स्थानीय कृषि उपज मंडी में लम्बे समय से धान सहित अन्य कृषि उपजों की खरीदी बंद है। ऐसे में किसान अपनी उपज औने-पौने दाम में कोचियों को बेचने के लिए मजबूर हैं।
बेमेतरा.स्थानीय कृषि उपज मंडी में लम्बे समय से धान सहित अन्य कृषि उपजों की खरीदी बंद है। जिम्मेदारों की मनमानी का आलम यह है कि कलक्टर व भारसाधक अधिकारी के निर्देश के बावजूद मंडी प्रांगण में खरीदी शुरू करने कोई पहल नहीं की जा रही है। ऐसे में किसान अपनी उपज औने-पौने दाम में कोचियों को बेचने के लिए मजबूर हैं। धान और सोयाबीन पर लगने वाले मंडी टैक्स के रूप में इस 3 करोड़ 76 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है।
लंबे समय से नहीं हो रही खरीदी
गौरतलब हो कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले, इसके लिए व्यापारी कृषि उपज मंडी के माध्यम से किसानों की उपज को खरीदते हैं, जिसके एवज में व्यापारी शासन को तय मंडी शुल्क पटाते हैं। लेकिन मंडी में लम्बे समय से खरीदी नहीं हो पा रही है। परिणाम स्वरूप किसान सीधे व्यापारी या राइस मिलर्स के पास धान व अन्य उपज को लेकर पहुंच रहे हैं, जहां व्यापारी किसानों से मनचाहे दाम पर उनकी उपज को खरीदते हैं।
सौदा पत्रक का दिया जा रहा हवाला
मंडी सचिव लखन लाल वर्मा के अनुसार, व्यापारी व राइस मिल में कृषि उपजों की खरीदी सौदा पत्रक के माध्यम से हो रही है। जहां किसान व व्यापारी दोनों की रजामंदी होती है। सौदा पत्रक के माध्यम से हुई खरीदी पर व्यापारी से मंडी शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन खरीदी सौदा पत्रक में दर्शाई मात्रा के बराबर हुई हो, इसकी निगरानी के लिए मंडी प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है। वहीं मंडी टैक्स चोरी के मामले में गलत तरीके से खरीदी कर रहे व्यापारियों की धर-पकड़ के लिए निगरानी समिति का गठन नहीं किया गया है।
34 राइस मिल, 90 अनाज व्यापारी
जिले में करीब 34 राइस मिल व 90 अनाज व्यापारी हैं। सौदा पत्रक के माध्यम से धान व सोयाबीन की खरीदी पर कितना मंडी शुल्क मिला, बताने को लेकर मंडी के अधिकारी बचते दिखे। स्पष्ट है कि सौदा पत्रक के माध्यम से हुई खरीदी से शासन को मिलने वाला मंडी शुल्क ऊंट के मुह में जीरा के बराबर है।
नोटबंदी व मिलर्स का हड़ताल का बहाना
मंडी सचिव के अनुसार, नोटबंदी व मिलर्स की हड़ताल के कारण खरीदी शुरू नहीं की जा सकी। लेकिन नोटबंदी केे करीब एक माह बाद कैश की समस्या लगभग खत्म हो चुकी है। वहीं मिलर्स की हड़ताल को समाप्त हुए सप्ताह भर से अधिक हो चुका है। ऐसी स्थिति में खरीदी शुरू नहीं करने को लेकर मंडी सचिव के पास कोई बहाना नहीं बचता है।
अपंजीकृत रकबा की उपज पर करोड़ों का खेल
बताना होगा कि बीते सत्र में अपंजीकृत धनहा रकबा की धान खरीदी मंडी के माध्यम से ना होकर सीधे कोचिए व मिलों में हुई थी। जहां मंडी को मिलने वाले करीब 2 करोड़ के राजस्व की क्षति हुई थी। मामला उजागर होने के बाद कलक्टर रीता शांडिल्य के निर्देश पर कृषि उपज मंडी अधिकारी लखन लाल वर्मा ने मंडी परिसर में कृषि उपजों की खरीदी शुरू कराई थी। लेकिन खरीदी कुछ समय चलने के पश्चात फिर से बंद कर दी गई।
1.58 लाख हेक्टेयर में धान बुआई
इस वर्ष जिले में करीब 1.58 लाख हेक्टेयर रकबा में धान की फसल ली जा रही है। जिसमें समितियों में धान बेचने 88081 किसानों ने 1,35,551 हेक्टेयर रकबा का पंजीयन कराया है। ऐसी स्थिति में करीब 22,450 हेक्टेयर रकबा का धान कृषि उपज मंडी में पंजीकृत व्यापारियों के माध्यम से खरीदी होना है। वहीं जिले में करीब 34 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल ली जा रही है। औसतन प्रति हेक्टेयर रकबा में करीब 18 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता हैै।
खरीदी के लिए करेंगे निर्देशित
बेमेतरा भारसाधक अधिकारी विनोद वर्मा ने बताया कि मंडी सचिव को मंडी प्रांगण में खरीदी शुरू करने को लेकर निर्देशित किया जाएगा। सोयाबीन की खरीदी सौदा पत्रक के माध्यम से लगभग पूर्ण होना बताया जा रहा है।