scriptव्यापमं घोटाला: इन मौतों का जिम्मेदार कौन? | Vyapam Scam: Over 42 has died, 200 have been warned to be murdered | Patrika News

व्यापमं घोटाला: इन मौतों का जिम्मेदार कौन?

locationभोपालPublished: Jun 29, 2015 12:43:00 pm

800 जेल में, 400 फरार,
1700 अब तक गिरफ्तार, 200 से ज्यादा संदिग्ध आरोपियों ने बताया खुद की जान का
खतरा

Vyapam scam

Vyapam scam

नई दिल्ली। व्यापमं घोटाले से जुड़े 42 से ज्यादा आरोपियों की मौत हो चुकी हैं। मौतें क्यों हो रही हैं और इन मौतों के पीछे असली वजह क्या है, अभी तक उजागर नहीं हो सका है। पुलिस मामलों को सामान्य मौतें मानकर खत्म करती जा रही है। जबकि खुद एसआईटी (हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच की निगरानी के लिए बनी समिति) इन मौतों पर सवाल खड़े कर चुकी है, लेकिन अब तक एक भी मौत का राज उजागर नहीं हुआ। रसूखदारों और शिक्षा माफिया से जुड़े मध्यप्रदेश के इस सबसे बड़े घोटाले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जितनी भी मौते हुई, वे सब घोटाले से जुड़े सबसे कमजोर कड़ी हैं। मसलन पुलिस की जांच उनसे ही शुरू होकर बड़े और रसूखदारों की गिरेवां तक पहुंचती। इसलिए असमय हुई ये मौतें क्या वाकई एक हादसा हैं या किसी का सुनियोजित षड्यंत्र, यह गहन जांच का मुद्दा है।

200 से ज्यादा संदिग्ध आरोपियों ने खुद की जान का खतरा बताया

व्यापमं घोटाले में दो प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ। पहला प्रवेश परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा और दूसरा भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी। मेडिकल प्रवेश के लिए अपात्र विद्यार्थियों को पास किया गया। इसके लिए परीक्षार्थियों ने कॉपियां ब्लैंक छोड़ी और बाद में गोले काले किए गए। पास होने वाले विद्यार्थियों को पीएमटी के जरिए मेडिकल सीटों पर प्रवेश मिला। वहीं परिवहन व संविदा शिक्षक भर्ती में अपात्रों की नौकरी लगी।

नम्रता डामोर (19 साल )
एमजीएम कालेज इंदौर की छात्रा थी। पिता मेहताब सिंह पंचायत इंस्पेक्टर।
7 जनवरी 2012 को उज्ौन के पास रेलवे पटरी पर लाश मिली।
पुलिस ने कहा, ट्रेन से गिरकर मौत हुई। आत्महत्या का अंदेशा।
परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की।
मेडिकल भर्ती घोटाले के सरगना डॉ. जगदीश सागर के संपर्क में थी।
क्यों करेगी नम्रता आत्महत्या। कहीं ट्रेन से धक्का देकर तो नहीं मारा गया? इन सवालों के जवाब अब भी पुलिस के पास नहीं।

शैलेष यादव (राज्यपाल रामनरेश यादव के पुत्र)
26 मार्च 15 लखनऊ स्थित घर में मृत मिले। कई घंटे मौत की बात छिपाई गई।
पहले कहा, जहर खाने से मौत, फिर बताया ब्रेन हेमरेज है मौत का कारण।
परिजनों ने किसी भी प्रकार की जांच से किया इंकार।
एसटीएफ को तलाश थी, कई बार नोटिस दिए जा चुके थे। राज्यपाल पिता पर भी हो चुका था अपराध दर्ज।
क्या शैलेष ने सुसाइड किया या वे भी किसी ष्ाड़यंत्र का शिकार हुए।

रामेंद्र सिंह भदौरिया (30)
ग्वालियर में अपने घर पर फांसी पर लटका मिला।
गजराजा मेडिकल कालेज में 2007 बैच का छात्र था। उसके साथ अन्य 16 छात्रों के तार व्यापमं फर्जीवाड़े से जुड़े थे।
पुलिस का कहना है कि प्रेम प्रसंग में विफल होने पर उसने आत्महत्या की।
परिजनों का आरोप, व्यापमं से जुड़े लोग उसे धमका रहे थे।
कौन लोग उस पर अपना नाम एसटीएफ को नहीं बताने का दबाव डाल रहे थे। पुलिस ने आज तक उनका पता नहीं लगाया। उसकी मौत से किसके राज से पर्दा उठने से रह गया।

विजय पटेल, रीवा
शाजापुर जिला जेल में फर्मासिस्ट थे।
व्यापमं के तीन मामलों में आरोपी थे। जमानत पर छूटे थे।
30 अप्रैल को कांकेर छत्तसीगढ़ की लाज में लाश मिली।
भोपाल अदालत में पेशी के लिए निकलने वाले थे। वकील से फोन पर बात भी हुई थी।
लगातार फोन पर नाम नहीं बताने के लिए उसे आरोपी धमकी दे रहे थे।
घटना से पहले 16 अप्रैल को भाई से फोन पर कहा था कि वह रायपुर स्टेशन पर भोपाल जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा है। 17 को उसे भोपाल में वकील से मिलना है। वह कांकेर में शिक्षा विभाग में पदस्थ अपनी पत्नी रीना से मिलने गया था।
पुलिस का कहना है, उसने आत्महत्या की। क्यों की इसका कोई जवाब नहीं।

जो मामले की सुनवाई के लिए अदालत जाने की तैयारी कर रहा हो वो भला अचानक आत्महत्या क्यों करेगा। ऎसा क्या हुआ कि भोपाल आने की जगह वह लाज में पहुंचा। उसकी मौत कैसे हुई? इस बीच कौन-कौन से मिला था? किसके फोन आए थे? कौन उसे धमका रहा था, इन तमाम सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले। परिजनों ने जताई हत्या की आशंका।

विकास सिंह बड़वानी, ज्ञान सिंह भिंड और आशुतोष तिवारी ग्वालियर
तीनों पर तीन से लेकर आठ-आठ मामले दर्ज थे। अलग-अलग जगह मौतें।
तीनों की मौत का कारण शराब।
पुलिस का कहना है, अधिक शराब पीने से हुई मौत।
पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में तीनों की मौत की वजह संदिग्ध जहर का होना पाया गया।
लाखों का घोटाला करने वाले ऎसी कौन सी शराब पी रहे थे जो उनकी मौत का कारण बन गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर आया मौत का कारण। किसी ने उन्हें शराब में जहर मिलाकर तो नहीं मारा, इसका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं। उनके बिसरा की जांच क्यों नहीं कराई गई।

एसआईटी ने माना, कुछ तो है गड़बड़
जस्टिस भूषण ने स्वीकारा

व्यापमं मामले से जुड़े लोगों की मौत को एसआईटी ने संज्ञान लिया और एसआईटी के मुखिया जस्टिस चंद्रेश भूष्ाण ने खुद स्वीकार किया कि अब 32 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने हाईकोर्ट को भेजी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में इसका खुलासा भी किया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने एसटीएफ ने इन मौतों की पूरी रिपोर्ट संबंधित थानों से तलब करने को कहा है। एसआईटी ने माना है कि यह मौतें जांच को प्रभावित करने के हिसाब से भी हो सकती हैं। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरोपियों की मौत के पीछे कोई सुनियोजित षड्यंत्र भी हो सकता है।

अब आगे क्या?
एसटीएफ जांच कर रही है। एसआईटी निगरानी। कई बड़े नाम अभी गिरफ्त से बाहर। दिग्विजय सिंह अपनी एक्सल शीट को सही साबित करने के लिए संघष्ाü कर रहे हैं। इससे ही मामला आगे मोड़ लेगा।

ये हैं खुलासे के व्हिसिल ब्लोअर

पारस सकलेचा:
पूर्व विधायक पारस सकलेचा सबसे पहले व्यापमं का मुद्दा विधानसभा के अंदर लेकर गए। डीमेट को लेकर भी विधानसभा में प्रश्न लगाए। एक बार इसे लेकर बहिर्गमन तक किया। हाईकोर्ट गए। एसटीएफ भी पहुंचे। अब तक जंग चल रही है।

डॉ. आनंद राय: इंदौर में व्यापमं घोटाले में सामाजिक कार्यकर्ता राय ने पीएमटी में फर्जी परीक्षार्थी की शिकायत की। सागर को पकड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद फर्जी प्रवेश व भर्ती की जांच शुरू हुई।

प्रशांत पांडे: व्यापमं घोटाले में नितिन महिंद्रा की ओरिजनल एक्सल शीट उजागर करने का दावा पांडे ने किया। दिग्विजय सिंह ने पांडे से लेकर ही एक्सल शीट एसटीएफ व एसआईटी को दी।

आशीष चतुर्वेदी: डीमेट घोटाले में सबसे पहले चतुर्वेदी ने ही ग्वालियर में फर्जी परीक्षार्थी होने की शिकायत की। इस शिकायत के बाद ही पुलिस हरकत में आई। कई मामलों में आशीष्ा फरियादी है।

अजय दुबे: व्यापमं घोटाले में पर्यवेक्षकों की तैनाती में गड़बड़ी को उजागर किया। व्यापमं कार्यालय का फर्जीवाड़ा उजागर किया। व्यापमं अध्यक्षों की भूमिका को भी उजागर किया।

यूं होती थी गड़बड़ी

दलाल के जरिए परीक्षार्थियों के लिए सेटिंग शुरू होती थी। पहले ही पास होना तय हो जाता था।
पूर्व शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा व उनके ओएसडी के जरिए लिस्ट कंट्रोलर को भेजी जाती थी।
परीक्षा कंट्रोलर त्रिवेदी व सिस्टम एनॉलिस्ट महिंद्रा परीक्षा यूं कराते कि अपात्र आसानी से पास हों।
परीक्षार्थी कॉपियां कोरी छोड़ देते थे। बाद त्रिवेदी-महिंद्रा सहयोगियों के जरिए गोले काले कराते थे।
पीएमटी परीक्षा में केंद्र व पर्यवेक्षक इस तरह बनाते थे कि अपात्रों को आसानी हो।

यूं सामने आया काला सच

2013: 07 जुलाई को इंदौर में पीएमटी परीक्षा देते फर्जी छात्र पकड़ाए। इसके बाद जांच में जगदीश सागर पकड़ाया।
2013: अगस्त में जगदीश सागर की गिरफ्तारी के बाद बयानों में हाईप्रोफाइल लोगों के नाम उजागर
2013: सितंबर में व्यापमं के परीक्षा कंट्रोलर पंकज त्रिवेदी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
2014: जुलाई में विधानसभा में व्यापमं मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा। पहली बार मुख्यमंत्री ने रखा पक्ष।
2014: जून में लक्ष्मीकांत शर्मा को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। इसके बाद त्रिवेदी से रूबरू भी कराया।
2015: फरवरी को राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज। राज्यपाल दिल्ली रवाना हो गए थे।
2015: अप्रैल को हाईकोर्ट ने राज्यपाल की गिरफ्तारी पर रोक। राज्यपाल के बेटे की मौत भी इसी दौरान।
2015: फरवरी में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक्सल शीट जारी कर हेरफेर करने का आरोप।
2015: अप्रैल में हाईकोर्ट ने व्यापमं घोटाले में एक्सल शीट मामले में एसटीएफ की रिपोर्ट सही ठहराई।
2015: जून में हाईकोर्ट ने मौतों पर संज्ञान लिया, एसटीएफ को दस्तावेज जुटाने के निर्देश दिए।

एसटीएफ पर उठते सवाल
कांग्रेस: व्यापमं मामले में रसूखदारों को बचाने का आरोप लगाते हुए जांच पर सवाल उठाए। कांगे्रस ने कहा कि आरोपियों का चेहरा देखकर एसटीएफ काम कर रही है। एसटीएफ की कार्रवाई षडयंत्रपूर्वक चल रही है।

भाजपा: पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने आरोप लगाया कि एसटीएफ सही ढंग से जांच नहीं कर रही है। उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखा कि शुरूआत में एसटीएफ ने सहीं जांच की लेकिन बाद में उसकी कार्यश्ौली बदल गई। अब वह पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर रही है।

एसआईटी: एसटीएफ पर एक ही फार्मूले के तहत जांच नहीं करने का लगाया आरोप। कहा, जब एक्सल शीट जांच का मुख्य आधार है, तो फिर जिन लोगों के नाम हैं, सभी के प्रति एक जैसा रूख क्यों नहीं। हाईकोर्ट को समन्वय बनाने के देना पड़े निर्देश।

इन मौतों के राज दफन
14 जून 2010, भोपाल से लगे हुए रायसेन जिले के उमरावगंज थाना क्षेत्र में अज्ञात वाहन की टक्कर से व्यापमं के तीन आरोपियों अनुज उइके मंडला, अंशुल सचान होशंगाबाद और श्यामवीर यादव ग्वालियर की मौत हो गई।
25 अक्टूबर 2012, सागर निवासी आदित्य चौधरी फांसी पर लटका मिला।
21 अप्रैल 2013 को मुरैना निवासी प्रमोद शर्मा भी फांसी पर लटका मिला।
15 जून 2014 को सिंगरौली के रवींद्र प्रताप सिंह की जहर खाने से मौत हो गई।
17 नवंबर 2012, अनंत राय टैगोर मुरैना की कैंसर से मौत।
28 नवंबर 2012, अरविंद शाक्य ग्वालियर, सड़क हादसे में मौत।
12 मई 2013, कुलदीप मरावी की सड़क हादसे में मौत।
17 मई 2013, प्रेमलता पांडे रीवा कैंसर से हुई मौत।
10 अगस्त 2013, तीन मामलों के आरोपी ग्वालियर के अशुतोष्ा तिवारी की शराब पीने से मौत।
15 सितंबर 2013, तरूण मछार रतलाम की सड़क हादसे में मौत।
09 अक्टूबर 2013, आनंद सिंह यादव फतेहपुर, पांच मामलों में आरोपी। सड़क हादसे में संदिग्ध मौत।
26 दिसंबर 2013, देवेंद्र नागर भिंड, 01 फरवरी 2014, दीपक जैन शिवपुरी और 14 फरवरी 2014, दिनेश जाटव मुरैना, की अलग-अलग सड़क हादसे में मौत।
20 अप्रैल 2014, इलाहाबाद के विकास पांडे की ब्रेन हेमरेज से मौत।
30 अप्रैल 2014, महोबा नरेंद्र राजपूत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।
21 जनवरी 2014, बंटी सिकरवार की ग्वालियर में मौत।

गिरोह सदस्य
लक्ष्मीकांत शर्मा, पूर्व शिक्षामंत्री:
शिक्षामंत्री रहते हुए पूरे घोटाले को संरक्षण दिया। पंकज त्रिवेदी को कंट्रोलर बनाया। अभी जेल में हैं।

पंकज त्रिवेदी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक: व्यापमं में परीक्षा कंट्रोलर बनकर भर्ती-प्रवेश घोटाले की पूरी रचना की। अभी जेल में हैं।

विनोद भंडारी, अरविंदो कॉलेज के मालिक: निजी मेडिकल कॉलेज में सीटें बेचने का खेल शुरू किया। व्यापमं घोटाले का रास्ता दिखाने वाला अब जेल में।

सुधीर शर्मा, लक्ष्मीकांत के ओएसडी रहे: व्यापमं घोटाले में फर्जी भर्ती कराई। सत्ता-संघ में ऊंचे रिश्तों का फायदा उठाया। जेल में हैं। खनिज माफिया के नाम से कुख्यात

नितीन महेंद्रा, पूर्व सिस्टम एनालिस्ट: व्यापमं में कम्प्यूटर प्रोग्राम की सारी तकनीकी गड़बडियां की। तकनीकी स्तर पर पूरा खेल किया सबूत मिटाएं। अभी जेल में हैं।

ओपी शुक्ला, पूर्व शिक्षामंत्री का ओएसडी: लक्ष्मीकांत शर्मा का ओएसडी रहते हुए घोटाले को संरक्षित करने व फर्जीवाड़े में लिंक का काम। अभी जेल में।

जगदीश सागर, फर्जी परीक्षार्थी लाने वाला: फर्जी परीक्षार्थियों को परीक्षा दिलाई। पास कराने के ठेके लिए। घोटाले का मास्टरमाइंड अभी जेल में है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो