बेंगलूरु. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएन एसएस) ‘नाविक’ श्रृंखला के एक उपग्रह का प्रक्षेपण अगले महीने के तीसरे सप्ताह के दौरान होगा। नाविक श्रृंखला के सात उपग्रहों में से पहले उपग्रह ‘आईआरएन एसएस-1 ए’ की तीनों परमाणु घडिय़ां खराब हो चुकी हैं जिससे वह अपनी उपयोगिता खो चुका है। अब
आईआरएनएसएस-1 ए की जगह
आईआरएनएसएस-1 एच उपग्रह भेजने की तैयारी
कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर चल रही है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक (जनसंपर्क) देवी प्रसाद कार्णिक ने बताया कि नाविक श्रृंखला का एक उपग्रह अगस्त महीने के तीसरे सप्ताह में छोड़ा जाएगा। यह श्रृंखला के पहले उपग्रह की जगह लेगा। इसरो ने नाविक श्रृंखला के लिए आवश्यक सात उपग्रहों के अलावा दो और उपग्रह विकल्प के तौर पर पहले से ही तैयार कर लिया था। उन्होंने बताया कि इस नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण पीएसएलवी सी-39 से किया जाएगा।
दरअसल,
आईआरएनएसएस-1 ए की तीनों परमाणु घडिय़ां इसी वर्ष जनवरी में खराब हो गई जिससे यह उपग्रह नाकाम हो चुका है। श्रृंखला के बाकी सभी उपग्रहों की परमाणु घडिय़ां सामान्य रूप से चल रही हैं। प्रत्येक उपग्रह में तीन घडिय़ां हैं जो स्थानिक आंकड़ें उपलब्ध कराती हैं और यह नेविगेशन प्रणाली के लिए बेहद आवश्यक है।
इसरो का कहना है कि एक उपग्रह के खराब होने के बावजूद नाविक प्रणाली कारगर है। कार्णिक ने बताया कि पीएसएलवी सी-39/
आईआरएनएसएस-1एच मिशन की तैयारियां शुरू हो चुकी है।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (
आईआरएनएसएस) अथवा ‘नाविक’ अमरीका के जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), रूस के ग्लोनास, यूरोप के गैलीलियो तथा चीन के बिदोऊ की तरह है। इसकी सेवाएं जीपीएस से भी बेहतर है। इस बीच इसरो नौवहन प्रणाली में उपग्रहों की संख्या 7 से बढ़ाकर 11 कर इसे विस्तार देने की भी योजना है। गौरतलब है कि श्रृंखला के पहले उपग्रह का प्रक्षेपण जुलाई 2013 में हुआ था जबकि अंतिम उपग्रह 28 अप्रैल 2016 को छोड़ा गया था। प्रत्येक उपग्रह का जीवन काल 10 वर्ष है।