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अपनों ने ठुकराया, पालनाघर भी नसीब नहीं

locationबीकानेरPublished: Apr 28, 2016 05:21:00 am

बच्चे भगवान का रूप और मां-बाप के कलेजे का टुकड़ा होते हैं, बावजूद इसके कुछ निष्ठुर व निर्दयी परिजन

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बीकानेर।बच्चे भगवान का रूप और मां-बाप के कलेजे का टुकड़ा होते हैं, बावजूद इसके कुछ निष्ठुर व निर्दयी परिजन नवजात बच्चों को लावारिस हालत में झाडिय़ों, नालियों व अन्य स्थानों पर मरने के लिए फेंक कर चले जाते है। क्या गुनाह किया है उस मासूम ने, जिसे मौत से बदतर सजा दी जाती है। जब वे उसे जिन्दा रहने का हक ही नहीं देना चाहते थे, तो फिर पैदा ही क्यों किया था? जब पैदा कर ही दिया तो उसे भी दुनिया देखने का हक देते, इतना भी नहीं कर सकते तो कम से कम पालनाघर तो पहुंचा देते।

चार साल में एक बच्चा पहुंचा पालनाघर

नवजात लावारिस बच्चों को रखने के लिए जिला अस्पताल और बालिका गृह में दो स्थानों पर पालनाघर बने हुए हैं। लेकिन चार साल में जितने भी लावारिस बच्चे मिले है, उसमें से एक ही बच्चा पालनाघर पहुंचाया गया है, बाकी बच्चे तो झाडिय़ों, नालियों के पास व अन्य स्थानों पर मिले हैं। जिनकी किस्मत में जिंदा रहना लिखा तो वो तो किसी ना किसी माध्यम से अस्पताल पहुंचा दिए गए, बाकी मौत की नींद सो गए।


 शिशु गृह के मुताबिक चार साल में अभी तक उनके पास 13 लावारिस बच्चे पहुंचाए गए हैं, जिसमें से एक बच्चा करीब डेढ साल पहले पालनाघर से मिला है, बाकी सभी बच्चे पुलिस व अस्पताल के माध्यम से लाए गए हैं। वर्तमान में एक सवा साल का दिव्यांशु शिशु गृह में रह रहा है। विमंदित होने के कारण उसका इलाज चल रहा है। इसके अलावा हाल ही में सोमवार को पीबीएम के इएनटी अस्पताल के पीछे झाडिय़ों में मिली नवजात बच्ची का नर्सरी में ईलाज चल रहा है। जैसे ही वह स्वस्थ हो जाएगी तो उसे शिशु गृह में पहुंचाया जाएगा।

पालनाघर पहुंचाने पर नहीं बनेगा केस

नवजात बच्चे को लावारिस हालत में झाडिय़ों व नाले के पास फेंकने पर पुलिस अज्ञात के खिलाफ केस बनाकर उसके परिजनों को तलाश करती है।
मगर उसी बच्चे का पालनाघर में छोड़कर जाने पर पुलिस मुकदमा नहीं बनाया जाता और संबंधित परिजन की पहचान भी गुप्त रखी जाती है।

शिशु गृह में दस का स्टाफ

वर्तमान में राजकीय शिशु गृह में 6 आया, एक काउंसलर, एक मैनेजर, एक चिकित्सक, एक ऑनकॉल बेस चिकित्सक है।

फेंके नहीं, पालनाघर में छोड़े

 दो स्थानों पर पालनाघर बनाए हुए है। इसके बावजूद झाडिय़ों व नालियों के पास लावारिस हालत में नवजाज बच्चे मिलते हैं। नवजातों को फेंके नहीं, उनको पालनाघर में छोड़कर जाएं, ताकि उनकी परवरिश हो सकें।कविता स्वामी, अधीक्षक बालिका एवं शिशु गृह बीकानेर

क्या है पालनाघर

शहर में दो पालनाघर बनाए हुए है। एक तो जिला अस्पताल और दूसरा शिशु गृह के मार्ग पर स्थित है। यहां पर बच्चे को छोड़कर जाने के एक मिनिट बाद अलार्म बजता है, जिससे अंदर बैठे अधिकारी व कर्मचारियों को सूचना पहुंच जाती है। वे बच्चे को लाकर सबसे पहले उसकी स्वास्थ्य जांच करवाते है, स्वस्थ नहीं होने पर उसका इलाज करवाते है। बच्चा स्वस्थ है तो उसे शिशु गृह में ‘आयाÓ को सौंप दिया जाता है। वह उसकी देखभाल करती है। दो महीने बाद उसे लीगल फ्री करवाकर आगे की गोदनामा कार्यवाही की जाती है। इसमें कारा, बाल विकास एवं संरक्षण समिति और बाल कल्याण समिति का संयुक्त सहयोग होता है।
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