नवजात बच्चे के लिए मां के दूध को अमृत माना जाता है। यूं तो अधिकांश बच्चों को माता का दूध एवं दुलार मिल जाता है,लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जिन्हें यह नहीं मिल पाते। ऐसे बच्चे विषम हालातों से जूझते हैं।
ऐसे बच्चों को मां का दूध मिल जाए तो उनके जीवन की राह आसान होगी। भरतपुर के जनाना अस्पताल में ऐसे नवजातों को अब जल्द ही मां का दूध नसीब होगा। अस्पताल में मदर मिल्क बैंक की स्थापना की कवायद तेज हो गई है।
गुरुवार को इस प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकार ने स्थानीय चिकित्सा अधिकरियों के साथ जनाना अस्पताल का निरीक्षण कर स्थान चयन का चयन किया।
बाद में उन्होंने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहकम सिंह, एनआरएचएम के एईएन भारत भूषण भारद्वाज समेत अन्य कई अधिकारियों से चर्चा की।
यह होगा फायदा
चिकित्सा सूत्रों के अनुसार मदर मिल्क बैंक के माध्यम से नवजात बच्चों की मृत्यु दर को करीब 22 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिलेगी। इससे दूध से वंचित नवजातों को बचाने की संभावना आठ गुणा तक बढ़ सकेगी। इनके अलावा दूध से वंचित बच्चों की बीमारी से रिकवरी भी चालीस प्रतिशत अधिक तेजी से होगी।
आठ माताएं दे सकेंगी एक साथ
मदर मिल्क बैंक में इस तरह की व्यवस्था की जाएगी कि एक साथ आठ माताएं दूध दान कर सकें। मिल्क बैंक के लिए जनाना अस्पताल में स्थान चयन के बाद जल्द जरुरत के हिसाब से निर्माण एवं फेरबदल का काम शुरू कर दिया जाएगा।
बनेगा क्रेडल प्वाइंट
मदर मिल्क बैंक की स्थापना के साथ-साथ जनाना अस्पताल परिसर में ही एक क्रेडल प्वाइंट स्थापित किया जाना भी प्रस्तावित है। अधकारियों ने इसके लिए स्थान देखा है।
जानकारों का मानना है कि वर्तमान में कई लोग अपने अनचाहे नवजात बच्चों को झाडिय़ों में छोड़ जाते हैं जिससे ऐसे बच्चे बहुत कम बच पाते हैं। क्रेडल पाइंट स्थापित होने से ऐसे बच्चों को लोग यहां छोड़ सकेंग, जिससे उन्हें बचाने में मदद मिलेगी। इसका काम करीब एक माह में पूरा हो जाने क संभावना है।
ये कर सकेंगी दूध का दान
ऐसी माताएं यहां दूध का दान कर सकेंगी जो जिनका दूध अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद बच जाता है अथवा जिनके बच्चे को दूध के स्थान पर डॉक्टर फ्लूड देने की सलाह देते हैं। अपने नवजात बच्चे को खो चुकी माताएं भी दूध का दान यहां कर सकेंगी।
इस दूध को लेना तभी संभव हो सकेगा, जबकि उसमें कोई संक्रमण नहीं हो। जिस प्रकार रक्तदान के बाद रक्त की जांच कराई जाती है, ठीक उसी प्रकार बच्चे को पिलाने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह उसके लिएकिसी प्रकार हानिकारक नहीं हो।
मिल्क बैंक में संग्रहित दूध के सैंपल व दान करने वाली माता के रक्त को जांच के लिए भेजा जाएगा। उनमें किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होने पर ही उसे नवजात को दिया जाएगा।