भोपाल। देश में संभवत: अपनी तरह की ये पहली कार रेस है, जिसमें सोलर एनर्जी से कारें 75 किमी लंबे ट्रैक पर दौड़ीं। इनकी रफ्तार को देखकर ऐसा नहीं लगा कि ये सौर ऊर्जा से चल रही हैं। तकनीक, रफ्तार और इनोवेशन इन तीनों का कॉम्बीनेशन मंगलवार को देखने मिला आरपीएम गो कार्टिंग टै्रक पर। यहां देश भर से आई 36 इलैक्ट्रिक सोलर कारें खिताब जीतने के लिए 75 किलोमीटर के ट्रैक पर फाइट करती दिखीं।
दरअसल यहां इलैक्ट्रिक सोलर व्हीकल चैम्पियनशिप 2016 आयोजित की गई थी। इसे इम्पीरियल सोसायटी ऑफ इनोवेटिव इंजीनियर्स और राधारमण ग्रुप की ओर से आयोजित किया गया।
दो राउंड में हुआ मुकाबला
फाइनल मुकाबला दो रांउड में हुआ। इसमें पहले राउंड में सभी कारों के एक घंटे तक ट्रैक पर बिना रुके कार दौड़ानी थी। वहीं, दूसरे राउंड में भी एक घंटे तक ट्रैक पर गाड़ी रन करनी थी। इसमें जजेज ने कवर किए गए लैप, टेक्नोलॉजी के आधार पर प्रथम तीन विजेताओं का चयन किया। इसमें मैनिट भोपाल की टीम 5 सैकंड के अंतर से चौथे स्थान पर रही।
इन्हें मिली पॉजिशन
फर्स्ट: ताइयो जेन, हिन्दुस्तान यूनिवर्सिटी, चेन्नई
सैकंड: मैकेनाइजर, श्रीनिधी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हैदराबाद
थर्ड: सीओईपी सनराइजर, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे
फोर्थ: सोलरेसर 2.0, मैनिट, भोपाल
बेस्ट डिजाइन: सोलरेसर 2.0, मैनिट भोपाल
मैनिट की सोलरेसर को बेस्ट डिजाइन अवॉर्ड
इस नेशनल चैम्पियनशिप में भले ही मैनिट की टीम सोलरेसर 2.0 महज 5 सैकंड के अंतर से फोर्थ नंबर पर रही। लेकिन, इस टीम ने बेस्ट कार डिजाइन का खिताब हासिल किया। साथ ही सोलर एंडोरेंस में सैकंड पोजिशन पर रही। टीम लीडर अक्षय गुप्ता ने बताया कि कार डिजाइन में टैडपोल जियोमेट्री का यूज किया गया। इसके तहत गाड़ी में दो टायर आगे और एक टायर पीछे लगाया जाता है। कार, एनसिस, एडम, सॉल्डि वर्क, कैटिया सॉफ्टवेयर पर डिजाइन की गई। इसमें खासतौर पर सस्पेंशन पर काम किया गया। वहीं, ड्राइवर सेफ्टी के लिए रूला एनालिसिस तकनीक यूज की गई। साथ ही गाड़ी को लाइट वेट रखने के लिए 40 किलोग्राम की बैटरी को हटाकर 32 एपीआर बैटरी यूज की। इससे बैटरी का वेट महज 8 किलोग्राम रहा। इससे गाड़ी की रफ्तार और तेज हो गई। कार की मैक्सीमम स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा रही। साथ ही इसमें 1000 वॉल्ट मोटर का इस्तेमाल किया गया।