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अपने परंपरागत पहनावे में बदलाव कर सकता है संघ!

Published: Nov 04, 2015 09:24:00 am

Submitted by:

firoz shaifi

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) अपनी शाखाओं में परंपरागत रूप से पहने जाने वाली ड्रेस अब बदल सकती है। संघ परिवार युवाओं को और ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ड्रेस कोड में बहुत जल्द ही बदलाव करने वाला है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) अपनी शाखाओं में परंपरागत रूप से पहने जाने वाली ड्रेस अब बदल सकती है। संघ परिवार युवाओं को और ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ड्रेस कोड में बहुत जल्द ही बदलाव करने वाला है।

रांची में हाल में हुई बैठक में ड्रेस कोड पर मंथन किया गया है। संघ के प्रचारकों का मत था कि शाखाओं में पहने जाने वाली खाकी हाफ पैंट के स्थान पर ट्राउजर रखा जाए। रांची में संघ के पदाधिकारियों के सामने कुछ स्वयंसेवकों ने ट्राउजर पहनकर इसे प्रदर्शित भी किया है।

सूत्रों के अनुसार ड्रेस को बदलने का मुद्दा अगले साल मार्च में नागपुर में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी उठाया जाएगा। यह सभा सर्वोच्च निर्णायक संस्था है। बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि नए ड्रेस कोड को कैसे लागू किया जाए।

 सूत्रों के अनुसार संघ की 50,000 शाखाएं हैं और हर शाखा में 10 स्वयंसेवक हैं। ऐसे में 5 लाख ड्रेस की जरूरत पड़ेगी। संघ के एक प्रचारक के अनुसार संघ के ऐसे कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या है जो दैनिक शाखाओं में भाग नहीं लेते हैं। उनके लिए भी ड्रेस की जरूरत पड़ेगी। एक बार कोई निर्णय ले लिया जाए तो उसे क्रियान्वित करने में समय तो लगेगा ही।
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आरएसएस की यूनीफॉर्म में आखिरी बार वर्ष 2010 में परिवर्तन किया गया था तब चमड़े की बेल्ट के स्थान पर कैनवास की बेल्ट लागू की गई थी। कैनवास की बेल्ट का अनुपब्लधता के चलते इसे क्रियान्वित करने में दो साल का समय लग गया था।
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 संघ की स्थापना काल 1925 से लेकर 1939 तक संघ की ड्रेस पूरी तरह खाकी थी। 1940 में सफेद शर्ट लागू की गई। 1973 में चमड़े के जूतों का स्थान लॉंगबूट ने लिया। हालांकि रेक्सीन के जूते का भी विकल्प रखा गया था। सूत्रों के अनुसार ड्रेस कोड में बदलाव का कुछ पुराने प्रचारकों ने विरोध भी किया है।