भोपाल. राज्यसभा की तीसरी सीट पर चुनाव के लिए भाजपा प्रदेश नेतृत्व राजी नहीं था। कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा को वॉकओवर देने की मंशा हो या जोड़-तोड़ से बचने की राजनीति, लेकिन भाजपा के सारे कदम बैकफुट पर धकेलने वाले थे। दिल्ली के दबाव के बाद अनमने ढंग से एक कमजोर चेहरे विनोद गोटिया को मैदान में उतारा गया। चुनाव में भाजपा मैदान में बिल्कुल नहीं दिखी, लेकिन गोटिया की बजाय यह करारी हार भाजपा के खाते में ही दर्ज हुई। भाजपा के दो प्रत्याशी अनिल दवे और एमजे अकबर जीतकर राज्यसभा चले गए हैं, लेकिन इस जीत से ज्यादा पार्टी के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया की हार के चर्चे है। गोटिया को मैदान में उतारने से लेकर लड़ाने तक में भाजपा प्रदेश संगठन पूरी तरह से अलग-थलग नजर आया। कई मजबूत चेहरों को दरकिनार कर गोटिया को लड़ाने से ही प्रदेश संगठन की मंशा पर सवाल खड़े हो गए थे। इसके बाद वोटों के गुणा-भाग में भी दूसरी पार्टी के विधायकों को साथ लाने में प्रदेश नेतृत्व ने कोई खास प्रयास नहीं किए।
हमेशा अलग-थलग
गोटिया चुनाव में अलग-थलग नजर आए। दिल्ली पर बसपा को साथ लाने का दारोमदार छोड़ दिया गया। निर्दलीय दिनेश राय मुनमुन ने आखिरी वक्तपर पाला बदल लिया। नंदकुमार और नरोत्तम सक्रिय नहीं रहे। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भोपाल ही नहीं आए। कैलाश विजयवर्गीय ने भी दूरी बनाए रखी, ताकि सियासी फायदा उठा सकें। वे वोट डालने के बाद भी प्रदेश संगठन को कठघरे में खड़ा कर गए कि इनके गंभीरता से चुनाव लडऩे पर क्या कहूं। हरियाणा का पूछिए, जहां हमने चुनाव ताकत से लड़ा है।
ये रहीं प्रमुख वजह
– भाजपा के साथ की वजह से गोटिया अतिआत्मविश्वास में आ चुके थे। उन्होंने सारे विधायकों से बात तक नहीं की।
– भाजपा प्रदेश नेतृत्व केवल दिल्ली के दबाव पर साथ दिखा, लेकिन गोटिया की मदद से दूरी बनाए रखी।
– कांग्रेस एक-एक वोट के लिए फील्डिंग जमा चुकी थी, जबकि भाजपा कोर्ट में भी मजबूत पक्ष नहीं रख पाई।
– भाजपा ने तीसरी सीट पर चुनाव के लिए अधिकृत प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने की हिम्मत नहीं दिखाई।
– भाजपा के नेता बैठक के अलावा कहीं एकजुट नहीं दिखे।
– भाजपा के सारे विधायकों के वोट भी अनुशासन की दुहाई देकर डलवाए गए। ं
इधर…कांग्रेस को एक वोट चाहिए था, बटोर लिए चार
मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए शुक्रवार को हुए मतदान के बाद सबसे ज्यादा लाभ कांगे्रस को ही हुआ। रणनीति सफल होने से गदगद कांग्रेस अब और उत्साह में है। कांगे्रस इसे आम विधानसभा चुनाव के पूर्व की रिहर्सल के तौर पर देख रही है। मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव की कमान संभाले कमलनाथ पूरे समय सक्रिय रहे। वे विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र सिंह के साथ उनके चेम्बर में विधायकों से चर्चा करते रहे। यहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मध्यप्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश भी मौजूद रहे। जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव परिसर में विधायकों के संपर्क में रहे। मतदान में कुल 228 विधायकों ने हिस्सा लिया। देवसर से भाजपा विधायक राजेंद्र मेश्राम को मतदान का अधिकार नहीं मिला है, जबकि नेपानगर से विधायक राजेंद्र दादू का गुरुवार को सड़क हादसे में निधन हो गया है।
ऐसी थी रणनीति
-अपने विधायकों को एकजुट रखा। उन्हें कोई गुमराह न कर सके, इसके लिए उन्हें अलर्ट किया गया।
-विधायकों में संवाद बना रहे इसलिए सभी दोपहर और रात्रिभोज एक साथ करते रहे।
-गुरुवार को अरुण यादव ने रात्रि भोज दिया, शुक्रवार को तन्खा ने दोपहर भोज दिया तो कमलनाथ ने अपने निवास में रात्रिभोज का इंतजाम किया।
-यहीं रणनीति बनी कि सभी विधायक एक साथ मतदान करने पहुंचेगे। विधायक नजरबंद भी रहे।
सर्वाधिक वोट
कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा के लिए वैसे तो कांग्रेस विधायकों की संख्या के आधार पर एक वोट कम पड़ रहा था, लेकिन बसपा का साथ मिलने से उन्हें सभी उम्मीदवारों के मुकाबले सर्वाधिक 62 वोट मिले।
दोनों बोले-हम ईमानदार, वे खरीद-फरोख्त में जुटे थे
यह कांग्रेस की जीत है। भाजपा ने जानबूझकर चुनाव करवाया। वे प्रदेश को अरुणाचल और उत्तराखंड बनाना चाहते थे। यह साफ हो गया कांग्रेस-बसपा विधायक बिकाऊ नहीं है। 2018 का शंखनाद हो चुका है। भाजपा दो वकील मुझे (विवेक तन्खा) और कपिल सिब्बल को सदन में आने से रोकना चाहती थी। व्यापमं, उत्तराखंड और भ्रष्टाचार के कई केस हम लड़ रहे हैं। हम इन मुद्दों को सदन में उठाते रहेंगे।
– विवेक तन्खा, कांग्रेस
यह पार्टी की जीत है। मुझे खुशी हुई कि मध्यप्रदेश से राज्यसभा में जाने को मिला है। प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका मिला है। प्रदेश में आने-जाने का सिलसिला चलता रहेगा। जल्द ही विकास के लिए प्रदेश का एक गांव गोद लूंगा।
-एमजे अकबर, भाजपा
यह भाजपा और कार्यकर्ताओं की जीत है। हम पहले से राज्यसभा में जनता के लिए काम करते रहे हैं। इसी तरह जनता के मुद्दों को उठाते रहेंगे।
-अनिल माधव दवे, भाजपा
भाजपा का पूरा समर्थन मिला। सारे विधायक साथ में थे। कांग्रेस की जीत में बसपा विधायकों की खरीद-फरोख्त हुई है। मायावती ने सांप्रदायिक ताकतों का साथ पैसा लेकर दिया है। कांग्रेस ने अनैतिक संसाधनों से चुनाव जीता है।
– विनोद गोटिया, भाजपा समर्थित प्रत्याशी
हमने स्वच्छ चुनाव लड़ा। भाजपा राजनीति में हमेशा पैसे का बल प्रयोग करती है। यह चुनाव भाजपा के भ्रष्टाचार की व्यवस्था के खिलाफ था। बीते दस साल में प्रदेश का विकास रुका हुआ है। सभी परेशान है। अब 2018 के चुनाव का बिगुल बज गया है।
– कमलनाथ, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
भाजपा ने पूरी शुचिता के साथ चुनाव लड़ा। हमारे दोनों प्रत्याशी जीत गए। पार्टी समर्थित विनोद गोटिया की हार के पीछे कांग्रेस की खरीद-फरोख्त है। कांग्रेस ने बसपा के वोट लिए। उसने हॉर्स ट्रेडिंग की है या एलिफेंट ट्रेडिंग यह जनता ही तय करेगी। निर्दलीय दो विधायक ने भी पार्टी का साथ दिया।
– नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष, भाजप
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