भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी
संघ (भीलवाड़ा डेयरी) में करीब 20 करोड़ रूपए की लागत से स्थापित होने वाले दूध
पाउडर प्लांट के लिए मंगवाई गई आठ करोड़ की मशीनें बेकार हो गई हैं। डेयरी अब दस टन
के बजाय तीस टन पाउडर प्रति माह बनाने की योजना बना रही है। ऎसे में दस माह से पड़ी
मशीनरी पर धूल जमने लगी है, समय रहते इनका उपयोग नहीं हुआ तो उनके कलपूर्जे बेकार
हो जाएंगे।
भीलवाड़ा डेयरी में लगने वाले पाउडर प्लांट के लिए अब नए सिरे से
मशक्कत करनी होगी। इसके लिए राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) से
अनुमति लेनी होगी। इसके लिए कई महिने लग जाएंगे। ऎसे में दस माह से पड़ी इन मशीनों
के बारिश में खराब होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। बताया गया कि एक साइलो टैंक
पहले से ही खराब होने से उसे दूध प्लांट में काम लिया जा रहा है। शेष मशीनें कहां
और कब लगेंगी, यह भी डेयरी और आरसीडीएफ के अधिकारियों को पता नहीं है। डेयरी
अधिकारी यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि निर्माण के लिए ई-टेंडरिंग होगी और यह काम
आरसीडीएफ का है।
नहीं ली अनुमति
पाउडर प्लांट के लिए डेयरी ने राजस्थान
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से अनुमति तक नहीं है, लेकिन आठ करोड़ की मशीनें दस माह
पहले ही मंगवा ली। नियम यह है कि मशीनें से पहले कंसेन्ट टू स्टेबलिस (स्थापना) की
अनुमति लेना आवश्यक है, जो डेयरी ने नहीं ली है।
गहलोत व जोशी ने किया था
शिलान्यास
डेयरी परिसर में 19 सितम्बर 2013 को पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.पी.
जोशी व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दूध पाउडर प्लांट का शिलान्यास किया था। इस
प्लांट के लिए 20 करोड़ रूपए के बजट की घोषणा की गई थी। कांग्रेस सरकार बदलने व
भाजपा सरकार के आने के बाद पाउडर प्लांट के लिए अभी तक बजट नहीं दिया है। इससे पहले
ही डेयरी ने पाउडर प्लांट लगाने के लिए आठ करोड़ की मशीनें मंगवा ली
है।
लापरवाही हो जांच
पशुपालक हित संघर्ष समिति के संयोजक बालूलाल गुर्जर
का कहना है कि डेयरी के पास अन्य निर्माण कार्य के लिए पैसा है, लेकिन पाउडर प्लांट
शुरू कराने में रूचि नहीं है। गुर्जर ने इन मशीनों के खरीद में हुई लापरवाही की
जांच कराने की मांग की।
डेयरी पुन: आवेदन की तैयारी में जुटा
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल
बोर्ड द्वारा भीलवाड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (भीलवाड़ा डेयरी) की कन्सेन्ट
टू ऑपरेट को निरस्त करने के बाद डेयरी प्रबन्धक फिर से आवेदन की तैयारी में जुट गया
है। बोर्ड ने गत 21 मई को डेयरी को चलाने की अनुमति निरस्त कर दी थी।
प्रदूषण
नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों के अनुसार डेयरी चलाने की अनुमति निरस्त होने के
बावजूद डेयरी चलाना गैर कानूनी है। ऎसे में बोर्ड चेयरमैन अर्पणा अरोड़ा ही कोई बीच
का रास्ता निकाल सकती हैं। ऎसा माना जा रहा है कि डेयरी को पहले पुन: संचालन की
अनुमति लेने के लिए आवेदन करना होगा। बाद में ही चेयरमैन आगे की कार्रवाई के लिए
कोई निर्देश जारी कर सकती हैं। इधर, उद्यमियों का कहना है कि किसी भी उद्योग को
प्रदूषण फैलाने पर बन्द कर दिया जाता है तो फिर डेयरी को क्यों नहीं। मामले में
बोर्ड चेयरमैन के निर्णय पर पूरे प्रदेश के उद्यमियों की नजर रहेगी, क्योंकि बोर्ड
से किसी भी आदेश के जारी होने के बाद उसकी पालना कराना व करना आवश्यक
है।
डेयरी एक नजर में
75 हजार पशुपालक जुड़े
850 दुग्ध संग्रह
समितियां
2.25 लाख लीटर दूध की रोज आवक
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल बोर्ड के सदस्य सचिव के.सी.ए. अरूण प्रसाद ने 21
मई को दो अलग-अलग आदेश जारी किए थे। एक में डेयरी को चलाने की अनुमति को निरस्त कर
दिया था। दूसरे आदेश में कोठारी नदी में दूषित पानी छोड़ने तथा प्रदूषण रोकने के
लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाने तथा कानून की पालना नहीं करने के कारण प्लांट को बन्द
करने के निर्देश दिए गए।
आदेश में अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधीक्षण
अभियन्ता को विद्युत सप्लाई काटने को कहा है। साथ ही क्षेत्रीय अधिकारी महावीर
मेहता को ड़ीजी सेट को सील कर क्लोजर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। कोठारी
नदी में दूषित पानी छोड़ने के मामले को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाते हुए
9 अप्रेल के अंक में “नदी को लीलता डेयरी का अपशिष्ट” शीर्षक से समाचार प्रकाशित
किए थे। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मेहता ने डेयरी में लगे इफ्यूलेंट
ट्रीटमेन्ट प्लांट (ईटीपी) सहित अन्य का निरीक्षण किया। डेयरी के पीछे एक नाले के
माध्यम से ईटीपी से छोड़े गए दूषित पानी को देखा था।