भोपाल. बारिश का मौसम जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है वन विभाग की धड़कनें बढऩे लगी हैं। एक सप्ताह से बाघ टी-1 की गतिविधियां कलियासोत के जंगलों के आसपास फिर से बढ़ गई हैं। इसकी भनक लगते ही वन विभाग ने अपनी गश्ती टीम को अलर्ट कर दिया है। साथ ही बाघ टी-1 अगर फिर से यहां रुकता है तो उसे जंगल के अंदर रोकने को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए पानी के आठ कृत्रिम स्रोत तैयार किए हैं। इनमें से एक को भरने के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है।
पिछले साल पानी की उपलब्धता के कारण बाघ टी-1 कलियासोत केरवा के जंगलों में लगभग छह महीने रुका था। मई महीना शुरू हो चुका और मध्य मई से इस बार प्री-मानसून गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। एेसे में पानी के बरसते ही बाघ टी-1 के केरवा जंगलों में फिर स्थायी ठिकाना बनाने की संभावना बढ़ जाएगी।
छह गश्ती दल, दिन रात कर रहे चौकसी
व न विभाग के अधिकारियों के अनुसार तीन-तीन की टुकडि़यों में 6 गश्ती दलों कलियासोत और केरवा के जंगलों में तैनात किया गया है। तीन दिन पहले डीएफओ आरएस तिवारी ने सभी गश्ती दलों को सतर्कता से निगरानी के निर्देश जारी किए हैं। दरअसल पिछले एक सप्ताह में कई बार बाघ टी-1 कलियासोत के आसपास होकर वापस जा चुका है। यह जानकारी वन विभाग के कैमरों में भी दर्ज हुई है।
फंड मे अटकी 8 किमी लंबी फेंसिंग
बाघ को कलियासोत केरवा के जंगलों में रोकने के स्थायी समाधान के लिए वन विभाग 8 किमी तक 12 फिट लंबी फेंसिंग करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन फंड की कमी के चक्कर में यह का काम रुका हुआ है। फिलहाल एक प्रस्ताव शासन के पास भेजा जा चुका है।
इनका कहना है…
बाघ टीन-1 कलियासोत केरवा के जंगलों के आसपास बना हुआ है। हालांकि हाल फिलहाल वह यहां आया नहीं है, लेकिन आसपास है। एेसे में गश्ती दल को सतर्क रहने के लिए कहा गया है। उसके पगमाक्र्स तलाशने के निर्देश दिए गए हैं। स्थायी फेंसिंग के लिए फंड मांगा गया है।
-आरएस तिवारी, डीएफओ भोपाल वन मंडल