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गर्म हो रही है मप्र की राजधानी, धीरे-धीरे यहां खत्म हो जाएगी ठंड

locationभोपालPublished: Oct 17, 2016 08:58:00 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

बैंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि 22 पहले भोपाल के 60 फीसदी क्षेत्र में हरियाली थी, जो अब करीब 20 फीसदी रह गई।

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भोपाल. सावधान हो जाएं, क्योंकि झीलों-पहाड़ों और दिलकश मौसम के लिए मशहूर भोपाल शहर की फिजा में गर्मी खलल डाल रही है। यहां तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। अगर यही हालत रही तो आने वाले पचास सालों में सर्दियां खत्म हो जाएंगी। क्योंकि बीते दस सालों में शहर का तापमान में करीब एक डिग्री बढ़ चुका है। अनुमान है कि 50 सालों में शहर का न्यूनतम तापमान 23 से 24 डिग्री तक पहुंच जाएगा। ये हकीकत बीते दस साल के मौसम विभाग के आंकड़े बता रहे हैं। शहर में लगातार तापमान बढ़ रहा है, इसका असर यह हुआ कि ठंड लगातार कम हो रही है। इसकी वजह हरियाली की कमी, जनसंख्या में इजाफा और तीसरी सबसे बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग है।


जनसंख्या डेढ़ गुना बढ़ी तो हरियाली 20 फीसदी बची : 
पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडे के मुताबित 22 सालों में शहर की हरियाली 600 फीसदी से घटकर मात्र 20 फीसदी ही रह गई है। उन्होंने बैंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि 22 पहले भोपाल के 60 फीसदी क्षेत्र में हरियाली थी, जो अब करीब 20 फीसदी रह गई। यही नहीं 2025 तक यह दो फीसदी क्षेत्र तक सिमट कर रह जाएगी।

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ग्लोबल वार्मिंग से लडऩे की पहल
श्रीलंका में आज से ग्लोबल वार्मिंग से लडऩे नई पहल की जा रही है। राजधानी कोलंबो में पांचवे एशिया पेसीफिक क्लाइमेट चेंज एडाप्टेशन फोरम की शुरुआत की जा रही है। तीन दिन चलने वाले इस फोरम में 50 से ज्यादा देश इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक चर्चा की जाएगी। इस चर्चा से निकलने वाले निष्कर्ष को दुनियाभर लागू किया जाएगा। इस फोरम में भोपाल की क्लाइमेट ट्रैकर और मॉडल शान भी हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने पत्रिका को बताया कि फोरम का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों से निपटना है। साथ ही तापमान में दो डिग्री की कमी लाने का संकल्प भी इस फोरम में लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि विश्वभर कार्बन उत्सर्जन का चार फीसदी भारत द्वारा किया जाता है।

वार्मिंग से बचने के लिए ये करें उपाय
वनों की कटाई पर नियंत्रण रखें
ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं
कार पूलिंग को बढ़ावा दें
बिजली के उपकरणों की जगह सौर ऊर्जा का उपयोग करें
जरूरत ना हो तो एसी का उपयोग ना करें
कायले, लकड़ी को इंधन के रूप में कम से कम ऊपयोग करें
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