अब रेलवे यार्डों में पैनल खराब होने पर टे्रनों का संचालन नहीं होगा बाधित
एक अनुमान के अनुसार इस प्रयास से रेलवे को पैनल फेलियर के कारण होने वाले सालाना दस करोड से भी ज्यादा नुकसान को बचाया जा सकेगा
railwey rout riley interlocking system
बिलासपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (बिलासपुर) जोन के सभी यार्डों में नॉन रूट रिले इंटरलॉकिंग पैनल खराब होने पर स्टेशन मास्टर को प्लेटफार्म में आकर हरी झण्डी दिखाकर ट्रेन को रवाना नहीं करना पड़ेगा और न ही इसके कारण अब ट्रेने लेट होंगी। रेलवे ने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए एक पोर्टेबल पैनल तैयार किया है, जिसे बड़ी आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकेगा। इस पैनल के जरिए मेल लाइन से गाडि़यों के आने-जाने की व्यवस्था के लिए मौजूद सिग्लन का उपयोग कर सामान्य रूप से संचालन किया जा सकेगा। यह पोर्टेबल पैनल हर सेक्शन के सिग्नल इस्टेक्टर के स्टोर रूम में रहेगा। इसे जरूरत के अनुसार उपयोग में लिया जा सकेगा। एक अनुमान के अनुसार इस प्रयास से रेलवे को पैनल फेलियर के कारण होने वाले सालाना दस करोड से भी ज्यादा नुकसान को बचाया जा सकेगा।
दरअसल दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के लगभग सभी प्रमुख यार्डों में अब पैनल लगाये जा चुके हैं। इस स्थिति में यदि किसी यार्ड का पैनल फेल हो जाता है तो गाडिय़ों का परिचालन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है एवं यदि ये विफलता लम्बे समय तक चल जाये तो गाडिय़ों को मैन्युअल तरीके से झंडी दिखा कर पायलट करना पड़ता है, जिससे गाडिय़ों की गति कम हो जाती है तथा इसके चलते लगे हुए कई सेक्शन प्रभावित हो जाते हैं। इससे परिचालन में होने वाली देरी से न केवल यात्रियों को असुविधा होती है, बल्कि माल गाडिय़ों की गति में कमी आने से रेलवे के राजस्व तथा उद्योगों का भी नुक़सान होता है। इसी के कारण पश्चिम मध्य रेलवे के इटारसी स्टेशन में पिछले वर्ष पैनल में आग लगने से हुआ नुकसान था। अब तक नए कार्य जैसे कि डब्लिंग, तीसरी लाइन, यार्ड मॉडिफिकेशन आदि के लिए नॉन इंटरलॉकिंग के समय भी गाडिय़ों का परिचालन मैन्युअल तरीक से किया जाता रहा है।
एक ही स्थान से पूरा यार्ड संचालित
भारतीय रेलवे में आधुनिक परिचालन प्रणाली में अब अधिकतर स्टेशनों में पैनल के जरिये गाडिय़ों का परिचालन होता है। स्टेशन मास्टर यार्ड में उपलब्ध लाइनों की उपलब्धता के आधार पर सेक्शन कंट्रोलर से बात कर गाडिय़ों के लिए जगह निर्धारित करते हैं एवं आवागमन नियंत्रित करते हैं। यार्ड में मौजूद सिग्नलों का कण्ट्रोल पैनल के जरिये स्टेशन मास्टर के पास होता है। सिन्गलिंग व्यवस्था के जरिए संरक्षा के साथ सुचारू रूप से परिचालन जारी रहता है। समय के साथ गाडिय़ों के परिचालन के क्षेत्र में भी आधुनिकीकरण हुआ है। पूर्व में लीवर फ्रेम के जरिये यांत्रिक तरीके से गाडिय़ों को चलाया जाता था। अब उसके स्थान पर आधुनिक पैनल लगाए गए हैं। एक ही स्थान पर बैठकर पूरा यार्ड संचालित
लाने-ले जाने में आसानी
पैनल की विफलता तथा नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के समय गाडिय़ों के सामान्य परिचालन के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने एक अभिनव प्रयास किया है। बिलासपुर मुख्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक पोर्टेबल पैनल तैयार किया है, जिसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। एक अत्यंत विश्वसनीय संरक्षा की दृष्टि से सर्वथा उपयुक्त तथा बहुत ही कम लागत में तैयार किए गए इस पोर्टेबल पैनल को किसी भी स्टेशन में कम समय में लगाया जा सकता है। एक बार लगाने के बाद इस नवीन पैनल के जरिये किसी भी यार्ड में मेन लाइन से गाडिय़ों के आगमन प्रस्थान को मौजूद सिग्नलों का उपयोग कर सामान्य रूप से परिचालित किया जा सकेगा। यह पोर्टेबल पैनल हर सेक्शन के सिगनल इंस्पेक्टर के स्टोर में रखा जाएगा । कया जा सकता है।
अब तक 15 पैनेल बनाए गए
एक बेहतरीन इंटरलॉकिंग ड्राइंग इसके तैयार की गयी है, जिसके जरिये बहुत कम जगह में इस पैनल को लगाया जा सकता है। नए कार्यों के लिए किए जाने वाले नॉन-इंटरलॉकिंग के समय में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। हाल ही में रायपुर मंडल में सिलयारी मांढर उरकुरा सेक्शन में हुए नॉन- इंटरलॉकिंग के कार्य तथा बिलासपुर मंडल में हर्री पेंड्रा सेक्शन में हुए कार्यों में इसका उपयोग किया गया, जिसके परिणाम सफल रहा। अब तक ऐसे करीब 15 पैनलों का निर्माण बिलासपुर जोन में किया जा चुका है।
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