script भोपाल शहर के मास्टर प्लान के ड्रॉफ्ट में बार-बार हुए बदलाव | frequent changes in the master plan draft of Bhopal City | Patrika News
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 भोपाल शहर के मास्टर प्लान के ड्रॉफ्ट में बार-बार हुए बदलाव

भोपाल शहर के मास्टर प्लान में बीते 15 साल के दौरान 213 संशोधन हुए, टीएंडसीपी के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2016 तक करीब 1800 हेक्टेयर कृषि भूमि आवासीय बना दी गई।

भोपालJan 14, 2017 / 01:10 am

shahid samar

Bhopal

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भोपाल. भोपाल शहर के मास्टर प्लान में बीते 15 साल के दौरान 213 संशोधन हुए हैं। नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत सर्वाधिक बदलाव कृषि भूमि को आवासीय करने के लिए हुए। टीएंडसीपी के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2016 तक करीब 1800 हेक्टेयर कृषि भूमि आवासीय बना दी गई।

भोपाल की स्थिति
भोपाल पहाड़ी क्षेत्र पर बसा है। ये उत्तर व दक्षिणपूर्व की ओर ढलान पर है।
पहाड़ी का उभरा हिस्सा दक्षिण-पश्चिम व उत्तर-पश्चिम की ओर है।
तीन प्राकृतिक ड्रेनेज हैं।
निर्माण में इस्लामिक, राजपूताना कला का उपयोग किया गया।
यहां संकरी सड़कें हैं। अंदर की तरफ खुला स्थान। यह विशुद्ध भोपाली तरीका है। परंपरागत तौर पर यहां मिक्स लैंडयूज का प्रावधान है।
नया भोपाल इसके विपरित चित्र बनाता है। यह आधुनिक आर्किटेक्चरल स्टाइल में है।
हरियाली के साथ चौड़ी सड़कें। यहां कर्मचारी वर्ग का वास है।
भेल कॉरपोरेट टाउनशिप है। यह नए भोपाल से मिलता-जुलता क्षेत्र है।


पर्याप्त है स्थान, उसे ही संवारें
मास्टर प्लान 2005 के रंगीन मानचित्र में आरक्षित 27 हजार 103 हेक्टेयर भूमि 143 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर मान से 2031 तक 35 लाख की आबादी के लिए पर्याप्त है। ऐसे में 2021 प्लान के लिए अधिक भूमि जरूरी नहीं है। 5 अक्टूबर 2007 में तत्कालीन संचालक नगर एवं ग्राम निवेश मप्र दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने यह जानकारी शासन को दी।मास्टर प्लान पर गैरगंभीर

नगर एवं ग्राम निवेश मप्र की तत्कालीन संचालक दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने पांच अक्टूबर 2007 में सरकार को 15 बिंदुओं की रिपोर्ट सौंपकर नए प्लान की जरूरत को खारिज किया। 2005 को ही पर्याप्त बताया।

सरकार ने तमाम बिंदुओं को खारिज कर संचालक बदल दिया। नई संचालक दीपाली रस्तोगी ने प्लान बनाकर नौ अगस्त 2008 को प्रकाशित करवा दिया। इसे भी रोक दिया गया।
सितंबर 2009 में नया प्लान बनवाया गया। इसे प्रकाशित कर आपत्तियां आमंत्रित करवाई। 1600 से अधिक आपत्तियों के बाद इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
एक साल बाद अब फिर प्लान के लिए नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम के विरुद्ध तकनीकी समिति बना दी गई।
इसके आधार पर प्लान बनाने की कवायद शुरू हुई।
2012 में 2031 के लिए मास्टर प्लान का ड्रॉफ्ट तैयार कर दिया गया, अक्टूबर 2012 में इस पर आपत्तियां आमंत्रित करने के दावे किए, लेकिन ये अब तक अटका ही हुआ है। सुझावों और आपत्तियों पर ध्यान ही नही दिया।

पीएसपी में खत्म कर दिया पूरा जंगल
पब्लिक सेमी पब्लिक (पीएसपी) लैंडयूज में स्कूल, अस्पताल समेत जनकल्याण के केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं। इसका लाभ उठाकर भोपाल के दक्षिणी क्षेत्र जिसमें केरवा, कलियासोत से लेकर कोलार डैम तक की पूरी सतपुड़ा रेंज में लगातार निर्माण हो रहे हैं। यहां कई स्कूल, कॉलेज स्थापित हो गए तो कई हो रहे हैं। इससे इस जंगली क्षेत्र की शांति भंग हो गई। इसके खत्म होने की आशंका बन आई है। भोपाल नगर निगम के पूर्व सिटी प्लानर सुभाशीष बैनर्जी के अनुसार भदभदा के आगे बुलमदर डेयरी फार्म से इस क्षेत्र को पीएसपी में शामिल किया गया। जंगली क्षेत्र में मानवीय घुसपैठ की विसंगति यही शुरू हुई। समय रहते इसे रोकने की बजाय आगे की मास्टर प्लान में भी इसे रहने दिया गया। रद्द किए मास्टर प्लान प्रारूप 2021 में भी यह पीएसपी है।

बदलावों को ठहराया गलत
राजधानी में खेती की जमीन के पब्लिक सेमी पब्लिक लैंडयूज को बदलने के लिए भी मास्टर प्लान ड्रॉफ्ट में संशोधन हुए। बड़ा तालाब कैचमेंट एरिया की कृषि भूमि तक को आवासीय में तब्दील कर दिया गया। गौरतलब है कि राजस्थान में मास्टर प्लान में लगातार बदलावों को जोधपुर हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है और मास्टर प्लान को मास्टर गाइडलाइन की तरह रखने की बात कही है। इसके बाद मध्यप्रदेश में भोपाल के मास्टर प्लान पर भी चर्चा छिड़ी है। कई जानकार यहां के मास्टर प्लान ड्रॉफ्ट में हुए बदलावों को गलत ठहरा रहे हैं।

लैंड यूज की स्थिति
लैंड यूज 1991 2005
आवासीय 40 46
वाणिज्यिक 04 3.7
औद्योगिक 11 7.9
पब्लिक-सेमी पब्लिक 12 7.2
पब्लिक उपयोग 2.8 2.8
रिक्रिएशन 14 16.7
ट्रांसपोर्टेशन 16 14.8
(नोट- प्लानिंग एरिया 823 वर्ग किमी। ड्राफ्ट 2021 का लैंडयूज नहीं है।)

 वर्ष 2031 के लिए किया आंकलन
25 लाख आंकलित की गई भोपाल विकास योजना 2005 में 2021 के लिए आबादी।
800 जनसंख्या आंकलन किया गया अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने वर्ष 2021 के लिए 21 लाख 98 हजार।
22.57 लाख जनसंख्या आंकलन मप्र विकास प्राधिकरण संघ ने वर्ष 2021 के लिए किया
35 लाख दो हजार 439 की आबादी के लिए भोपाल ग्लोबल इन्वायरमेंट सिटी ने 2021 के लिए 26 लाख नौ हजार 42 तथा 2031 के लिए आंकलन किया।

800 हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र निर्जन हो गया
लगातार बदलाव और संशोधनों का असर है कि राजधानी का 800 हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र निर्जन हो गया। अरेरा, शाहपुरा, मनुआभान की टेकरी, श्यामला, ईदगाह, चुनाभट्टïी, मेंडोरा, मिंदोरिया, कटारा, बैरागढ़ चीचली, सरोतीपुरा, पठानकोट आदि पूरी तरह रहवासी क्षेत्र हो गए। पहाडिय़ों का अस्तित्व अंत की ओर है। भोपाल में छोटे-बड़े 18 जल संरचनाएं हैं। इनमें विभिन्न माध्यमों से गंदगी मिल रही। राजा भोज द्वारा 1010-15 में बनावाया बड़ा तालाब भी प्रदूषण व अतिक्रमण की चपेट में है। जमीन के पीएसपी लैंडयूज को भी बदलने संशोधन हुए। बड़ा तालाब कैचमेंट एरिया की कृषि भूमि तक को आवासीय में किया।

मास्टर प्लान बनने के बाद इसमें संशोधनों की गुंजाइश नहीं होना चाहिए। सबसे अधिक ध्यान भोपाल की ऐतिहासिक धरोहरों व यहां की प्राकृतिक सुंदरता इसकी पहचान है। इनके संरक्षण लिए अलग से प्रावधान हो। हेरिटेज अध्ययन की जरूरत है।
डॉ. सविता राजे, मैनिट


भोपाल के लिए पहले से ही ग्लोबल एनवायरमेंट सिटी का प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके तहत पानी, हरियाली, परिवहन, भूप्रबंधन की बातें है। इसी के अनुसार प्लान बनना चाहिए। प्लान के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए।
प्रो. एमएम कापसे, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट

आखिरी ड्राफ्ट में सुझाव, आपत्तियां
बड़े तालाब के किनारे बैरागढ़ के दक्षिण से एक और रोड बने
केरवा डैम, बरखेड़ी कला, सेवनियां गौंड, कोलार रोड के बैरागढ़ चीचली गांवों में प्रस्तावित भू-उपयोग बदले
वन विहार के संचालक एके खरे का सुझाव था, वन विहार के 500 मी तक निर्माण न हो। एक किमी तक के क्षेत्र में भी छह मीटर से ज्यादा ऊंचे भवन की अनुमति न दी जाए। पालन नहीं
भदभदा विश्रामघाट से लगी भूमि ग्रीन बेल्ट में हो, मिक्स लैंड यूज का विरोध
बड़े तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण व धार्मिक स्थलों पर प्रतिबंध
योजना की अवधि 50 साल हो
झुग्गी विस्थापन की अलग योजना बने
प्रस्तावित मास्टर प्लान के रोड रद्द हों
अरेरा कॉलोनी में बढ़े व्यावसायिक क्षेत्र
ऐतिहासिक धरोहरों का प्लान में अलग उल्लेख हो। टूरिज्म प्लान बने
कमला पार्क से वीआईपी रोड को जोड़ें
आपत्तिकर्ता ने अपनी कुशलपुरा-भानपुर काकडिय़ा की कृषि भूमि को बॉटनिकल दिखाने पर आपत्ति की।
गार्डन के संचालक ने गार्डन के आसपास के आवासीय क्षेत्र को कॅमर्शियल करने की बात कही
आपत्तिकर्ता द्वारा बागसेवनिया के खसरा क्रमांक 8 को वाणिज्यिक दिखाने पर जोर दिया गया
अरेरा कॉलोनी में आपत्तिकर्ताओं ने ई-दो से 11 तक को वाणिज्यिक नहीं दिखाने की बात कही।
रचना नगर में समाज के भूखंड पर 120 फीट की सड़क पर आपत्ति की
सतगढ़ी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स के आसपास के किसानों ने अपनी भूमि का उपयोग आवासीय या वाणिज्यिक करने की बात कही
निशातपुरा रेलवे क्रॉसिंग के पास प्रस्तावित 45 मीटर मास्टर प्लान रोड को रद्द करने की बात कही।
मालवीय नगर में दो भाइयों में से एक की जमीन तालाब के पास। दोनों में विवाद है। निर्माण की अनुमति, दूसरा निर्माण बैन करने की कर रहा मांग।
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