डीन उल्का श्रीवास्तव का कहना है कि कॉलेज का काम प्रभावित हो जाता है।हमने काउंसिलिंग को लेकर एक प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा है।
भोपाल। मेडिकल कॉलेजो में यूजी और पीजी कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली काउंसिलिंग के दौरान कॉलेज को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान ना केवल शिक्षण सत्र खराब होता है मरीजों को भी तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। एेसे में काउंसिलिंग में कॉलेज के प्रोफेसर और कर्मचारियों को लगाने की बजाया अन्य संस्था से इसे करना चाहिए।
यह मांग सोमवार को आयोजित गांधी मेडिकल कॉलेज की कॉलेज काउंसिल की बैठक में उठी। बैठक में गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. उल्का श्रीवास्तव सहित काउंसिल के सभी सदस्य मौजूद थे। बैठक के दौरान कई मुद्दो पर चर्चा की गई। बैठक में काउंसलिंग के मुद्दे पर सदस्यों का कहना था कि कॉलेज से 50 से 60 लोगों का अमला एक महीने तक काउंसिलिंग के कामों में लगा रहता है।
ऐसे में कॉलेज के काम प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही जिन प्रोफेसरों की ड्यूटी लगाई जाती है उनकी क्लासेस भी अटक जाती है। एेसे में काउंसिलिंग प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कराने या अन्य संस्था से कराना चाहिए। मामले में डीन उल्का श्रीवास्तव का कहना है कि कॉलेज का काम प्रभावित हो जाता है।हमने काउंसिलिंग को लेकर एक प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा है।
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पहले भी कई बार कर चुके हैं मांग
यह पहला मौका नहीं है जब जीएमसी ने कॉलेज में काउंसिलिंग कराने से इंकार किया हो। इससे पहले भी कॉलेज प्रबंधन चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर काउंसिलिंग को कहीं और कराने की मांग कर चुका है।