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एक दिन में 300 एडमिशन, इसमें कहीं न कहीं गड़बड़ी तो होती है

locationभोपालPublished: Jan 05, 2017 08:43:00 am

Submitted by:

Juhi Mishra

इसमें कही न कहीं गड़बड़ी तो होती है। एेसे में कॉलेजों को ऑटोनोमी दे दी जाए तो न जाने क्या होगा। उन्होंने प्रश्नपत्र में हिंदी भाषा के उपयोग को लोकहित में बताया।

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http://www.patrika.com/news/bhopal/kerala-cm-returned-after-protest-of-the-middle-way-in-bhopal-1461126/

भोपाल। तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा बुधवार को कार्यशाला आयोजित की गई। तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने कहा कि सरकार लोकहित में निर्णय लेती है। कॉलेज लेवल काउंसलिंग लोकहित का निर्णय नहीं थी। यह इसलिए की गई थी, ताकि कॉलेजों को राहत मिल सके, लेकिन एक कॉलेज में एक ही दिन में 300 एडमिशन हो जाते हैं। 

इसमें कही न कहीं गड़बड़ी तो होती है। एेसे में कॉलेजों को ऑटोनोमी दे दी जाए तो न जाने क्या होगा। उन्होंने प्रश्नपत्र में हिंदी भाषा के उपयोग को लोकहित में बताया। साथ ही कहा कि गुणवत्ता सुधार के लिए एक समान प्रस्ताव बनाएं। जेईई के आधार पर ही एडमिशन दिए जाएंगे। इस पर सभी ने चिंता जताई। कार्यशाला में प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव, संचालक प्रो. वीरेंद्र कुमार एटीपीआई के अध्यक्ष जेएन चौकसे सचिव बीएस यादव, कन्वीनर केसी जैन सहित कई अधिकारी और कॉलेज के चेयरमेन उपस्थित थे।


पांच हजार की नौकरी
प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि बीटेक की डिग्री लेकर स्टूडेंट को पांच से छह हजार की नौकरी मिल रही है। यह चिंता का विषय है। इस पर सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने बताया कि प्लेसमेंट के लिए सेंट्रलाइÓड पोर्टल तैयार किया जा रहा है।

एक निजी कॉलेज की चेयरमेन और वित्तमंत्री जयंत मलैया की पत्नी सुधा मलैया ने कहा कि अनाप-शनाप तरीके से कॉलेज खोले गए। कैसे-केसे एचआरडी मिनिस्टर रहे, भ्रष्टाचार हुआ और उसका नतीजा सब भोग रहे हैं। गुणवत्ता सुधारने के लिए नए कॉलेज खुलना बंद होना चाहिए।

सीट नहीं बढ़े कोई नई ब्रांच खुलना बंद। एक कॉलेज के पास 580 से अधिक सीट नहीं होनी चाहिए। इसके लिए बड़े ग्रुप के कॉलेजों को त्याग करना पड़े तो करना होगा। इसके अलावा मलैया ने कहा कि आरजीपीवी के पास जो करोड़ों रुपए हैं उसका उपयोग नए विवि खोलने की योजना पर नहीं कर कॉलेजों की मदद करने में खर्च करना चाहिए। 


समस्याएं और सुझाव
0 निजी कॉलेजों को ऑटोनॉमी दी जाए।
0 स्कॉलरशिप फीस के बराबर हो। यह कॉलेज के पास पहुंचे।
0 पूना से सिंबायोसिस और नरसिममुंजी को बुलाया गया और उन्हें पांच करोड़ प्रति एकड़ कीमत वाली जमीन 25 लाख रुपए एकड़ में उपलब्ध करा दी गई। उन्हें तीन महीने में यूनिवर्सिटी का दर्ज दे दिया गया। जबकि, सबके लिए समान क्राइटेरिया होना चाहिए। 
0 अभी हम आरजीपीवी के चंगुल में फंसे हुए हैं। एेसी व्यवस्था हो, जिसमें कॉलेज चाहे तो राष्ट्रीय स्तर के विवि से संबद्धता ले सके। 
0 एडमिशन प्रक्रिया की आखिरी तारीख को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सिर्फ मप्र में लागू होता है। अन्य राज्यों में नहीं होता। जो कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। विवि आर्थिक मदद करे।
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