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वायरल हुई थी इस IPS की FB पोस्ट, उमा भारती को पहुंचाया था जेल

locationभोपालPublished: Jul 18, 2017 02:53:00 pm

Submitted by:

rishi upadhyay

डी रूपा का नाम एक बार फिर से चर्चा में है। डी रूपा ने एआईएडीएमके की महासचिव वीके शशिकला को दिए जाने वाले स्पेशल ट्रीटमेंट का खुलासा किया था, जिसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया है।

भोपाल। अगस्त 2004 में जब मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ 1994 के हुबली दंगा मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था तब उमा भारती के अलावा एक और शख्स का नाम काफी चर्चा में आया था। ये नाम था डी रूपा का। कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती को गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए गए थे और आईपीएस ऑफीसर डी रूपा ही उमा भारती को गिरफ्तार करने पहुंचीं थीं। 


डी रूपा का नाम एक बार फिर से चर्चा में है। डी रूपा ने एआईएडीएमके की महासचिव वीके शशिकला को दिए जाने वाले स्पेशल ट्रीटमेंट का खुलासा किया था, जिसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया है। डी रूपा ने शनिवार को एआईएडीएमके अध्यक्ष शशिकला मामले में अपनी दूसरी रिपोर्ट डीजीपी आर के दत्ता को सौंपी थी। जिसमें उन्होंने जेल में चल रहे भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।


पुलिस बल में अपने ईमानदार रवैये के चलते रूपा की हमेशा प्रशंसा हुई है। डी रूपा साल 2000 में आईपीएस अधिकारी बनीं थीं। उन्होंने यूपीएससी में 43वां स्थान हासिल किया था। इतना ही नहीं प्रशिक्षण के दौरान डी रूपा अपने बैच में पांचवें स्थान पर रहीं। आपको बता दें कि रूपा अपने बैच की अकेली अधिकारी रहीं हैं जिन्हें कर्नाटक कैडर मिला। रूपा एक बेहतरीन शार्प शूटर हैं, इसमें उन्होंने कई पदक भी जीते हैं।


डी रूपा के सुर्खियों में रहने और सख्त कदम उठाने की वजह से उन्हें सुपरकॉप कहा जाता है, वहीं उनकी सेवाओँ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुलिस पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है। डी रूपा सिर्फ एक बेहतरीन पुलिस ऑफिसर ही नहीं हैं, भरतनाट्यम में पारंगत होने के साथ ही डी रूपा शास्त्रीय गायन में भी सिद्धहस्त हैं।


आपको बता दें कि हाल ही में डी रूपा का एक पोस्ट वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने मैसूर के सांसद प्रताप सिन्हा पर आरोप लगाया था कि नेता अपने पसंद से अफसरों की पोस्टिंग कराते हैं। उन्होंने इस पोस्ट में सांसद के विचारों को खतरनाक बताते हुए लिखा कि इनकी वजह से राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी पसंद के अनुरूप पद नहीं मिल रहा है।

बाद में इस पोस्ट को फेसबुक ने हटा दिया था। फेसबुक से पोस्ट को हटाए जाने के बाद उन्होंने लिखा, “ये अजीब है। माननीय प्रताप सिंह का विचारों विरोध करते हुए मैंने जो पोस्ट लिखा वह गायब हो चुका है। प्रिय फेसबुक, ये सही नहीं है।”
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