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बैंगलोर

स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण करने वाला चौथा देश बना भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को
स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण कर अपनी सफलताओं के इतिहास में एक
नया अध्याय जोड़ दिया

बैंगलोरAug 29, 2016 / 12:05 am

शंकर शर्मा

bangalore news

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बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण कर अपनी सफलताओं के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। इसके साथ ही स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण करने वाले चुनिंदा विकसित देशों में भारत शामिल हो गया है। भारत विश्व का चौथा देश है, जिसने इस इंजन का परीक्षण किया है।

इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बताया कि 12 घंटे की उलटी गिनती के बाद स्वदेशी तकनीक से विकसित सुपरसोनिक कम्बशन स्क्रैमजेट इंजन ने उन्नत तकनीकी वाहन (एटीवी) यानी साउंडिंग रॉकेट आरएच-560 के साथ सुबह 6 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी और अगले 5 मिनट में प्रयोग की सफलता सुनिश्चित कर दी।


रॉकेट की उड़ान के दौरान दो स्क्रैमजेट इंजनों का परीक्षण किया गया। इसरो का यह परीक्षण एयर ब्रीथिंग प्रणोदन प्रणाली के विकास की पहली कड़ी है। एयर ब्रीथिंग प्रणोदन प्रणाली में रॉकेट का इंजन ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन और उसमें दहन पैदा करने के लिए ऑक्सीकारक के तौर पर वायुमंडल से स्वत: ऑक्सीजन प्राप्त करता है। यह तकनीक अंतत: उपग्रहों के प्रक्षेपण लागत में दस गुणा कटौती करने का रास्ता साफ करेगी।


एटीवी की उड़ान भी शत प्रतिशत सफल

इसरो ने कहा है कि स्क्रैमजेट इंजन के साथ लगभग 3277 किलोग्राम वजनी एटीवी की उड़ान शत प्रतिशत सफल रही। इस दौरान रॉकेट बूस्टर में दहन और उसका पूरी तरह जलकर अलग होना, रॉकेट के दूसरे ठोस चरण में दहन पैदा होना, 5 सेकेंड तक स्क्रैमजेट इंजन का कार्यशील रहना और अंत में दूसरे चरण का जलना सब कुछ पूर्व अनुमानों और तय मानदंडों के अनुरूप रहा। लगभग 300 सेकेंड की उड़ान के बाद वाहन श्रीहरिकोटा से लगभग 320 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में आ गिरा।

श्रीहरिकोटा स्थित जमीनी केंद्रों से पूरे उड़ान के दौरान एटीवी पर पल-पल नजर रखी गई। इसरो ने कहा कि इस परीक्षण से कई महत्वपूर्ण तकनीकों के विकास पर सफलता की मुहर लग गई। जैसे सुपरसोनिक गति पर एयर ब्रीथिंग इंजन में दहन पैदा करना, सुपरसोनिक गति पर दहन पैदा होने के बाद लौ को जलाए रखना, इंजन द्वारा श्वसन क्रिया की तरह हवा का उपयोग करना तथा उसमें ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करना जैसी कई प्रणालियों की तकनीक पुख्ता हो गई।

इसरो ने कहा है कि स्क्रैमजेट इंजन का यह पहला लघु अवधि परीक्षण था जिसमें सुपरसोनिक गति यानी,ध्वनि की 6 गुणा अधिक रफ्तार (मैक-6 ) पर इंजन को परखा गया। दो चरणों वाले एटीवी के दूसरे चरण से स्क्रैमजेट इंजन को जोड़ा गया था। प्रक्षेपित किए जाने के बाद जब रॉकेट परीक्षण के लिए अनुकूल स्थितियों में पहुंचा तब स्क्रैमजेट इंजन में दहन पैदा किया गया और यह 5 सेकेंड तक कार्यशील हुआ।

विशिष्ट क्लब में भारत
स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण कर इसरो ने अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की बराबरी कर ली है। नासा ने 2004 में यह परीक्षण किया था। वहीं जापान, चीन, रूस और यूरोपीय देशों में भी इसका परीक्षण शुरुआती दौर में है।

ये होंगे फायदे
इससे रॉकेट का वजन लगभग आधा हो जाएगा। हल्का होने से अंतरिक्ष में अधिक वजनी पे-लोड ले जाने में मदद मिलेगी। प्रक्षेपण लागत दस गुणा तक कम हो जाएगा।

ये है स्क्रैमजेट इंजन

स्क्रैमजेट सुपरसोनिक इंजन है जिसका प्रयोग रॉकेट के वायुमंडलीय चरण के दौरान होता है। इसमें रॉकेट की उड़ान के दौरान दो स्क्रैमजेट इंजनों का परीक्षण किया गया। ईंधन के साथ प्रयोग होने वाले ऑक्सीडाइजर की आवश्यकता नहीं रह जाती। यह इंजन ऑक्सीजन को द्रवित कर सकता है और उसे रॉकेट में संग्रहित कर सकता है।

ऐसे किया परीक्षण
स्कै्रमजेट इंजन को दो स्टेज वाले आएएच-560 रॉकेट में जोड़ा गया। इस रॉकेट को 1970 के दशक में बनाया गया था। जमीन से 11 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट प्रज्वलित हुआ। 6 सेकेंड तक वायुमंडल की ऑक्सीजन का ईंधन जलाने के बाद यह बंगाल की खाड़ी में गिर गया।

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