गरीबी मानव तस्करी की मुख्य वजह: चीफ जस्टिस
बिलासपुरPublished: Jun 13, 2015 08:03:00 pm
मानव तस्करी पर हाईकोर्ट ऑडिटोरियम में कार्यशाला, कई राज्यों के विशेषज्ञ और अन्य अधिकारी हुए शामिल
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नवीन सिन्हा ने कहा कि गरीबी मानव तस्करी की मुख्य वजह है, रोजगार के अवसर मुहैया कराने से इस समस्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। यह खास तरह का अपराध है, इसे मानवीय नजरिए से दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए। मानव तस्करी पर नियंत्रण के लिए पुलिस को विशेष प्रशिक्षण देने के साथ ही न्यायिक अधिकारियों को अहम भूमिका निभानी होगी।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यूनीसेफ और छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त तत्वावधान में मानव तस्करी की समस्या दूर करने एकजुट प्रयास जरूरी विषय पर हाईकोर्ट ऑडिटोरियम में हुई कार्यशाला में उन्होंने कहा कि मानव तस्करी की प्रवृत्ति दूसरे अपराधों से अलग है, इसका समाधान मानवीय नजरिए से करने का प्रयास जरूरी है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस को विशेष प्रशिक्षण देने की जरूरत है। न्याय पालिका को भी इस समस्या को खत्म करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। न्यायाधीश भी सकारात्मक और सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने जजों से सुरेश विरुद्ध हरियाणा राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय को पढऩे का आग्रह किया।
चीफ जस्टिस ने कार्यशाला के आयोजन के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस टीपी शर्मा और यूनीसेफ की सराहना की। कार्यशाला का उद्घाटन चीफ जस्टिस ने किया। कार्यशाला की रूपरेखा जस्टिस टीपी शर्मा ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने दिया। संचालन दुर्ग जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव राधिका सैनी ने किया। इस मौके पर बिहार हाईकोर्ट के जस्टिस वीएन सिन्हा, ओडिशा हाईकोर्ट के जस्टिस एस पूजाहारी, हाईकोर्ट के जज, न्यायिक अधिकारी, महाधिवक्ता जेके गिल्डा, प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी एसके सामंत रे, प्राधिकरण के सदस्य सचिव रजनीश श्रीवास्तव, उप सचिव ओमप्रकाश जायसवाल सहित न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे।
डीजे के सवाल पर उलझे पुलिस अफसर
कार्यशाला में सीआईडी मुख्यालय के ओएसडी पीएन तिवारी मानव तस्करी की समस्या पर पुलिस विभाग द्वारा पिछले कुछ सालों में किए गए कार्यों और उपलब्धियां गिना रहे थे। उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि पुलिस संसाधनों की कमी होने के बावजूद जशपुर व दूसरे जिलों से दिल्ली से प्रभावित लोगों को वापस लाने में कामयाब रही है, उन्होंने 2014 में 74 लोगों को प्लेसमेंट एजेंसी से छुड़ाकर परिजनों को लौटाने की जानकारी दी। इसी दौरान कार्यशाला में शामिल होने आए जशपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविशंकर शर्मा ने पूछा कि पुलिस पीडि़तों को वापस लाने का दावा तो कर रही है, लेकिन इस अपराध में शामिल कितने लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए हैं? वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तिवारी इस सवाल पर उलझे नजर आए। कार्यशाला का संचालन कर रही न्यायिक अधिकारी ने सवाल-जवाब के लिए बाद में समय निर्धारित होने का हवाला देते हुए बात खत्म की।
मुद्दे से भटक गए श्रम सचिव
प्रदेश के श्रम सचिव डॉ. जितेन कुमार मानव तस्करी की समस्या पर दूसरे राज्यों से सहयोग विषय पर बात रखने के लिए मौजूद थे। मानव तस्करी विषय से शुरुआत करने के बाद श्रम सचिव मुद्दे से भटक गए और मजदूरों के पलायन पर जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से हुए एमओयू की जानकारी देने लगे। डॉ.़ कुमार की पूरी जानकारी और आंकड़े बाल श्रमिक, मजदूरों के पलायन पर ही केंद्रित रहे। वे पलायन करने वाले मजदूरों के पुनर्वास और इस दिशा में किए गए कार्यों और उपलब्धियों की जानकारी देने लगे। श्रम सचिव यहां तक कह गए कि परीक्षाओं में फेल छात्र ज्यादातर दलालों के झांसे में आकर बाहर चले जाते हैं। ग्राम पंचायतों में नाम दर्ज करने के नियम को नहीं मानने की वजह से होने वाली दिक्कतें गिनाई।
बच्चों की तस्करी छत्तीसगढ़ की मुख्य समस्या
चाइल्ड प्रोटेक्शन, यूनीसेफ के चीफ डॉ.जोसिम थेईस ने पत्रिका से खास चर्चा के दौरान कहा कि मानव तस्करी खासकर बच्चों की तस्करी छत्तीसगढ़ की अहम समस्या है। इसकी चुनौतियों से निपटने में प्रदेश का मौजूदा तंत्र समक्ष नहीं है, यहीं वजह है कि इस समस्या का सामना करने के लिए दूसरे विभागों को जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। डॉ.़ थेईस ने कहा कि मानव तस्करी की समस्या को दूर करने में समाज को भी सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी होगी।
अनामिका ने सुनाई आपबीती
जशपुर के कांसाबेल में मानव तस्करी से पीडि़त युवतियों को प्लेसमेंट एजेंसी और तस्करों के चंगुल से छुड़ाने और उनके पुनर्वास के लिए काम रहे एनजीओ जीवन झरना के जरिए दिल्ली से वापस लाई गई अनामिका कुजूर को यूनीसेफ की चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर गार्गी साहा ने कार्यशाला में मौजूद लोगों से रू-ब-रू करवाया। अनामिका ने खुद के मामा द्वारा धोखा देकर दिल्ली ले जाने और वहां जबरन बंधक बनाकर रखने की दास्तां सुनाई। अनामिका अब जीवन झरना के साथ दूसरी युवतियों को जागरूक करने का काम कर रही है।
मंत्री को नहीं मिली फुर्सत
प्रदेश के विधि एवं विधायी मंत्री और वन मंत्री महेश गागडा को विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होना था। प्रदेश की ज्वलंत समस्या होने के बावजूद मंत्री को कार्यशाला में आने की फुर्सत नहीं मिली। जानकारी के अनुसार उन्होंने शुक्रवार की रात फोन पर कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की सूचना दी। वहीं, 10 जिलों के न्यायिक, पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे।