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बस्तर

निगम में मचा बवाल, जानिए किसने महापौर को बोला नासमझ और बहानेबाज

निगम की राजनीति में पिछले एक सप्ताह से बवाल मचा हुआ है। निगम के दो दिग्गज एक-दूसरे के सामने आरोपों की बंदूक लिए खड़े दिख रहे हैं और निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूक रहे।

बस्तरJan 16, 2017 / 04:48 pm

Ajay shrivastava

nagar nigam jagdalpur Controvrsi

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जगदलपुर. निगम की राजनीति में पिछले एक सप्ताह से बवाल मचा हुआ है। निगम के दो दिग्गज एक-दूसरे के सामने आरोपों की बंदूक लिए खड़े दिख रहे हैं और निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूक रहे। निगम में नेता प्रतिपक्ष संजय पाण्डेय ने एक दिन पहले महापौर जतीन जायसवाल को बहानेबाज से लेकर नासमझ तक कह दिया है और उनके कार्यकाल में हुए काम पर सवाल उठाये। लेकिन इस विवाद की शुरूआत महापौर जतीन जायसवाल ने कांग्रेस के कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर प्रेस कांफ्रेंस से कर दी थी। उन्होंने भाजपा के कार्यकाल में हुए निर्माण को कटघरे में खड़ा किया था। महापौर ने कार्यकाल में बड़ी योजनाओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इसके बाद यह समझा जा रहा था, भाजपा की तरफ से पलटवार जरूर होगा।
nagar nigam jagdalpur Controvrsi


नेता प्रतिपक्ष ने कहा, महापौर जतीन जायसवाल के कार्यकाल को दो साल हो चुके हैं लेकिन वे काम करवाने में फिसड्डी ही साबित हुए हैं। उनके कार्यकाल में एक भी उपलब्धि ऐसी नहीं है जो महापौर गिनवा सके। इसमें भी वे फण्ड नहीं होने का बहाना बनाते रहते है, जबकि हकीकत ऐसी नहीं है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में निगम के पास अलग-अलग मद से 52.75 करोड़ रुपए जमा हुए। विकास कार्यों पर खर्च करने के बाद भी निगम के पास 28 करोड़ रुपए बचे हुए हैं। इसके बाावजूद महापाौर बजट की कमी बता रहे हैं जो सरासर गलत है। इसके अलावा निगम को डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से भी मोटी राशि मिलना है। आवर्धन योजना से शहरवासियों को पानी पिलाया जा रहा है, जबकि महापौर योजना को फेल बता रहे हैं। ऐसा कहना उनकी नासमझी नहीं तो और क्या है।

कोई भी काम नहीं कर पाए, ले रहे उल्टे-सीधे फैसले
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, महापौर अपने कार्यकाल में कोई ऐसा काम नहीं करा सके, जिसे वे उपलब्धि के तौर पर गिनाए। इसके उलट उनके कार्यकाल में लिए गए उल्टे-सीधे फैसलों से निगम को नुकसान ही हुआ है। महापौर ने फ्लैक्स व स्वीमिंग पुल के टेण्डर निरस्त किए जिससे निगम को करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ है। पिछले कार्यकाल में भी में जो काम हुए उसका भी प्रबंधन महापौर नहीं कर सके। भाजपा शासन काल में शापिंग कॉम्पलेक्स बनाया गया पर इन कॉम्पलेक्स में कोई मूलभूत सुविधा आज तक नहीं है। इधर निगम क्षेत्र में जो शौचालय स्वच्छ भारत अभियान से बन रहे हैं वे बेहद ही गुणवत्ताविहीन है।

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इससे पहले 9 जनवरी को कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर महापौर जतीन जायसवाल प्रेस कांफ्रेंस ली थी, जिसमें वे आधे से ज्यादा समय तक पिछले कार्यकालकी खामियां गिनाते रहे। महापौर ने पूरे कार्यकाल को भ्रष्टाचार का पुलिंदा करार दिया था। महापौर ने कहा, स्वीमिंग पुल, गंगामुण्डा तालाब में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। इन मामलों में शिकायत के बावजूद प्रशासन भाजपा सरकार के दबाव में जांच नहीं कर रहा है। यही नहीं निगम की गाडिय़ों में ईंधन में भी मनमानी भ्रष्टाचार हुए। पिछले कार्यकाल में 74 गाडिय़ों के बावजूद औसतन साढ़े तीन लाख लीटर सालाना डीजल खर्च था, जबकि अब 95 गाडिय़ों के काफिले के बावजूद आधा डीजल ही खर्च हो रहा है। जल आवर्धन योजना पूरी तरह फेलियर साबित हो चुकी है। 17 करोड़ की योजना 29 करोड़ की लागत तक पहुंच गई पर पानी का प्रेशर अब भी सही नहीं है।
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