विशेषज्ञों के मुताबिक एलोपैथी में लिवर की बीमारियों का स्थायी व सटीक उपचार नहीं है। एलोपैथ डॉक्टर भी आयुर्वेद फॉर्मूला ही बताते हैं।
भोपाल। हेपेटाइटिस, पीलिया सहित लिवर की अन्य बीमारियों का उपचार अब दुर्लभ जड़ी-बूटियों से संभव है। ये जड़ी बूटियां आप घर पर भी उगा सकते हैं। बारिश का मौसम आने से पहले इन जड़ी बूटियों को आप एकत्रित कर सकते हैं। आइए हम बताते हैं इन जड़ी-बूटियों के बारे में…
यह हैं जड़ी-बूटियां
कुटकी : इसकी जड़ से लिवर, अपचन, अस्थमा और बुखार का उपचार होता है।
भं्रगराज : इसका पूरा पौधा हेपेटाइटिस के उपचार के लिए काम आता है।
सरखूंखा : इसके काढ़े से लिवर और डायबिटीज में फायदा होता है।
रुद्राक्ष : ब्लडप्रेशर की समस्या को दूर किया जाता है।
कालभेद : इसकी एक खुराक ही बुखार के लिए काफी है।
त्रिवृत : इसकी जड़ लिवर के साथ पेट की सफाई के काम आती है।
रोहितक : लिवर के साथ त्वचा रोगों में काम आती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों के मुताबिक एलोपैथी में लिवर की बीमारियों का स्थायी व सटीक उपचार नहीं है। एलोपैथ डॉक्टर भी आयुर्वेद फॉर्मूला ही बताते हैं। एेसे में आयुर्वेद कॉलेज में जड़ी-बूटियों के उगाने से बीमारियों का उपचार संभव हो सकेगा। पं. खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय, मानसरोवर आयुर्वेद महाविद्यालय में बारिश के दौरान इन पौधों को लगाने की कवायद शुरू की जाएगी।
सीजनल होते हैं ये पौधे
खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला के मुताबिक यह पौधे मौसमी होते हैं। ये साल में पांच-छह माह तक ही उगते हैं। शहर का मौसम इनके अनुकूल है। ऐसे में यह पौधे आसानी से उगाए जा सकते हैं।
इनका कहना है…
सीसीआईएम के नियमानुसार आयुर्वेद कॉलेजों के हर्बल गार्डन में कम से कम 300 तरह की जड़ी-बूटियों के पौधे होने चाहिए। इन पौधों से मरीजों को फायदा होगा। हालांकि, आयुर्वेद पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है।
-डॉ. राकेश पांडे, प्राचार्य, मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, भोपाल