी शादियों के धंधे में शामिल होने के लिए 2008 में उसे दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी, बाद में भारत भेज दिया गया था।
खबरों के अनुसार, महिला 2002 में ‘पर्यटक वीजा’ पर पहली बार ब्रिटेन आई और फर्जी शादियां कराने के धंधे में शामिल हो गई। 2003 में उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन तब किसी तरह भारत चली गई।
उसकी गैरहाजिरी में उसे दोषी ठहराया गया। हालांकि 2005 में उसने भारत में एक ब्रिटिश नागरिक से वैध रूप से विवाह किया। इसके बाद नकली पासपोर्ट बनवा ब्रिटेन आने की मंजूरी प्राप्त की।
वर्ष 2006 में उसने एक बेटे को जन्म दिया तथा 2007 में नकली पहचान पर ही स्थायी नागरिकता प्राप्त की, लेकिन 2008 में सच सामने आने पर कोर्ट ने उसे दो वर्ष कैद की सजा सुनाई। सजा पूरी करने के बाद उसे भारत भेज दिया गया, लेकिन बेटा, पिता के पास ही रहा।
महिला ने इसी आधार पर ब्रिटेन लौटने की मांग की थी। जज ने बेटे के पास रहने की मांग वाली 46 वर्षीया महिला की अर्जी स्वीकार कर ली थी, लेकिन ब्रिटेन की गृह मंत्री थेरेसा ने इस आदेश को उच्च अदालत में चुनौती दे दी।
मंगलवार को अपील जजों की पीठ ने थेरेसा के दावे को खारिज कर दिया। कानूनी कारणों से महिला का नाम उजागर नहीं किया गया है,
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