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जयपुर

दो उपभोक्ताओं को दी अदालत ने राहत

जिला उपभोक्ता मंच झालावाड़ कैम्प कोर्ट ने सोमवार को दो उपभोक्ताओं को
राहत प्रदान की है। एक मामले में बीमा कम्पनी के खिलाफ तो दूसरे में सुधा
अस्पताल के खिलाफ आदेश दिए।

जयपुरNov 09, 2015 / 10:17 pm

shailendra tiwari

जिला उपभोक्ता मंच झालावाड़ कैम्प कोर्ट ने सोमवार को दो उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की है। एक मामले में बीमा कम्पनी के खिलाफ तो दूसरे में सुधा अस्पताल के खिलाफ आदेश दिए।

बापू कॉलोनी कुन्हाड़ी निवासी मीना सोनी ने भारतीय जीवन बीमा निगम की छावनी चौराहा स्थित शाखा के खिलाफ 4 अक्टूबर 2007 को मंच में परिवाद पेश किया।

इसमें कहा कि उनके पति चंद्रमोहन सोनी ने जीवन बीमा किरण पॉलिसी ली थी। तबीयत खराब होने पर 21 मार्च 2006 को उनका निधन हो गया। इसके बावजूद बीमा कम्पनी ने क्लेम निरस्त कर दिया।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंच अध्यक्ष नंदलाल शर्मा व सदस्य महावीर तंवर ने आदेश दिया कि बीमा कम्पनी परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में बीमा राशि एक लाख रुपए, मानसिक संताप के 5 हजार रुपए व परिवाद व्यय के 2 हजार रुपए निर्णय तिथि से दो माह के भीतर अदा करें।

यह की टिप्पणी
आदेश में मंच अध्यक्ष ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सामान्यत: बीमित व्यक्ति अपने व उत्तराधिकारी के भविष्य को सुरक्षित करवाने के लिए बीमा करवाता है। वर्ष 2001 से 2006 तक प्रीमियम भी अदा किया गया।

बीमारी से यदि कमाने वाले बीमित व्यक्ति का निधन हो गया तो इससे उसकी पत्नी व पुत्र के जीवनयापन के लिए बीमा धन तकनीकी आधार पर खारिज किया जाता है तो मृतक के वारिसान के लिए रोजी-रोटी का सवाल आड़े आता है। बीमा की कार्यवाही कल्याणकारी है। बीमा राशि देने से इनकार करना सेवादोष में कमी की श्रेणी में आता है।

दो डॉक्टरों के खिलाफ आदेश पारित
इधर एक अन्य मामले में मंच ने सुधा अस्पताल के दो डॉक्टरों के खिलाफ आदेश पारित किया, जबकि बीमा कम्पनी के खिलाफ खारिज कर दिया।

दीगोद निवासी एडवोकेट सूरजमल वर्मा की पत्नी राजेश ने डॉ. राकेश जिंदल, डॉ. आर.के. अग्रवाल व नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के खिलाफ 11 नवम्बर 2006 को मंच में परिवाद पेश किया था।

इसमें कहा कि सूरजमल वर्मा की तबीयत खराब होने पर उन्हें 30 अगस्त 2006 को सुधा अस्पताल में दिखाया था। जहां उन्हें सामान्य बताते हुए एक दो दिन में ठीक होने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में उन्हें ऑक्सीजन व 12 बोतल रक्त की चढ़ाई।

उन्हें आईसीयू में रखा और बेहोशी की हालत में ही रोजाना 6 से 7 हजार रुपए की दवाइयां मंगवाते रहे। अंत में 6 सितम्बर को उनका निधन हो गया।

मंच की ओर से पारित आदेश में कहा कि विपक्षी एक व दो की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। उन्हें सेवा में कमी का दोषी माना, जबकि बीमा कम्पनी के खिलाफ खारिज कर दिया। आदेश दिया कि दोनों डॉक्टर इलाज में खर्च की राशि 70 हजार रुपए, मानसिक संताप के 25 हजार रुपए व परिवाद व्यय के 5 हजार रुपए दो माह में अदा करें।

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