इसका बड़ा फायदा ये होगा कि इसके जरिए वास्तविक ड्राइवर को ही लाइसेंस मिलेंगे, जिससे दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
भोपाल। मध्य प्रदेश के किसी भी आरटीओ ऑफिस से अब बिना टेस्ट दिए ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना आसान नहीं होगा, क्योंकि लाइसेंस सिर्फ उन्हीं को मिलेगा, जिन्हें कुशल ड्राइविंग के सभी गुर पता हों और इसे टेस्ट में साबित भी करना होगा, पर खास बात है कि ये टेस्ट अधिकारी नहीं, बल्कि कम्प्यूटर लेगा और उसकी रिपोर्ट के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस बनेगा।
40 सेकंड में चल जाएगा पता
कम्प्यूटर में फीड किए गए सॉफ्टवेयर से तय होगा कि टेस्ट के लिए तैयार खास ट्रैक पर वाहन सही तरीके से चलाया गया या नहीं। इस ऑटोमैटेड ड्राइविंग ट्रैक की व्यवस्था तीन साल में पूरे मध्य प्रदेश के आरटीओ दफ्तर में की जाएगी। ट्रैक पर वाहन चलाने के 40 सेकंड बाद ये रिपोर्ट मिल जाएगी कि आपको लाइसेंस मिलेगा या नहीं।
ये होगा हमें फायदा
इसका बड़ा फायदा ये होगा कि इसके जरिए वास्तविक ड्राइवर को ही लाइसेंस मिलेंगे, जिससे दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। प्रदेश में ऑटोमैटेड ड्राइविंग ट्रैक की शुरुआत सबसे पहले इसी साल दिसंबर से इंदौर से होगी। इंदौर के बाद परिवहन विभाग की योजना अगले तीन साल में प्रदेश के सभी जिलों में इस तरह के ट्रैक बनाने की है। सभी आरटीओ में इस ट्रैक को तैयार करने की जमीन तलाश ली गई है।
ऐसे होगा ड्राइविंग टेस्ट
– अब तक जहां ड्राइविंग टेस्ट लेने के लिए वाहन चालक से वाहन चलवा कर वहां मौजूद अधिकारी तय करता है कि व्यक्ति को वाहन चलाना आता है या नहीं, वहीं अब ट्रैक पर वाहन चलाने को कहा जाएगा।
– ट्रैक पर सेंसर लगे होंगे और वाहन को ट्रैक पर उतारने के पहले एक सेंसर चिप और एक जीपीएस डिवाइस लगाया जाएगा।
– ट्रैक पर चालक को अलग-अलग टेस्ट देने होंगे। मसलन कार पार्किंग करना, चढ़ाई पर कार रोककर वापस चलाना, इंग्लिश के आठ के डिजाइन में बनी सड़क पर ड्राइविंग करना होगा।
– इसके अलावा रेड लाइन पर जेब्रा क्रॉसिंग के रूकना और मार्ग पर लगे विभिन्न बोर्ड के हिसाब से वाहन चलाना शामिल है।
– ट्रैक पर लगे कैमरे पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग करेंगे और सेंसर यह बताएंगे कि वाहन कहां-कहां ट्रैक से भटका यानी उसने गलती की।