scriptये कैसी नोटबंदी, पैसे के लिए पिता के सामने ही निकल गई नवजात की जान | New born Baby died in Currency ban | Patrika News

ये कैसी नोटबंदी, पैसे के लिए पिता के सामने ही निकल गई नवजात की जान

locationबस्तीPublished: Dec 03, 2016 02:32:00 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

पैसे के लाइन में खड़े रहे परिजन, मात्र 1100 के लिए चली गई मासूम की जान

new born baby death

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बस्ती. देश में नोटबंदी की मार पिता नोट के लिये लाइन में लगा और बेटा जिंदगी व मौत से जूझ रहा था। मेडिकल स्टोर पर डेबिट कार्ड से पेमेंट करने के लिये आग्रह करने में ही दादा के सामने मासूम की जान चली गई। महज 1100 रुपये कैस न होने पर इलाज के अभाव में तीन दिन के मासूम ने दम तोड़ दिया। देश के प्रधानमंत्री कैस लेस से पेमेन्ट करने की लोगों से भले ही अपील कर रहे हों मगर असल में उनके अपील का व्यापारियों और दुकानदारों पर कुछ खास असर होता नहीं दिख रहा। 




नोटबंदी की मार झेल रहे एक पिता जब अपने तीन दिन के मासूम बच्चे के लिये दवा लेने मेडिकल स्टोर पर गये तो उन्होंने ई-पेमेंट करने की कोशिश की और विफल रहें जिससे उनका बच्चा इलाज के अभाव में मर गया। मेडिकल स्टोर वाले ने डेबिट कार्ड या नेट से भुगतान लेने से साफ इंकार कर दिया था। शहर के नवयुग मेडिकल सेंटर पर विश्वनाथ मिश्रा 30 नवंबर को अपनी बहु को लेकर आये जहां उसी दिन आपरेशन से बेटा पैदा हुआ। दो दिन सब कुछ ठीक रहा मगर तीसरे दिन बच्चे की तबियत खराब होने लगी तो डाक्टरों ने इंजेक्शन लगाने की सलाह दी कि बालरोग विशेषज्ञ एसपी चौधरी को दिखा लें। 




देर रात जब बच्चे के पिता व दादा डॉक्टर एसपी चौधरी के पास पहुंचे तो डॉक्टर ने तुरंत दवा और सुई लाने को कहा। पर्ची पर डॉक्टर द्वारा लिखी दवा लेने के लिये पिता नर्सिंग होम में ही मौजूद मेडिकल स्टोर पर गये जहां दवा लेने के बाद वे कार्ड से भुगतान करने को कहे तो दुकान वाले ने साफ मना कर दिया। इसके बाद नेट बैंकिग से पेमेंट करने के लिये कहा तो उस पर भी मेडिकल स्टोर वाला तैयार नहीं हुआ। 




इसके बाद थकहार कर जब मासूम के परिजन अन्य मेडिकल स्टोर पर दवा लेने गये तो वह पता चला कि वह दवा सिर्फ डॉक्टर के नर्सिंग होम पर ही मिलेगी। अंत में मजबूर होकर बच्चे के पिता एटीएम के लाईन में पहुंचे जहां वे जब तक कैस निकाल पाते तब मासूम की सांसे थम गई। भोर तक बच्चे के पिता संतोष एटीएम मशीन के अंदर कैस निकालने नहीं पहुंच सके। महज चंद रूपयों के लिये अपना इमान बेचने वाले डॉक्टरों ने इंसानियत और अपने पेशे को सरेबाजार बेच दिया है। कमीशन की दवा लिखकर डॉक्टर अपनी जेंबे गर्म करते हैं। कार्ड या नेट से पेमेंट करने का सिस्टम अभी सिर्फ हवाहवाई ही है।
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