भीलवाड़ा । सिंधुनगर में गुरदीप कौर
हत्याकाण्ड में इस्तेमाल किया गया चाकू पुलिस को चक्करघिनी कर दिया है। कोटा से आई
रेस्क्यू टीम के अनुभवी गोताखोरों की नौ घण्टे की मशक्कत गुरूवार को बेकार गई।
तालाब से चाकू बरामद नहीं हो पाया है। सुबह से शाम तक सर्च अभियान चलाकर रेस्क्यू
टीम बैरंग कोतवाली लौट आई। चाकू बरामद नहीं हो पाने से पुलिस पसोपेश में है। आरोपित
को रिमाण्ड अवधि शनिवार को समाप्त हो रही है।
कोटा से आरएसी की रेस्क्यू टीम
पुलिस ट्रक में आधुनिक संसाधनों के साथ तड़के भीलवाड़ा पहुंची। कोतवाली प्रभारी
नेमीचंद चौधरी रेस्क्यू टीम में शामिल हेड कांस्टेबल और तीन सिपाहियों को साथ लेकर
सुबह आठ बजे गांधीसागर तालाब पहुंचे। वहां आरोपित जितेन्द्रपाल को पुलिस अभिरक्षा
में लाया गया। पाल पर जहां रैलिंग टूटी हुई थी, वहां से उसने चाकू फेंकने की तस्दीक
की। उससे जानकारी लेने के बाद उसे वापस थाने भेज दिया गया।
निकाली नाव, लगाए
गोते
आधुनिक संसाधन के साथ कोटा से आई टीम ट्रक में सामान लेकर तालाब पहुंची।
आरोपित के सम्भावित स्थान बताने की जानकारी के बाद नाव निकाली गई। गोताखोरों ने
विशेष्ा प्रकार की डे्रस पहनी। दो जवान पीठ पर ऑक्सीजन के सिलेण्डर लगाया और मुंह
पर मास्क लगाकर तालाब के पेंदे तक गोता लगाकर चाकू बरामद करने का प्रयास
किया।
पहाड़ से राई खोजने के बराबर
एक तरफ गंदा पानी तो दूसरी ओर आसपास के
लोगों द्वारा कचरा फेंकने से तालाब से चाकू निकलना पहाड़ से राई खोजने के बराबर था।
आधुनिक संसाधन भी गंदगी के आगे फेल हो गए। टीम ने पेंदे से चाकू निकलने के लिए
चुम्बक का सहारा भी लिया, लेकिन तमाम प्रयास विफल रहे। थकहार कर शाम पांच बजे
ऑपरेशन सर्च बंद करके टीम कोतवाली लौट आई। पुलिस को अब मृतका का मोबाइल और आरोपित
के कपड़े बरामद करने हैं।
12 फीट पानी, 3 फीट कचरा
करीब 15 फीट गहरे
गांधीसागर तालाब में 12 फीट पानी भरा है और तालाब के पेंदे में लगभग तीन फीट तक
कचरा जमा है। कचरे के कारण पेंदे में दलदल की स्थिति हो गई है। इससे तलाश में जुटी
टीम को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
गंदा पानी और बदबू से
परेशानी
गांधीसागर में मिलने वाले इस नाले में शास्त्रीनगर समेत कई इलाके का
गंदा पानी आता है। इससे पूरा तालाब सड़ांध मार रहा है। जगह-जगह गंदगी का ढेर है।
तालाब को देखते ही एक बार तो रेस्क्यू टीम हैरान रह गई। पाल पर एक मिनट खड़े
रहना भी दूभर हो रहा था। ऎसे में तालाब में उतरकर चाकू तलाशना कठिन था। टीम में आए
जवान ने बताया कि पिछले 12 साल के कार्यकाल में दूसरी बार गंदे पानी में उतरना पड़
रहा है। इससे पहले बारां में एक घटना में गंदे तालाब में उतरे थे। हालांकि उस तालाब
की स्थिति गांधीसागर से कहीं अच्छी थी।