भोपाल। इन दिनों सावन माह चल रहा है, इसे भगवान शिव का अतिप्रिय मास माना जाता है। 31 जुलाई को सावन का चौथा सोमवार है, इस दिन तंत्रेश्वर शिव का पूजन किया जाता है।
सावन इस बार सोमवार से शुरू हुआ है, साथ ही इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ रहे है। 31 जुलाई को सावन का चौथा सोमवार है और पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दिन अगर आप विधि विधान से पूजा करते है, तो आपको मिलेंगे हर भौतिक सुख।
ऐसे करें पूजा
भगवान शिव – आशुतोष यानि तत्काल प्रसन्न होने वाले माने जाते हैं। वे जल व बिल्वपत्र से ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शिव महापुराण में कहा गया है कि –
मान्यता है कि तीन दलों (पत्तियों) से युक्त एक बिल्वपत्र जो हम शिव को अर्पण करते हैं, वह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है व त्रिगुणात्मक शिव की कृपा भौतिक संसाधनों से युक्त होती है। इसलिए श्रावण मास में भगवान भोले को इनके अर्पण करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
सावन का चौथा सोमवार…
पंडित शर्मा के अनुसार सावन के चौथे सोमवार यानि 31 जुलाई को तंत्रेश्वर शिव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट्’ मंत्र का जाप 11 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए।
तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी चढ़ाने का महत्व है।
ऐसे करें व्रत
सोमवार को मंदिर में जाकर भगवान शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करें। साथ ही एक मुट्ठी जौ चढ़ाएं। इसके बाद शाम को मीठे से भोजन करें।
अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करें। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। मान्यता है कि जो लोग सच्चे भाव व नियम से भगवान शिव की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन दिनों में सफेद वस्तुओं के दान की अधिक महिमा है।
माना जाता है कि सावन (श्रावण) माह में शिवलिंग पर जल इसीलिए अर्पित करते हैं ताकि शिव के कंठ में मौजूद विष के प्रभाव को कम किया जा सके। शिवपुराण में इस बात का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसलिए शिव भक्त श्रावण माह में शिवलिंग पर जल अर्पित कर अपनी मनोकामानाओं की पूर्ति का वरदान मांगते हैं।
वैसे तो श्रावण माह शिव का माह है लेकिन इस माह में प्रकृति भी मेहरबान रहती है। श्रावण माह में प्रकृति भी हरियाली की चादर ओढ़ चुकी होती है।
इस माह में श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की आराधना करना शुभ माना जाता है। जिसमें श्रावण माह के चौथे सोमवार को जौ से और पांचवे सोमवार को सत्तु अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने पर भगवान शिव की कृपा शिवभक्त पर जरूर बरसती है।
सावन का पांचवां सोमवार…
इसके बाद पांचवें सोमवार को यानि 7 अगस्त को शिव स्वरूप भोले की पूजा होगी। इसके तहत पांचवीं सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है।
वैसे साधन को जो सावन में किसी कारण कोई सोमवारी नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवी सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
शिव पूजन विधि
भगवान शिव बड़े सरल और सुलभ है,शिव की पूजा भी बड़ी ही सरलता से की जाती है।
शिव पूजा में गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करके भोलेभंडारी को वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। इसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं और अंत में पूजा करने के बाद आरती कर क्षमा याचना करनी चाहिए।
माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा,आराधना से शिव भक्तों को रोगों से मुक्ति, शरीर में अद्भूत ऊर्जा की अनुभूति, शक्ति में बढ़ोतरी, मनोवांछित फल की प्राप्ति, अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति, कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति, नवीन कार्य की पूर्ति, ग्रहों से शांति, संतान सुख की प्राप्ति, आरोग्यता, नौकरी की प्राप्ति, समस्ता बाधाओं से मुक्ति मिलती है।