scriptविश्वकप में चमकी राज्य की बेटियां | Girls in the World Cup | Patrika News

विश्वकप में चमकी राज्य की बेटियां

locationबैंगलोरPublished: Jul 23, 2017 09:15:00 pm

भारतीय महिला टीम की सदस्य वेदा कृष्णमूर्ति और राजेश्वरी
गायकवाड़ इंगलैंड में चल रहे महिला विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट में अपने
जोरदार प्रदर्शन से प्रभावित कर रही हैं

bangalore news

bangalore news

बेंगलूरु. भारतीय महिला टीम की सदस्य वेदा कृष्णमूर्ति और राजेश्वरी गायकवाड़ इंगलैंड में चल रहे महिला विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट में अपने जोरदार प्रदर्शन से प्रभावित कर रही हैं।

राज्य के छोटे से शहर के साधारण परिवार की इन दोनों महिला खिलाडिय़ों ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अहम मुकाबले में शानदार प्रदर्शन कर टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाया था। जहां वेदा ने 45 गेंदों में 70 रन की धुंआधार पारी खेली थी वहीं राजेश्वरी ने अपनी घातक गेंदबाजी से महज 15 रन देकर 5 कीवी महिला बल्लेबाजों को पैवेलियन लौटाया और मैन ऑफ द मैच बनीं।

संघर्ष से भरा शुरुआती सफर
आज इन महिला क्रिकेटरों का चौतरफा गुणगान हो रहा है लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था। चिकमगलूरु जिले के कडूर गांव की वेदा एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती है। जब वह 11 साल की थी तभी क्रिकेट के प्रति जुनून ने उसे बेंगलूरु का राह दिखाया और वह घर परिवार छोड़कर कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिकेट चली आई।

हालांकि, वेदा का परिवार अभी तक इस क्रिकेट अकादमी से परिचित नहीं था लेकिन कोच ने पहले ही दिन वेदा की प्रतिभा को पहचानते हुए कहा दिया था कि यह एक दिन भारतीय टीम में जरूर खेलेगी। वेदा को हर कदम पर साथ देने वाली उनकी बहन वत्सला (39) कहती हैं ‘वह हमलोगों के बिना अकेले 9 महीने तक बेंगलूरु रही। उसके बाद मैं उसका ख्याल रखने के लिए बेंगलूरु चली आई। वे बेहद मुश्किलों से भरे दिन थे। मेरे पिता ने हमारा काफी ख्याल रखा और यह सुनिश्चित करने में लगे रहे कि हमें कोई कमी नहीं हो। मैं जानती हूं कि वेदा ने कितनी कड़ी मेहनत की। मुझे अपनी बहन पर गर्व है।


कोच ने देखते ही कहा था, ये देश के लिए खेलेगी
वेदा के समर्पण और मेहनत की तारीफ करते हुए कोच इरफान सैत कहते हैं ‘मैंने उसमें जबरदस्त प्रतिभा की झलक देखी। उसका हैंड-आई-कॉर्डिनेशन कमाल का था। मैंने उसके अभिभावकों से कहा कि यह अगली करुणा जैन (पूर्व महिला टेस्ट क्रिकेटर) बनेगी। मैंने उसके अभिभावकों से कहा कि इसे पूरा सपोर्ट करें। ठीक उसी समय करूणा भी वहां आ गई और उसने भी वेदा के अभिभावकों से उसे सपोर्ट करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि जब वे राज्य के वरिष्ठ कोच थे तब वेदा को टीम में इसलिए शामिल किया क्योंकि उसका क्षेत्ररक्षण शानदार था। उस समय वह केवल 14 साल की थी। वह काफी फुर्तीली थी और उन्हें विश्वास था कि वह शीर्ष क्रिकेटर बनेगी। आज बस उन्हीं उम्मीदों को पूरा कर रही है।

पिता ने बनाया क्रिकेटर
उसी तरह राजेश्वरी गायकवाड़ (26) जयपुर छोड़कर क्रिकेट का गुर सीखने बेंगलूरु चली आई। राजेश्वरी की मां सविता अपने पति शिवानंद गायकवाड़ को पूरा श्रेय देती हैं जो कि एक सरकारी शिक्षक थे। सविता कहती हैं ‘मेरे पति को क्रिकेट से काफी लगाव था। वे स्थानीय स्तर पर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते थे।

उन्होंने बच्चों को भी क्रिकेट खेलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया। उन्हीं की बदौलत मेरी दोनों बेटियां रामेश्वरी और राजेश्वरी क्रिकेट में अपना कॅरियर बना पाईं। सविता ने कहा कि शुरुआती दिन काफी संघर्षपूर्ण थे। सीमित आय में परिवार के खर्च के साथ ही बेटियों के कोचिंग का खर्च भी उठाना पड़ता था। अगर आज वो जिंदा होते तो अपनी बेटी की सफलता देखकर कितना खुश होते इसका अनुमान नहीं लगा सकते।

ख्याति पर गुरुओं को भी गर्व
राजेश्वरी बीडीई सोसायटी के जिस स्कूल में पढ़ती थी वहां आज जश्न का माहौल है। स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक एचडी मदार कहते हैं ‘हमें इस बात का गर्व है कि हमारे स्कूल की एक छात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उसने अभी तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है और हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वह आगे भी ऐसा ही प्रदर्शन करे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो