सावन सोमवार: वृद्धेश्वर महादेव को अर्पित होने वाले कुंड का जल नहीं होता कम
रतनपुर में मुखियां के रूप में विराजमान है महादेव
सबसे वृद्ध होने कारण कहते है बूढ़ा महादेव
बिलासपुर. रतनपुर को शिव व शक्ति का नगर माना जाता है। यहां पर कई प्राचीन व एेतिहासिक मंदिर है। उन्हीं में से एक मंदिर में महादेव सबसे वृद्ध रूप में विराजमान है। जिसे वृद्धेश्वर या बूढ़ा महादेव के नाम से जाना जाता है। इन्हें चमत्कारी शिव भी कहा जाता है। क्योंकि यहां के कुंड का जल भक्तों द्वारा महादेव को अर्पित करने के लिए लिया जाता है। इस जल का पानी कभी भी कम नही होता है। सर्दी, गर्मी व बारिश हर समय कुंड में जल एक समान ही रहता है।
वृद्धेश्वर महादेव मंदिर रामटेकरी के नीचे की ओर राजा पृथ्वीदेव द्वितीय द्वारा निर्मित यह मंदिर अत्यंत ही अद्भुत है। यहां विराजित शिवलिंग स्वयंभू है। स्थानीय लोगो में यह बूढ़ा महादेव के नाम से प्रसिद्ध हैं। मंदिर के पुजारी पंडित महेश महाराज ने बताया कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है। एेसा माना जाता है कि सबसे पहले यहीं मंदिर बनाया गया था इसके बाद रतनपुर में अन्य मंदिरों की स्थापना की गई। इसलिए इन्हें मुखिया के तौर मानते है। महादेव के इस स्वरूप का दर्शन व पूजन करने से भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते है।
स्वयं भू है वृद्धेश्वर महादेव
वृद्धेश्वर महादेव के मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है। इसलिए इस मंदिर के प्रति भक्तों की विशेष आस्था है। यहां पर मात्र जल अर्पित करने से ही महादेव प्रसन्न हो जाते है और सुख-समृद्धि प्रदान करते है। यहां पर खास तौर पर रुद्राभिषेक पूजन किया जाता है।
श्रावण मास में भक्तों के आस्था का मुख्य केन्द्र
वृद्धेश्वर महादेव के मंदिर में श्रावण मास में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते है। यहां पर भगवान को जल अर्पित करने के लिए बेलपान से जल लेकर कांवरिए महादेव को अर्पित करने पहुंचते है। श्रावण मास में प्रति सोमवार को यहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है।
सोलह सोमवार व्रत का होता है उद्यापन पूजन
बूढ़ा महादेव के मंदिर में सोमवार व्रत व सोलह सोमवार के व्रत का उद्यापन होता है। यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा अन्य शहरों से भी भक्त व्रत का उद्यापन करने के लिए पहुंचते है।