scriptसीबीआई से संबंधित दो अपीलों में सजा निलंबित सशर्त जमानत मंजूर | bilaspur: CBI in connection with two appeals suspended sentence conditional bail | Patrika News
बिलासपुर

सीबीआई से संबंधित दो अपीलों में सजा निलंबित सशर्त जमानत मंजूर

अंबागढ़ चौकी के देना बैंक शाखा प्रबंधक एमके झा द्वारा डीआईजी भोपाल को लिखित शिकायत की गई थी।

बिलासपुरDec 03, 2016 / 12:18 pm

Kajal Kiran Kashyap

haigh court

haigh court

बिलासपुर. हाईकोर्ट ने विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (सीबीआई द्वारा संस्थित) से संबंधित दो आपराधिक प्रकरणों में सीबीआई रायपुर द्वारा दी गई सजाओं को निलंबित करते हुए आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए। अंबागढ़ चौकी के देना बैंक शाखा प्रबंधक एमके झा द्वारा डीआईजी भोपाल को लिखित शिकायत की गई थी। इसमें अभियुक्तों मदनमोहन द्विवेदी, बाबूलाल माहेश्वरी, शिवदयाल माहेश्वरी एवं शरद गोविंद गोवर्धन द्वारा आपस में षडयंत्र कर 1996 से 2000 के मध्य पासबुक, एफडी एवं आरडी में गड़बड़ी कर बैंंक को 2 करोड़ 96 लाख तथा 19 लाख 99 हजार का नुकसान किया गया।

शिकायतकर्ता की शिकायत पर सीबीआई द्वारा प्रकरण की जांच शुरू की गई तथा सीबीआई न्यायालय रायपुर में दोनों प्रकरणों का चालान प्रस्तुत किया गया। जहां से प्रथम प्रकरण में शरद गोविंद गोवर्धन को बरी कर दिया गया एवं दोनों ही प्रकरणों में देना बैंक के तत्कालीन कर्मचारी मदनमोहन द्विवेदी, बाबूलाल माहेश्वरी एवं शिवदयाल को सजा एवं अर्थदंड दिया गया। आरोपी मदन मोहन द्विवेदी को दोनों ही प्रकरणों में 2 से 5 वर्ष का कारावास एवं 30-30 हजार के जुर्माने से दंडित किया गया। अभियुक्त द्विवेदी द्वारा विशेष न्यायालय रायपुर के उक्त निर्णय के विरुद्ध अधिवक्ता अशोक वर्मा, महेश मिश्रा एवं राजेंद्र साहू के माध्यम से याचिका दाखिल की गई। सजा निलंबन के आवेदन पर निर्णय देते हुए हाईकोर्ट द्वारा अधिवक्ता के इस तर्क पर विचार किया गया कि प्रकरण के दौरान अभियुक्त 10 माह 25 दिन तक न्यायिक हिरासत में रह चुका है एवं उसके द्वारा अर्थदंड की राशि अदा की जा चुकी है, वह प्रथम अपराधी है।

विचारण के समय उसे जमानत पर रिहा किए जाने के बाद भी उसने जमानत का दुरुपयोग नहीं किया था। मामले में अभियुक्त एवं सीबीआई के तर्कोपरांत हाईकोर्ट द्वारा अभियुक्त के न्यायिक अभिरक्षा में रहने की अवधि एवं 5 वर्ष तक साथ-साथ चलने वाली सजा के आधार पर जमानत मंजूर की गई। कोर्ट ने सजा का निष्पादन लंबित रखने का निर्णय देते हुए अभियुक्त को एक लाख की जमानत एवं इतनी ही राशि का मुचलका सीबीआई न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए। साथ ही ये भी कहा गया कि अगर विचारण न्यायालय के समक्ष 22 दिसंबर तक जमानत प्रस्तुत न किया जाए तो हाईकोर्ट की अनुमति के बगैर उसे न छोड़ा जाए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो