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यदि मिल जाए वो शख्स तो मप्र में भी दौडऩे लगेगी मेट्रो…

locationभोपालPublished: Dec 15, 2016 09:37:00 am

Submitted by:

rb singh

प्रदेश सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एमपी मेट्रो रेल के अगले पांच साल पटरी पर आने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

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भोपाल. प्रदेश सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एमपी मेट्रो रेल के अगले पांच साल पटरी पर आने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। चार साल में सरकार प्रोजेक्ट के लिए लोन का इंतजाम तक नहीं कर सकी है और जिन एजेंसियों को मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं वो भी खासरुचि नहीं दिखा रही हैं।

कुल मिलाकर 2014 के चुनावी मौसम में 2018 तक मेट्रो रेल चलाने का किया गया वादा फ्लॉप हो गया है। एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन के पीछे हटने के बाद एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से कर्ज लेने की जुगत लगा रहा है। पूरे घटनाक्रम में पूर्व गृहमंत्री बाबूलाल गौर के बयान के बाद नया मोड़ आ गया है। गौर के मुताबिक प्रोजेक्ट नगरीय प्रशासन संचालनालय से वापस लेकर भारतीय रेलवे को सौंपा जाए, ताकि अगले 5 साल बाद मेट्रो रेल चलने की स्थिति बन सके। उल्लेखनीय है कि भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के पहले चरण की लागत 1400 करोड़ रुपए आंकी गई है। राज्य और केंद्र की सरकारें सिर्फ 40 प्रतिशत का इंतजाम कर पाईं हैं, जबकि बाकी 60 प्रतिशत राशि कर्ज के रूप में जुटाने के प्रयास चल रहे हैं।

बार-बार बदली प्लानिंग
भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट लगातार लेट होने की प्रमुख वजह प्लानिंग में बार-बार बदलाव को माना जा रहा है। सबसे ज्यादा संशोधन एमडी विवेक अग्रवाल के कार्यकाल में नई टीम (ईएनसी जितेंद्र दुबे, टेक्निकल एडवाइजर विजेंद्र नानावटी, ओएसडी कमलचंद्र नागर) की ओर से हुए थे। इससे पहले एमडी एवं आईएएस संजय शुक्ला और गुलशन बामरा ने मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की प्लानिंग तैयार करवाई थी। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, कैलाश जोशी सहित बाबूलाल गौर इन अफसरों को आड़े हाथों ले चुके हैं।

दोनों प्रोजेक्ट बेहद खर्चीले
भोपाल :- रूट नंबर 2 करोंद से एम्स और रूट नंबर 5 भदभदा से रत्नागिरी तक पहले फेज में मेट्रो का ट्रायल रन होना है। इस फेज की लागत 6962.92 करोड़ रु.आंकी गई है।इंदौर :- पहले चरण में 7100.50 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इससे रूट नंबर 1 बायपास से भंवरसला तक मेट्रो रेल का ट्रैक तैयार किया जाना है।

केंद्र की मंजूरी बगैर आगे नहीं बढ़ेगा काम
मेट्रो रेल पर अभी भी केंद्र की मंजूरी मिलनी शेष है। एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने भोपाल और इंदौर के पहले फेज की रिपोर्ट केंद्र के 20 मंत्रालयों को भेजकर औपचारिक अनुमति मांगी है। ये प्रक्रिया जाइका के इंकार के बाद धीमी पड़ी है। केंद्र और राज्यका पूरा फोकस प्रोजेक्ट के लिए निवेश जुटाने पर है। जाइका के इंकार के बाद एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन एडीबी और यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक से चर्चा कर रहा है ताकि भोपाल व इंदौर में पहले चरण का काम शुरू हो सके। पहले चरण में भोपाल को 4,177 और इंदौर को 4,260 करोड़ रुपए कर्ज चाहिए।

सीधी बातबाबूलाल गौर पूर्व गृहमंत्री
क्या प्रोजेक्ट शुरू से ही विलंब से चल रहा था?
जवाब : मेरे कार्यकाल में प्लानिंग बनकर तैयार हुई थी। बाद में कई परिवर्तन हुए। एेसे काम नहीं चलेगा।
अब प्रोजेक्ट का क्या भविष्य देखते हैं आप?
जवाब : ये प्रोजेक्ट नगरीय प्रशासन से लेकर रेलवे को सौंप देना चाहिए। यही एक विकल्प है।
क्या आपने इस बारे में सरकार को सुझाव दिए हैं?
जवाब : बार-बार अफसरों के तबादलों से प्लानिंग पर असर पड़ता है। स्थाइत्व का सुझाव पहले दिया था।

विवेक अग्रवाल एमडी, एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन
मेट्रो रेल प्रोजेक्ट लेट होने की क्या वजह है?
जवाब : प्रोजेक्ट लेट नहीं है। फंड का इंतजाम होते ही काम शुरू हो जाएगा।
क्या प्रोजेक्ट में बार-बार संशोधन हुए थे?
जवाब : जो भी परिवर्तन हुए वो जाइका एवं शासन के मुताबिक हुए थे।
प्रोजेक्ट का आगे क्या भविष्य है?
जवाब : वित्तीय सहायता के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) एवं यूरोपियन बैंक से चर्चा चल रही है। जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

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