नवरात्रः भगदड़ की हो चुकी है 5 बड़ी घटनाएं, MP में कितने तैयार हैं हम
एक अक्टूबर को नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इन दिनों शक्तिपीठ, देवी पंडालों में हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं, ऐसे में सरकार को भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम करना चाहिए।
मनीष गीते
भोपाल। देश के धार्मिक मेले और मंदिरों में जानलेवा हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। नवरात्र के दौरान मंदिरों में उमड़ने वाली भीड़ के अनियंत्रित होने के कारण सैकड़ों श्रद्धालु आकस्मिक मौत की गिरफ्त में आ जाते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों के विराट रूप ले लेने के साथ ही वहां भीड़ प्रबंधन के इंतजाम नहीं होने के कारण भगदड़ जैसी घटनाएं होती हैं। इसमें मौत का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा सीमा पार से चल रही आतंकवादी गतिविधियों के कारण हिन्दुस्तान में कहीं भी आतंकवादी घटना हो सकती है, ऐसे में सरकार और श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की जरूरत है…। क्योंकि आतंकवादी भारत में उमड़ने वाली भीड़ को निशाना बना सकते हैं।
एक अक्टूबर को नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इन दिनों शक्तिपीठ, देवी पंडालों में हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं, ऐसे में सरकार को भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम करना चाहिए। पिछले अनुभव बताते हैं जरा सी लापरवाही के कारण पिछले कई सालों में लगातार भगदड़ की घटनाएं हो रही हैं। इस बार भी सरकार के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने की चुनौती होगी…।
MP में पिछले सालों में हुए हादसों पर एक नजर डालते हैं…।
सतनाः 25 अगस्त 2014
कामतानाथ मंदिर में भगदड़, 10 लोगों की मौत
मध्यप्रदेश के चित्रकूट में है कामतानाथ मंदिर। यहां श्रावण में उमड़ी भीड़ में कोहराम मच गया था। इस हादसे में 10 लोग मारे गए और करीब 60 लोग घायल हो गए थे। यहां मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं थीं। राज्य सरकार ने मरने वालों को मुआवजा दिया, लेकिन भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम नदारद थे।
दतिया: 13 अक्टूबर 2013
रतनगढ़ माता मंदिर में 115 लोगों की मौत
रतनगढ़ माता मंदिर में रविवार का दिन बेहद त्रासदी भरा था। यहां दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं को नहीं मालूम था कि वे यहां की अव्यवस्थित भीड़ में कहीं खो जाएंगे। यहां एक पुल से गुजरने के दौरान अचानक भगदड़ मच गई, लोग बहती सिंध नदी में कूदने लगे, एक-एक करके 115 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे और महिलाएं ही थे। हादसे के बाद कई लाशें पुल पर ही बिछ गई थी। मंदिर जाने वाला पुल काफी संकरा था। उस पर बड़ी संख्या में टैक्टरों के पहुंचने से जाम लग गया और भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस ने भी बल प्रयोग किया तो लोक तितर-बितर होने लगे थे। नतीजा कई जिंदगियां खत्म हुई और कई घर उजड़ गए। इस भयावह हादसे के दौरान भी भीड़ प्रबंधन के इंतजाम गायब हैं।
सीहोर: 20 अक्टूबर 2012
सलकनपुर में भगदड़, 3 मरे, 35 घायल
जिले के प्रसिद्ध विजयासन देवीधाम सलकनपुर में सुबह का वक्त था। भोपाल से यह स्थान 70 किमी दूर विध्यांचल पहाडी पर स्थित है। देश की 32 शक्ति पीठों में से एक माने जाने वाले इस मंदिर में वैसे तो साल भर भीड रहती है। लेकिन, नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। उस दिन भी नवरात्र का पहला दिन था। सीढियों पर भीड़ बढ़ गई थी। अचानक भगदड मच गई, जिससे एक बालिका सहित तीन महिलाओं की दबकर मौत हो गई और सीढ़ियों से गिरने और दबने से 35 दर्शनार्थी भी घायल हुए थे। यहां भी प्रशासन की लापरवाही सामने आई। रोप-वे बंद करने के कारण पूरा दबाव सड़क मार्ग और सीढ़ियों पर होने से भी स्थिति गड़बड़ा गई। यहां भी व्यवस्था में खामियां सामने आई थीं।
रतलाम, 14 जनवरी 2012
चेहल्लूम के मौके पर भगदड़, 12 की मौत
रतलाम के जावरा में चेहल्लूम के मौके पर अंगारों पर चलने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचते हैं। उस दिन भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे और कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई। कुछ देर बाद ही भक्ति का माहौल मातम में बदलने लगा। यहां मची भगदड़ में 12 लोग मारे गए। गौरतलब है कि जावरा तहसील में स्थित हुसैन की टेकरी में मुस्लिम समाज का चहल्लुम पर्व मनाया जाता है। इसी आग से खेलने और तलवारबाजी का प्रदर्शन किया जाता है।
ओंकारेश्वर: 19 जुलाई 1993
21 साल से जांच का अता-पता नहीं
खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में बारह ज्योतिर्लिंगों में से चतुर्थ स्थान पर है यह ज्योतिर्लिंग। इस दिन सोमवती अमावस्या थी और हजारों श्रद्धालु नर्मदा स्नान कर रहे थे, वहीं हजारों लोग भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए लाइन में लगे हुए थे। इस बीच झूला पुल पर करंट फैलने की अफवाह फैल गई। लोग खबरा कर इधर-उधर भागने लगे। देखते-ही-देखते यहां 20 लोगों के मरने की खबर आ गई। जबकि प्रशासन ने 6 महिलाओं के मारे जाने और 28 श्रद्धालुओं के घायल होने की बात बताई थी। तत्कालीन राज्यपाल डॉ. मोहम्मद शफी कुरैशी (उस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था) की ओर से योजना,आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के प्रमुख सचिव केएस शर्मा को 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। आज 22 वर्ष बाद भी किसी को नहीं पता कि उस जांच का क्या हुआ। दोषी कौन था और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने के क्या इंतजाम किए गए।
भारत में ही होती है भगदड़ की घटनाएं, जरूरी है भीड़ प्रबंधन
भीड़ प्रबंधन का अध्ययन कर रहे एक अंतरराट्रीय विशेषज्ञ का मानना है कि भारत में भीड़ और भीड़भाड़ वाली जगहों के प्रति लोगों का उच्च सहनशील होना ही इन घटनाओं को बढ़ावा देता है।
एक अध्ययन के मुताबिक जब तक किसी समारोह में लोग एक जगह ठसाठस भर न जाए, तब तक लोग असहज महसूस नहीं करते हैं। फिर लोग हड़बड़ा कर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इसी हड़बड़ी में अफवाह फैलती है, जिसके बाद भगदड़ जैसी घटनाएं हो जाती हैं।
भारत में लगभग हर साल भगदड़ की घटनाएं होती हैं। कभी-कभी एक बार से अधिक, त्योहारों, धार्मिक यात्राओं और चुनावी रैलियों के दौरान लोगों को रौंद कर मारे जाने की खबरें आती हैं और इन दुखद घटनाओं पर नजर डाले तो पता चलता है कि इनमें मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि इसके पीछे भीड़ प्रबंधन की कमी है।
सिंहस्थ ने पेश किया भीड़ प्रबंधन का अच्छा उदाहरण
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मध्यप्रदेश के उज्जैन में हाल ही में संपन्न हुए सिंहस्थ में यह अच्छा बात रही की यहां भीड़ प्रबंधन की अच्छी व्यवस्था की गई थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लोगों को अलग-अलग मार्गों से गुजारा जा रहा था। किसी भी एक स्थान पर भीड़ का दबाव बढ़ने नहीं दिया जा रहा था। खासबात यह रही कि सिंहस्थ में ज्यादातर स्थानों को वन वे रखा गया था। 24 घंटे प्रशासन की कई टीमों ने मेहनत करके भीड़ प्रबंधन का अच्छा उदाहरण दिया था।