प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी से पीजी डिप्लोमा कर निकले पहले बैच के डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन मप्र मेडिकल काउंसिल (एमपीएमसी) व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) में नहीं हो पा रहा है।
भोपाल। मध्यप्रदेश के नए डॉक्टरों को देश की प्रतिष्ठित मेडिकल काउंसिल्स में रजिस्ट्रेशन नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी से पीजी डिप्लोमा कर निकले पहले बैच के डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन मप्र मेडिकल काउंसिल (एमपीएमसी) व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) में नहीं हो पा रहा है। इस वजह से सरकारी और निजी कॉलेजों से 2016 में पीजी डिप्लोमा कर निकले डॉक्टरों को आगे की पढ़ाई में दिक्कत हो रही है।
हालांकि इन काउंसिल्स के मापदंड उच्च स्तर के हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि मेडिकल स्टूडेन्ट्स की काबिलियत इस स्तर की नहीं है। दरअसल, मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम एमसीआई के दस्तावेज में शामिल नहीं है। नाम रजिस्टर्ड नहीं होने की वजह से मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया था।
इस तरह की शिकायतें सामने आने के बाद कुछ डॉक्टर्स ने इस बारे में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों को भी आवेदन दिया था। जिस पर ध्यान देते हुए मप्र मेडिकल काउंसिल और मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रेशन कराया है।
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लेकिन सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने भर से ही समस्या का समाधान नहीं हुआ है। खबर है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में यह फाइल अटकी हुई है, जिसकी वजह से स्टूडेन्ट्स की परेशानी अभी भी खत्म नहीं हुई है। यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा कर निकले छात्रों ने कहा कि मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्घ होने के बाद उन्हें पहले की तुलना में तीन-चार गुना ज्यादा फीस ली गई, लेकिन उन्हें दिए गए डिप्लोमा को कहीं भी मान्यता नहीं दी जा रही है।
छात्रों के सामने आवेदन न कर पाने की दिक्कत
डिप्लोमा को मंजूरी नहीं मिलने के बाद मेडिकल स्टूडेन्ट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है, लिहाजा स्टूडेन्ट्स अपनी स्पेशलिटी में मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं स्टूडेन्ट्स की आगे की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। स्टूडेन्ट्स का कहना है कि वे डीएनबी कोर्स के लिए भी वे आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही स्टूडेन्ट्स पोस्टग्रेजुएशन योग्यता वाली नौकरी के लिए वे अप्लाई भी नहीं कर पा रहे हैं।