scriptपड़ गया अकाल, अब राहत की आस      | Suffered famine, now awaiting relief | Patrika News

पड़ गया अकाल, अब राहत की आस     

locationभीलवाड़ाPublished: Nov 22, 2015 06:24:00 am

गिरदावरी रिपोर्ट में खरीफ फसल में 57 फीसदी खराबा माने जाने के बाद अब अकाल के हालात माने जा रहे हैं

Bhilwara photo

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भीलवाड़ा. गिरदावरी रिपोर्ट में खरीफ फसल में 57 फीसदी खराबा माने जाने के बाद अब अकाल के हालात माने जा रहे हैं। बरसात की कमी से जिले में करीब पांच लाख से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन की ओर से अब अभाग्रस्त गांवों की सूची बनाई जा रही हैं। सभी तहसीलदारों ने उनके क्षेत्रों में हुए खराबे की रिपोर्ट भेज दी है।

इन काश्तकारों को अब आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग के नियमों के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। गत रबी की फसल के दौरान ओलावृष्टि से भी 1185 गांवों को अभावग्रस्त घोषित किया गया था। उस वक्त तीन लाख 72 हजार किसानों में दो सौ करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया। अब बरसात न होने से 16 में से 12 तहसीलों के अधिकांश गांवों में अकाल साफ नजर आ रहा है। अब प्रशासन की ओर से इन गांवों में चारा, पानी की व्यवस्था करना चुनौती बन गया है।

बढ़ेगी परेशानी
ओलावृष्टि के समय 12 तहसीलों के 1185 गांवों में 33 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ था। अब परेशानी यह है कि इन 12 तहसीलों के सभी गांवों में बरसात कम हुई। इस कारण इनमें 57 फीसदी खराबा बताया गया है। इसमें ज्यादा गांव और किसान प्रभावित होंगे। किसानों को छह हजार आठ सौ रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से नुकसान का मुआवजा देने का नियम है, लेकिन इसमें सरकार बदलाव कर सकती है।


प्रशासन को यह करनी होगी व्यवस्था चारा
जिले में 15 लाख पशुधन है। जिले में अभी चारे की कमी है। कृषि एवं पशुपालन विभाग के अनुसार, दिसंबर 2015 तक का ही चारा है। गत अकाल के समय जिले में नौ हजार ट्रक चारा मंगवाना पड़ा था। इसमें भीलवाड़ा डेयरी ने मध्यप्रदेश से चारा मंगवाकर दूध उत्पादक सहकारी समितियों के माध्यम से बंटवाया था।

पेयजल
जिले में 1800 से ज्यादा राजस्व गांव हैं। इसमें एक हजार से ज्यादा गांवों में पेयजल संकट रहेगा। प्रशासन की ओर से गत अकाल में टैंकर के जरिए पेयजल वितरण किया गया था। इस बार भी प्रशासन को टैंकर चलाकर पशुओं व ग्रामीणों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की जाएगी।

गौशाला अनुदान
जिले की 30 से ज्यादा गौशालाओं में करीब दस हजार से ज्यादा पशु पल रहे हैं। इन गौशालाओं को चारा लाने के लिए प्रशासन की ओर से अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह किसानों को अनुग्रह सहायता दी जाएगी। किसानों का आबियाना शुल्क भी माफ किया जा सकता है।
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