बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या से कावेरी बेसिन के किसानों के हितों की रक्षा के समुचित कदम उठाने का ठोस आश्वासन मिलने के बाद मंड्या जिला कावेरी हित रक्षणा समिति ने पिछले 18 दिन से जारी कावेरी आंदोलन अस्थाई तौर पर वापस ले लिया।
समिति के अध्यक्ष जी. मादेगौड़ा ने शनिवार सुबह इस मसले पर मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या से टेलिफोन पर बातचीत की। मुख्यमंत्री ने समिति की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया जिसके बाद समिति ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी। समिति ने सिद्धरामय्या से फसलों के नुकसान का मुआवजा देने तथा आंदोलन के दौरान किसानों व विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं पर दायर मुकदमे वापस लेने की मांग की। समिति ने कहा है कि यदि सरकार उनकी मांगें पूरी करने में विफल रहती है तो वे दोबारा आंदोलन छेडऩे से पीछे नहीं हटेंगे।
सिद्धरामय्या ने मादेगौड़ा से कहा कि फसलों के नुकसान का मुआवजा देने के लिए अधिकारियों को सर्वेक्षण करने के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र व राज्य के दिशा निर्देशों के अनुसार किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2003 में भी एसएम कृष्णा के शासनकाल में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न होने पर 38 करोड़ रुपए का मुआवजा पैकेज दिया गया था। इस बार भी वे उसी फार्मूले का अनुकरण करेंगे।
मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि तमिलनाडु को कावेरी पानी नहीं छोडऩे का विधानमंडल अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों व अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामले वापस लेने के बारे में सरकार जल्द ही समुचित कदम उठाएगी।
दिन में हुए प्रदर्शन
इस बीच, तमिलनाडु को 6000 क्यूसेक पानी छोडऩे संबंधी अदालत के आदेश के खिलाफ शनिवार को भी विभिन्न संगठनों ने बेंगलूरु-मैसूरु राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन किया और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के पुतले व पोस्टर जलाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानने के सरकार के निर्णय के लिए राज्य सरकार का शुक्रिया अदा किया।
तीन सप्ताह बाद खुले शिक्षण संस्थान
जिले में स्कूल कॉलेज फिर से खुल गए लेकिन केआरएस बांध सहित अन्य संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा जारी है। बांध स्थल पर पर्यटकों के प्रवेश पर 28 सितंबर तक रोक लगाई गई है। जिले में शिक्षण संस्थान तीन सप्ताह से बंद थे।