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जारी है शिक्षा गुणवत्ता अभियान, हालत नहीं सुधरी

locationबिलासपुरPublished: Jan 17, 2017 10:08:00 pm

Submitted by:

Kajal Kiran Kashyap

अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को स्कूलों में जाकर पहले निरीक्षण के बाद अब तक हुए सुधार का जायजा लेना है

deo office bilaspur

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बिलासपुर. शिक्षा गुणवत्ता के लिए सत्र वर्ष 2016-17 में चलाए जा रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान का दूसरा चरण 27 जनवरी से फिर शुरू हो रहा है। लेकिन पहले चरण में मिली खामियों पर अब तक कुछ नहीं किया गया। स्कूलों की हालत अब भी वही है।


इसके 5 महीने पहले सितंबर माह में सत्र के प्रथम चरण का गुणवत्ता अभियान चलाया गया था, जिसमें जिले की सवा 6 सौ स्कूलों का 3 सौ से अधिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने दौरा कर स्कूलों को अपनी जिम्मेदारी में लेकर उनका शैक्षणिक विकास का बीड़ा उठाया। लेकिन इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की स्थिति जस की तस है। सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यालय द्वारा इस सत्र में प्रशिक्षण व गुणवत्ता आदि कार्यक्रम के लिए ढाई करोड़ रुपए का बजट मांगा गया था, लेकिन जिले को केवल 24 लाख रुपए ही आवंटित किए गए। 

बच्चों की पढ़ाई में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। जिम्मेदारी लेने के बाद अधिकारी व जनप्रतिनिधियों को स्कूलों में कम से कम महीने में एक बार जाकर जायजा लेना था, लेकिन अभियान के बाद शायद ही किसी जिम्मेदार अफसर ने अपनी स्कूलों में दोबारा झांका। यही नतीजा है कि व्यहारिक तौर पर यह अभियान फेल होता दिखाई दे रहा है। फिलहाल इन्हीं अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को 26 जनवरी से 6 फरवरी के बीच चलने वाले दूसरे चरण के अभियान में दोबारा इन्हीं स्कूलों में जाकर शैक्षणिक गुणवत्ता की रिपोर्ट तैयार करनी है। इसके लिए मुख्य सचिव विवेक ढांड ने सभी डीईओ को निर्देश जारी कर दिए हैं। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को स्कूलों में जाकर पहले निरीक्षण के बाद अब तक हुए सुधार का जायजा लेना है।


सवा छह सौ स्कूलों का होना है निरीक्षण : जिले में पहली से लेकर आठवीं तक कुल 2 हजार 449 सरकारी स्कूल हैं। इनमें 1 हजार 680 प्राथमिक और 769 माध्यमिक स्कूल हैं, जिनमें 4 लाख से अधिक बालक-बालिकाएं अध्ययनरत हैं। इन शालाओं में पढऩे वाले बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता को परखकर 625 शालाओं को सी और डी ग्रेड में रखा गया। और उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने का जिम्मा जनप्रतिनिधि व अधिकारियों को सौपा गया। जो बार-बार इन स्कूलों में जाकर न केवल बच्चों को पढ़ाएंगे बल्कि स्कूल के शिक्षक व बच्चों के पालक व ग्रामीणों से संपर्क भी स्थापित करेंगे।
बजट में कटौती : शिक्षा गुणवत्ता के लिए ही सर्व शिक्षा अभियान द्वारा मिडिल और प्राइमरी के शिक्षकों को समय-समय पर प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम कराने को कहा जाता है। इसके साथ ही स्कूल में प्रिंट रिच इन्वायरमेंट, खेल-खेल में पढऩा सहित कई कार्यक्रम का संचालन होता है। 

जिले के सर्व शिक्षा मिशन कार्यालय द्वारा राज्य कार्यालय को वर्ष 2016-17 में ढाई करोड़ रुपए बजट की मांग की थी, लेकिन राज्य कार्यालय से केवल 24 लाख रुपए का ही आवंटन आया। प्रशिक्षण में जहां शिक्षकों को सौ रुपए टीए-डीए मिलता था, उसमें 80 प्रतिशत की कटौती करते हुए सीधे 20 रुपए कर दिया गया। बजट के अभाव में शिक्षकों के कई प्रशिक्षण कार्यक्रम बंद हो गए।

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