बेंगलूरु. सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के 250 पद शीघ्र भरे जाएंगे। विभाग से स्थानांतरित होकर अन्य विभागों में जाने वाले चिकित्सकों को भी पुन: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में दायित्व निभाने के लिए सूचित किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रमेश कुमार ने यह बात कही।
गुरुवार को विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान सदस्य महालिंगप्पा आयहोले के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सा शुल्क पर नियंत्रण लगाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है। आने वाले दिनों में जो लोग सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा का लाभ लेंगेउन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से चिकित्सा के लिए अनुदान मिलेगा। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सा लेने वालों को यह सुविधा नहीं मिलेगी।
900 चिकित्सकों की जरूरत
उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में विशेष रूप से प्रशिक्षित 900 चिकित्सकों की आवश्यकता है। ये ्रचिकित्सक सरकारी अस्पतालों में कार्य करने को तैयार नहीं हैं। जबकि सरकार ने इन्हें अच्छा वेतन और आवास जैसी सुविधाएं देने को तैयार है। इसके अलावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में नियुक्त कई चिकित्सक अन्य विभागों में लिपिक का काम कर रहे हैं। ऐसे चिकित्सकों को पुन: उनके मूल पद पर नियुक्त किया जाएगा। साथ ही सरकारी अस्पतालों में मौजूदा चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभी ऐसे चिकित्सकों को मासिक 20 हजार रुपए का किराया भत्ता देकर अस्थाई नियुक्ति की जा रही है।
आपातकाल के दौरान ऐसे विशेष चिकित्सकों को सरकारी अस्पतालों में आमंत्रित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेंगलूरु समेत विभिन्न शहरों में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। इसकी रोकथाम के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में डेंगू पीडि़तों को रियायती दरों पर प्लेटलेट्स दी जा रही हैं।