बेंगलूरु. आजाद भारत में पहली बार किसी राज्य ने अलग झंडे की मांग की है। जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर कर्नाटक में यह मांग उठी है। कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने 9 लोगों की एक कमेटी तैयार की है जो झंडे का डिजाइन तैयार करेगी। केंद्र सरकार ने राज्य की इस मांग को खारिज कर दिया है। केंद्रीय मंत्री सदानंद गौडा ने कहा कि भारत एक राष्ट्र है, इसके दो झंडे नहीं हो सकते। कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है।
इसके अलावा इस कमेटी को नए झंडे के लिए कानूनी दांव-पेंच से जुड़ी रिपोर्ट भी बनानी होगी। जम्मू-कश्मीर को संविधान की धारा-370 के तहत स्पेशल स्टेट्स दिया गया है।
कांग्रेस की राय अलग
इस मसले पर पार्टी की राय सरकार से अलग नजर आ रही है। कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा द्घस्र मैंने इस मसले पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। हमारा सिर्फ एक ही झंडा है और वह है हमारा राष्ट्रीय ध्वज।
थरूर ने रखा अलग विचार
अपना ध्वज रखने के मुद्दे पर कांगे्रस में ही एक राय नजर नहीं आती। पूर्वकेंद्रीय मंत्री
शशि थरूर ने कहा कि यदि तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद राज्य ध्वज के लिए एक निश्चित प्रकिया तय की जाए, तो उन्हें इस संकल्पना में कोर्इ बुराईनजर नहीं आती लेकिन हर हाल में राष्ट्र ध्वज ही सर्वोपरि होना चाहिए।
विघटनवाद को ही बढ़ावा
भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार इस मामले का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है। चुनाव के कुछ महीने पहले एक अलग झंडे की मांग करना इसी मंशा का परिचायक है। केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि राज्य सरकार जनभावनाओं की आड़ लेकर क्षेत्रवाद और अलगाव को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि हमेशा राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। देश में पहलेे से ही कई मुद्दों को लेकर विघटनकारी तत्व हावी हैं, ऐसे मसलों से विघटनवाद को ही बढ़ावा मिलेगा।
संविधान में अनुमति नहीं
संविधान के तहत सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए ही अलग झंडा रखने की अनुमति है। राज्य में इससे पहले ‘कर्नाटक डे’ मनाए जाने के दौरान भी अलग प्रकार का झंडा देखा जाता रहा है। वह झंडा पीले और लाल रंग का हुआ करता था। उसी झंडे को कानूनी रूप देने की कोशिश है।
2012 में भी उठी थी मांग
2012 में राज्य में भाजपा सरकार के समय भी इस तरह की मांग उठी थी। तब राज्य सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा था कि वह कर्नाटक के लिए लाल और पीले रंग के झंडे को नहीं अपना सकती है।
संविधान हमें नहीं रोकता : सीएम
कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने सवाल किया कि क्या संविधान में कोई ऐसा प्रावधान है जो कि राज्य को अपना झंडा रखने से रोकता हो। उन्होंने कहा कि इस मसले का चुनाव से कुछ लेना-देना नहीं है। अगर भाजपा इसका विरोध कर रही है वह सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं कहती कि वह राज्य के झंडे के खिलाफ है।