भोपाल। उत्तर प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक, संविदा शिक्षकों को भी नियमित करने और सीधी भर्ती की उम्मीद लगने लगी है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में बेरोजगार बैठे लाखों युवा जल्द से जल्द संविदा शिक्षकों के 41 हजार पद भरे जाने और संविदा शिक्षक और अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की मांग कर रहे हैं।
उत्तरप्रदेश के शिक्षा मित्रों की तरह ही मध्यप्रदेश के संविदा शिक्षक और अतिथि शिक्षक बरसों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक पौने दो लाख शिक्षा मित्रों को नहीं हटाया जाएगा। साथ ही उन्हें दो भर्तियों में परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। इसमें उन्हें अनुभव का लाभ भी दिया जाएगा। इधर काफी समय से मध्यप्रदेश में लंबित शिक्षकों की कमी पूरी करने की मांग पर फैसला नहीं हो पा रहा है। सरकार यह फैसला दिनों दिन टालती जा रही है।
खास बात
-अतिथि शिक्षकों की कमी के चलते विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पा रही हैं।
-इस बार अतिथि शिक्षकों के बिना ही शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया, लेकिन कुछ स्कूलों में बगैर आदेश के ही अतिथि शिक्षक काम पर रख लिए गए।
-सरकारी स्कूलों में पूरा स्टाफ नहीं होने के चलते इन्हें रखा गया था। इस वर्ष शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक माह हो गया है, लेकिन शासकीय स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को रखने के लिए अभी कोई आदेश नहीं आए हैं।
2018 के चुनाव से पहले होगी 50 हजार भर्ती
MP में लंबे समय से बेरोजगार युवा सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे है। सरकार जल्द ही 50 हजार से अधिक पदों पर भर्ती करने वाली है। जिनमें पटवारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की भर्ती हरी झंडी हैं, साथ ही संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षकों की प्रक्रिया भी जल्द ही शुरू होने वाली है।
लेटलतीफी का कारण चुनाव
सरकार के फैसले में हो रही लेटलतीफी के कारण माना जा रहा है कि सरकार 2018 और 2019 में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार चुनाव में अपना पक्ष मजबूत करना चाहती है। इसलिए वे ऐसे समय में बेरोजगारों को नौकरियां देगी जिससे चुनाव में यह शिक्षक सरकार के फेवर में रहे।
11 हजार नियुक्ति की घोषणा
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों ही एक कार्यक्रम में यह आधिकारिक घोषणा की थी कि 10 हजार पटवारियों, 550 तहसीलदार और 940 नायब तहसीलदारों की भर्ती की जाएगी। लंबे समय से सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे थे। अतिथि शिक्षक संघ के संजय दुबे के मुताबिक सरकार ने अतिथि शिक्षकों की भर्ती के बगैर ही शिक्षा सत्र की शुरुआत कर दी। यह गलत है। हम इतने सालों से सरकार को अपनी सेवाएं दे रही हैं, हमें भी उत्तरप्रदेश के शिक्षा मित्रों की तरह समायोजित करना चाहिए। साथ ही हमारा वेतन भी बढ़ाना चाहिए। दुबे ने बताया कि उन्हें पूरे महिने मेहनत करने के बाद 2400 रुपए के करीब पैसा मिलता है, जबकि दिल्ली के अतिथि शिक्षकों को 32 हजार रुपए वेतन मिलता है।
रिक्त पदों की भर्ती के आदेश जारी, लेकिन कर दी ये गड़बड़
शासकीय विद्यालयों में स्वीकृत शैक्षणिक पदों के अनुरूप रिक्त पदों को अतिथि शिक्षकों से भरने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने 20 जुलाई को आदेश निकाला है। आदेश में अतिथि शिक्षकों की भर्ती की तारीख 11 जुलाई दी गई है। जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग ने नौ नवंबर 2016 को आदेश जारी कर शाला स्तर पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की स्वीकृति दी थी। नियुक्ति ऑन लाइन की जानी है। 11 अप्रैल 2017 तक शालाओं में स्वीकृत पदों के अनुरूप पदस्थापना की जा रही है। इसके लिए विभाग अभी युक्तियुक्तकरण कर रहा है। शेष बचे पदों पर अतिथि शिक्षक रखे जाने हैं।
हालांकि कई विद्यालयों ने अतिथि शिक्षक रख लिए हैं। शासन द्वारा 20 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है कि जिन विद्यालयों में अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं उन्हें भी ऑनलाइन आवेदन करना है। ऐसा नहीं करने पर उनकी नियुक्ति स्वयं निरस्त मानी जाएगी।
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