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अमिताभ की ऑनस्क्रीन मां थी निरुपा राय, रानी रुपमती से हुईं फेमस

locationभोपालPublished: Jan 03, 2017 05:47:00 pm

Submitted by:

Manish Gite

(फिल्म अभिनेत्री निरुपा राय का जन्म दिन 4 जनवरी को है, mp.patrika.com मध्यप्रदेश के मांडू में रानी रूपमती और बाजबहाद्दुर की प्रेम गाथा पर बनी फिल्म के बारे में बता रहा है जिसे आज भी लोग याद करते हैं…।

amitabh bachchan on screen mother nirupa roy

amitabh bachchan on screen mother nirupa roy

(फिल्म अभिनेत्री निरुपा राय का जन्म दिन 4 जनवरी को है, mp.patrika.com मध्यप्रदेश के मांडू में रानी रूपमती और बाजबहाद्दुर की प्रेम गाथा पर बनी फिल्म के बारे में बता रहा है जिसे आज भी लोग याद करते हैं…।

भोपाल। 1957 में रिलीज हुई फिल्म रानी रूपमती की प्रेम कहानी से चर्चित हुई फिल्म अभिनेत्री निरुपा रॉय (Nirupa Roy) आज भी बॉलीवुड की मां मानी जाती है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के कद को बढ़ाने में इस ममतामयी मां को बिग बी की ऑनस्क्रीन मां के रूप में जाना जाता है। इनके किरदार को कोई भी नहीं भुला पाया।

1946 में गुजराती फिल्म गणसुंदरी से एक्टिंग की शुरुआत करने वाली निरुपा की पहली हिन्दी फिल्म हमारी मंजिल थी। साल 1951 में आई फिल्म ‘हर हर महादेव’ में उनके पार्वती के किरदार को काफी सराहना मिली। जब वह वीर भीमसेन’ में द्रोपदी की भूमिका में नजर आईं तो दर्शक उनकी एक्टिंग के दीवाने हो गए थे। यह सिलसिला चल निकला। उसके बाद कई बार देवियों के किरदार में भी नजर आईं।

नहीं भूल पाएंगे लोग मांडू की रानी रूपमती को
1957 में आई रानी रूपमति ने उन्हें एक अलग पहचान दी। ऐतिहासिक नगरी मांडू के बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म ने कई रिकार्ड तोड़ दिए।

आ लौट के आजा मेरे मीत…।
इसके गाने आज भी लोगों को सुकून देते हैं। सबसे ज्यादा चर्चित गाना आ अब लौट के आजा मेरे मीत काफी चर्चित रहा और लोगों ने सुकून का अहसास किया।

(फिल्म दीवार का एक दृश्य)
आज भी गाया जाता है यह गीत
मध्य प्रदेश का एक ऐसा पर्यटन स्थल है माण्डू, जो रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी बना है। यहां आज भी उनकी प्रेम गाथाओं के किस्से सुनाए जाते हैं। फिल्म रानी रूपमति का गीत भी रोज ही यहां आने वाले पर्यटकों को सुनाया जाता है।

amitabh bachchan on screen mother nirupa roy

रानी के लिए बनवाया था महल
इतिहास के मुताबिक रानी रूपमती को बाज बहादुर इतना प्यार करते थे कि रानी उनके बिना कुछ कहे ही वो उनके दिल की बात समझ जाया करते थे। बाज बहादुर और रानी रूपमती के प्यार के साक्षी मांडू में 3500 फीट की ऊंचाई पर बना रानी रुपमती का महल है। कहते हैं कि रानी नर्मदा नदी का दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती थी। रानी की इसी इच्छा को पूरा करने के लिए बाज बहादुर ने एक किले का निर्माण कराया था, जिसे लोग रानी रूपमती के महल के नाम से जानते हैं। रानी यहां से 100 किलोमीटर दूर बहती नर्मदा नदी का दर्शन करती थी।

(फिल्म दीवार का एक दृश्य)

और बन गई अमिताभ की फिल्मी मां
हिन्दी सिनेमा जगत में निरुपा को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है, जिसने पर्दे पर कई अभिनेताओं की मां का किरदार निभाया। उनका मूल नाम कोकिला बेन था। 1961 में छाया में उन्होंने माँ की भूमिका निभाई। उन्होंने आशा पारेख की माँ की भूमिका निभाई थीं। इस फ़िल्म में उन्हें मां के किरदार के लिए सराहना मिली। उन्हें फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार भी मिला। सन 1975 में दीवार निरुपा के केरियर की सबसे अहम फिल्म साबित हुई और बिग बी के लिए भी। इस फ़िल्म में उन्होंने शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की माँ की भूमिका निभाई। यह फिल्म आज भी याद की जाती है। इसके बाद खून पसीना , मुकद्दर का सिकंदर , अमर अकबर एंथॉनी , सुहाग , इंकलाब , गिरफ्तार , मर्द और गंगा जमुना सरस्वती जैसी फ़िल्मों में बिग-बी की मां की भूमिका में नजर आईं। वर्ष 1999 में लाल बादशाह में वह अंतिम बार बिग-बी के साथ दिखी। 4 जनवरी, 1931 को गुजरात के बलसाड़ में जन्मी निरुपा का 13 अक्टूबर 2004 को निधन हो गया। रॉय ने पांच दशकों में करीब 300 फिल्मों में काम किया।
(फिल्म दीवार का एक दृश्य)

मिले की पुरस्कार व सम्मान
निरुपा को तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला। 1956 की फ़िल्म मुनीम जी के लिए यह पुरस्कार मिला था, जिसमें निरुपा देवानंद की माँ बनी थीं। 1962 की फ़िल्म छाया के लिए भी उन्हें पुरस्कृत किया गया। बाद में शहनाई के लिए 1965 में सम्मानित किया गया।

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