बीमार इतने कि खड़े रहने की जगह नहीं
बारांPublished: Sep 27, 2015 12:27:00 am
आउटडोर में पैर रखने की जगह
नहीं, हाथों में उपचार पर्ची थामें सबसे पहले डॉक्टर को दिखने के लिए मशक्कत करते
महिला-पुरूष, इधर, वार्ड में बैड खाली नहीं
बारां। आउटडोर में पैर रखने की जगह नहीं, हाथों में उपचार पर्ची थामें सबसे पहले डॉक्टर को दिखने के लिए मशक्कत करते महिला-पुरूष, इधर, वार्ड में बैड खाली नहीं, खिड़कियों पर लटकी बोतल, फर्श पर लेटी महिला मरीज को कितना सुकून दे रही है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। यह एक दिन की बात नहीं है, शनिवार को सप्ताह के आखिरी दिन जिला चिकित्सालय का नजारा है, वैसे यहां सप्तासह के प्रथम दिन सोमवार, मंगलवार व बुधवार को अधिक भीड़ रहती है, लेकिन अब शनिवार को भी ऎसे हाल है।
पहली बार इतनी भीड़
सुबह करीब पौने 11 बजे बजे जिला चिकित्सालय भवन का मुख्य प्रवेश द्वार यहां उपचार पर्ची बनवाने के लिए कतार लगी हुई है। दोनों ओर काउंटर होने के कारण भीड़ ठसाठस थी। इससे कुछ कदम आगे बढ़ने पर आउटडोर में पहुंचे तो वहां पैर रखने की भी जगह नहीं, बैंचों पर लोग बैठे है, और एक कक्ष में चिकित्सक को दिखाने के लिए लगी कतार बाहर तक आ रही है।
थक गए तो बैठ गए
आउटडोर में एक और दवा लेने के लिए कतमार में लगे लोग थक कर फर्श पवर बैठकर ही इंतजार रहे थे तो दूसरी ओर आउटडोर से बाहर तक लगी कतार में शामिल बुजुर्ग रोगी खड़े रहने की हिम्मत ना रही तो वे भी बैठे नजर आए। शनिवार सुबह आउटडोर में चिकित्सकों की कमी के कारण वहां गिनती के ही चिकित्सिक मौजूद थे। इससे चिकित्सकों को मरीज देखने एवं मरीजों को दिखाने में समय लग रहा था।
कइयो को लौटना पड़ा निराश
भीड़ के चलते लम्बे इंतजार के बाद भी बारी नहीं आई तो कुछ मरीज व उनके परिजन तो निराश होकर बैरंग ही लौट गए। उनका कहना था कि यहां तो डॉक्टर को दिखना ही भारी पड़ रहा है, ऎसे में गंभीर रोगी आ जाए तो उसकी संभाल होना मुश्किल है। दवा लेने के लिए घंटों का इंतजार और डॉक्टर आउटोडर कक्ष की खाली पड़ी कुर्सिया, उपचार के लिए परेशान होते मरीज और उनके तिमारदार। मौसमी बीमारियों का असर तो अन्य गांव कस्बों व जिलों में भी है, लेकिन यहां जिले का सबसे बड़ा जिला चिकित्सालय मरीजों के दबाव के चलते अव्यवस्थित हो गया है।
फिजीशियन चिकित्सकों की कमी है, एक की नाइट थी तो एक छुट्टी पर थे। लेकिन जो चिकित्सक रहते है, पूरी तरह लगे रहते है। ग्रामीण क्षेत्रों से डेंगू को लेकर ज्यादा हव्वा होने से लोग एहतियात के तौर पर इलाज के लिए पहुंच रहे है, इन्हें देखने में समय तो लगता ही है। कूलर में सोने से सर्दी जुकाम खांसी के रोगी भी पहुंच रहे है। -डॉ. वीरेश बेरिवाल, उपनियंत्रक, जिला चिकित्सालय