रिपोर्ट में रातापानी अभयारण्य में 9 बाघ बताए गए हैं। जबकि साल के शुरुआत में हुई गणना में अभयारण्य प्रबंधन ने 59 बाघ का अनुमान लगाया था।
भोपाल। मध्यप्रदेश में जहां टाइगर का लगातार शिकार बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से जंगल के इस राजा का शिकार भी हो रहा है। दो दिन पहले कान्हा नेशनल पार्क में एक 4 साल के टाइगर का शिकार किया गया था। शिकारियों ने उसके चारों पंजे काट कर जला दिए थे। मामला अभी जांच में हैं। पर, इसके साथ ही एक अच्छी खबर भी है। वो ये कि एमपी के छह टाइगर रिजर्व में पिछले दो साल में 19 बाघ बढ़ गए हैं। अब बाघों की संख्या 251 हो गई है। वन विभाग की ताजा रिपोर्ट में पहली बार रातापानी और कुनो पालपुर अभयारण्य को शामिल किया गया। रिपोर्ट में रातापानी अभयारण्य में 9 बाघ बताए गए हैं। जबकि साल के शुरुआत में हुई गणना में अभयारण्य प्रबंधन ने 59 बाघ का अनुमान लगाया था।
ऐसे हुई बाघों की गणना
इस गणना के दौरान कैमरा ट्रैप पद्धति से लिए गए बाघों के फोटो का मिलान कर मप्र राज्य वन अनुसंधान संस्थान (एसएफआरआई) जबलपुर ने ये आंकड़े तैयार किए हैं। वर्तमान में कान्हा टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 83 बाघ हैं, जबकि बांधवगढ़ में 61 का दावा है। ये रिपोर्ट पांच महीने में बनकर तैयार हुई। गौरतलब है कि 2014 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देशभर में बाघों की गणना कराई थी, जिसमें मप्र में 308 और छह टाइगर रिजर्वों में 222 बाघ पाए गए थे।
पन्ना में घटे बाघ
वर्ष 2014 की अपेक्षा पन्ना टाइगर रिजर्व में 3 बाघ कम हुए हैं। इनमें से दो को शिफ्ट किया गया है, तो एक की मौत हुई है। एसएफआरआई के निर्देश पर बाघों की गणना के लिए छह टाइगर रिजर्व और दो सेंचुरी में 2371 ट्रेप कैमरे लगाए गए थे। गणना में एक साल से ज्यादा के शावकों को शामिल किया गया है।