scriptधुएं के गुबार में गुल कायदे | Gul rules in a puff of smoke | Patrika News
बाड़मेर

धुएं के गुबार में गुल कायदे

सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान
निषेध महज एक औपचारिकता बना हुआ है। धूम्रपान के शौकीनों के लिए सरकारी कानून-कायदे
के कोई मायने नहीं हैं।

बाड़मेरApr 13, 2015 / 01:18 am

कमल राजपूत

बालोतरा। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध महज एक औपचारिकता बना हुआ है। धूम्रपान के शौकीनों के लिए सरकारी कानून-कायदे के कोई मायने नहीं हैं। वे अपनी मर्जी के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर बेहिचक धूम्रपान करते हैं। कार्रवाई में सक्षम संबंधित विभाग के अधिकारी भी इन्हें टोकाटोकी करना तक उचित नहीं समझते।

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं ऎसा करते पाए जाने पर जुर्माने व सजा का प्रावधान भी है, लेकिन धूम्रपान के शौकीनों के लिए सरकार का यह कानून सिर्फ कागजी शोभा बना हुआ है। कानून से बेफिक्र लोग हर दिन शहर में रेलवे स्टेशन, घंटाघर, नाहटा अस्पताल, रोडवेज बस स्टैण्ड सहित सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी-सिगरेट का सेवन करते हुए सुबह से शाम देखे जा सकते हैं।

रेल-बस में भी
अस्पताल परिसर सहित कई सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेघ के पेम्पलेट भी लगाए गए हैं, लेकिन धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए इसके कोई मायने नहीं हैं। यही हाल अन्य सार्वजनिक स्थलों में भी हर दिन देखे जाते हैं। रेल-बस में सफर के दौरान अन्य मुसाफिरों के ऎतराज जताने पर ये झगड़ा करने तक उतारू भी हो जाते हैं।

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