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भोपाल

MP में सिर्फ कागजों में दौड़ रही हैं ट्रेन, यहां चाहिए ‘प्रभु’ की कृपा

रेलवे के लिहाज से बुन्देलखंड इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। यहां पर ‘प्रभु’ की विशेष कृपा की जरूरत है। बीना को छोड़कर सागर, दमोह, छतरपुर, खजुराहो और टीकमगढ़ में नई ट्रेनों, रेल लाइनों और अन्य सुविधाओं की जरूरत है। 

भोपालJan 07, 2017 / 04:29 pm

rishi upadhyay

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भोपाल। रेल बजट भले ही खत्म कर दिया गया लेकिन मध्यप्रदेश की जनता की उम्मीदें बाकी हैं। यहां पर लंबे समय से बड़े प्रोजेक्ट लंबित हैं। कई प्रस्ताव हो चुके हैं, कई सर्वे हो चुके हैं लेकिन जमीन पर पटरियां बिछना दूर की कौड़ी लग रहा है। 1 फरवरी को आम बजट है उससे पहले पत्रिका की पड़ताल। 

बुंदेलखंड को भी चाहिए ‘प्रभु’ का आशीर्वाद
रेलवे के लिहाज से बुन्देलखंड इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। यहां पर ‘प्रभु’ की विशेष कृपा की जरूरत है। बीना को छोड़कर सागर, दमोह, छतरपुर, खजुराहो और टीकमगढ़ में नई ट्रेनों, रेल लाइनों और अन्य सुविधाओं की जरूरत है। 

सागर : ये मांगें आज भी अधूरी
ललितपुर-छिंदवाड़ा वाया सागर, देवरी, गौरझामर, महाराजपुर रेल लाइन का प्रस्ताव 2013 के बजट में रखा गया। सर्वे भी हुआ, अब प्रस्ताव ठंडे बस्ते में हैं, वहीं दमोह कुंडलपुर रेल लाइन का कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ। ललितपुर से जबलपुर वाया सागर, दमोह, सीधी रेल लाइन का प्रस्ताव आया, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। सागर से नागपुर , सागर से दक्षिण भारत से जोडऩे वाली रेल, सागर से पूर्वोत्तर राज्यों से जोडऩे वाली रेल सुविधा नहीं है। सागर स्टेशन पर सिर्फ दो प्लेटफॉर्म, यहां चार की आवश्यकता है। 






दक्षिण के लिए ट्रेन का प्रयास 
सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का कहना है कि नई ट्रेनों के संबंध में प्रस्ताव काफी समय पहले ही भेजे जा चुके हैं। दक्षिण की ओर सागर से सीधे ट्रेन की व्यवस्था हो, इसके भी प्रयास किए जा रहे हैं।


छतरपुर : महानगरों से जुड़े जिला
आजादी के बाद पहली पर टीकमगढ़-छतरपुर-खजुराहो रेल रूट 18 अक्टूबर 2016 को शुरू हुआ। लोगों की मांग है कि मुंबई, इंदौर, भोपाल, दिल्ली, जयपुर, कानपुर आदि के लिए भी ट्रेन चले। 


टीकमगढ़ से भोपाल मिले ट्रेन
18 वर्षों के इंतजार के बाद 26 अप्रैल 2013 को एक पैंसेजर ट्रेन झांसी से टीकमगढ़ शुरू हुई। मांग है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल और देश की राजधानी दिल्ली के लिए सुपरफास्ट या एक्सप्रेस ट्रेन मिले। 


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खजुराहो से मुंबई-भोपाल चले ट्रेन
पर्यटन नगरी खजुराहो में भी छतरपुर-ललितपुर होते हुए भोपाल, इंदौर व मुंबई के लिए ट्रेन चलाने की मांग है। जिससे कि मुंबई, इंदौर आदि स्थानों से भी लोग पर्यटन नगरी खजुराहो आ सकें।

ग्वालियर : फंड की कमी से अटका गेज परिवर्तन
फंड न मिलने से ग्वालियर से श्योपुर तक का गेज परिवर्तन का काम शुरू नहीं हो सका है। उत्तर मध्य रेलवे का निर्माण विभाग पांच सालों से ग्वालियर से श्योपुर व दिकोद तक गेज बदलने की योजना पर काम कर रहा है, लेकिन मामला अभी अधर में है। गेज बदलने से ग्वालियर वाया श्योपुर, कोटा से जुड़ जाएगा। रेलवे बोर्ड के अफसर योजना को लटकाने में लगे हैं। रेलवे बोर्ड ने फिर एनसीआर के इलाहबाद जोनल हेड को एस्टीमेट बनाकर भेजने के लिए पत्र लिखा है। 



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भिण्ड : अभी सिर्फ उम्मीदों का सफर
भिण्ड के लोगों को नए रेल बजट से ढेरों उम्मीदें हैं। अभी गुना -इटावा ट्रैक पर 3 पैसेंजर ट्रेनें ग्वालियर-भिण्ड, कोटा-इटावा, ग्वालियर भिण्ड और इंटरसिटी (भिण्ड-इंदौर) चल रही है। 24 दिसंबर को सेक्शन के दौरे पर आए डीआरएम ने इंटरसिंटी को इटावा तक चलाने के संकेत दिए थे।

ग्वालियर से दिल्ली होते हुए गोंडा-बलरामपुर जाने वाली स्वशासन एक्स., बरौनी एक्सप्रेस, ओखा -गोरखपुर एक्सप्रेस को भिण्ड से होकर चलाने की मांग है। 250 किमी लंबे भिण्ड-कोंच-महोबा ट्रैक पर काम चालू होनी की उम्मीद है। 2016 के बजट में इस ट्रैक के लिए 1600 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत है। 


खरगोन-बड़वानी : छुक-छुक सुनने का इंतजार
खरगोन और बड़वानी क्षेत्र रेलवे की सुविधाओं से आज भी वंचित है। खंडवा-धार वाया खरगोन-बड़वानी ट्रैक योजना को स्वीकृति नहीं मिल पाई। इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन की स्वीकृति से उम्मीद जगी है। दस हजार करोड़ के बजट में तैयार होने वाली करीब 350 किमी रेल लाइन के सर्वे के लिए टेंडर हो चुका है।

खंडवा-बुरहानपुर : एकमुश्त बजट, सुविधाएं मिलें
खंडवा जंक्शन पर सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। लिफ्ट, एस्केलेटर, वेटिंग रूम चाहिए। निमाड़ की प्रमुख मांग गेज परिवर्तन के लिए एकमुश्त राशि मिले। इसके अलावा अजमेर-हैदराबाद साप्ताहिक ट्रेन रोज चले। काचीगुड़ा-अकोला इंटरसिटी खंडवा तक, श्रीगंगानगर एक्स. रोज, नागपुर-भुसावल का नाम खंडवा धाम और सूरत-भुसावल पैसेंजर को खंडवा स्टेशन तक करने की मांग है। बुरहानपुर में नौ ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग की जा रही है। हैदराबाद-अजमेर, ज्ञानगंगा एक्सप्रेस, गोवा एक्सप्रेस, गरीब रथ, एलटीटी गोरखपुर एक्सप्रेस, एलटीटी बनारस एक्सप्रेस शामिल हैं। 

विदिशा : बड़ी ट्रेनें रुकें तो बने काम
पूर्व में ब्यावरा-लटेरी-सिरोंज-बीना, गुना-आरोन-सिरोंज-गंजबासौदा लाइन के प्रस्ताव बने लेकिन जमीन पर नहीं उतरे। 
विदिशा में कर्नाटक एक्सप्रेस और स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस के स्टापेज की मांग, बेंगलुरु सहित दक्षिण भारत के अन्य बड़े शहरों में छात्रों, प्रोफेशनल्स और तीर्थयात्री जाते हैं लेकिन सीधी कोई ट्रेन नहीं। शालीमार-भुज एक्सप्रेस को दैनिक करने, गुलाबगंज स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के स्टापेज, मंडीबामोरा स्टेशन पर झेलम एक्सप्रेस के स्टॉपेज की मांग। 

रायसेन : 25 साल से रेल लाइन की मांग
इंदौर से जबलपुर तक रेल लाइन की घोषणा की गई थी। जो जिले के बरेली, उदयपुरा से निकलेगी। भोपाल से रायसेन, बेगमगंज होते हुए सागर के लिए रेल लाइन की मांग 25 साल से कर रहे हैं। क्षेत्रीय सांसद सुषमा स्वराज ने 4 साल पहले सिलवानी को रेल लाइन से जोडऩे की घोषणा की थी, लेकिन इन सब पर अमल की जरूरत। 

सीहोर : इंदौर-जबलपुर रूट पर काम शुरू हो
जबलपुर से इंदौर के बीच बिछाई जा रही नई रेलवे लाइन से जिले की दो तहसील को रेल सुविधा का लाभ मिलेगा। 367 किलोमीटर लंबे इस नए रेलवे रूट में जिले की बुदनी, नसरुल्लागंज, शाहगंज, बायां, बकतरा सलकनपुर क्षेत्र को जोड़ा जाना हैं। इसके अलावा सीहोर रेलवे स्टेशन से करीब 22 गाड़ी निकलती हैं, जिसमें से करीब 6 गाड़ी के सीहोर में स्टोपेज नहीं है। लंबे समय से गाडिय़ों के स्टोपेज की मांग है।

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