पचास फीसदी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकेंगे प्रोफेसर!
उच्च शिक्षा विभाग के नए नियम से असिस्टेंट प्रोफेसर नाराज
भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने यूजीसी रेगुलेशन 2010 के तहत थ्री टियर सिस्टम को नए भर्ती नियम में शामिल किए जाने से असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसरों में नाराजगी पनपने लगी है।
दरअसल इस नियम के लागू होने से सबसे ज्यादा नुकसान असिस्टेंट प्रोफेसरों को उठाना पड़ेगा। थ्री टियर सिस्टम में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर के बीच एसोसिएट प्रोफेसर का पद होता है। इसमें प्रवर श्रेणी के असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति होगी।
महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ का दावा है कि नया नियम तीन हजार में से 50 फीसदी असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रोफेसर नहीं बनने देगा। ये वो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जो वर्ष 2006 से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। अब पदोन्नति होती भी है तो ये एसोसिएट प्रोफेसर ही कहलाएंगे। अब इस मामले को लेकर आपत्ति दर्ज कराए जाने की तैयारी है।
संघ का कहना है कि इस नियम के लागू होने से पहले असिस्टेंट प्रोफेसर को ड्यू डेट से पदोन्नति मिलनी चाहिए। क्योंकि कई असिस्टेंट प्रोफेसर ऐसे भी हैं, जिन्हें 20 साल से अधिक हो चुके हैं।
उनका कहना है कि नए नियम में वर्तमान में कार्यरत प्रोफेसरों की संख्या नहीं दशाई गई और न ही उन्हें डाइंग कैडर में बताया गया है।
नए नियमों में 704 एेसे प्रोफेसरों की संख्या बताई गई है, जिनमें 75 फीसद पद पदोन्नति से और 25 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जाने हैं। वर्तमान में 1800 प्रोफेसर कार्यरत हैं। नए नियमों की अनुसूची में स्थान नहीं मिलने से ये प्रोफेसर भी नाराजगी जता रहे हैं।
वरिष्ठता सूची पर भी विवाद
वर्ष 2008 की वरिष्ठता सूची पर लगी आपत्तियों के निराकरण किए बिना ही नए नियम लागू करने पर भी प्रोफेसरों में नाराजगी है। उनका कहना है कि एक ओर विभाग पदोन्नति की बात कहकर वाहवाही लूट रहा है। जबकि पहले से लगी आपत्तियों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। वहीं वरिष्ठता सूची को लेकर न्यायालय में 42 प्रकरण विचाराधीन हैं।
पूरा मौका मिलेगा
जो संशोधित नियम जारी किया गया है, उसमें हर बात का ध्यान रखा गया है। किसकी क्या आपत्ति है, वे बताएं। प्रोफेसरों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।
-उमाशंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री
आपत्ति दर्ज कराई जाएगी
नए नियम में कई विसंगतियां हैं। इनमें सबसे अधिक नुकसान असिस्टेंट प्रोफेसरों का है। इस संबंध में आपत्ति दर्ज कराई जाएगी।
-प्रो. कैलाश त्यागी, प्रांतीय अध्यक्ष शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ