नई दिल्ली। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 50 की उम्र में ही लोगों की शारीरिक क्षमता औसतन रूप से ज्यादा घटने लगती है। चिकित्सकीय जांच में यह तथ्य सामने आने से पहले ही जीवन में यह गिरावट आने लगती है, यह और बात है कि हम तब वस्तुस्थिति का सही आकलन नहीं कर पाते हैं।
अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि अपनी शक्ति और मजबूती को बरकरार रखने के लिए 50 की उम्र से पहले ही इसके प्रयास शुरू कर देने चाहिए। लोग अपने तरीके से बाद के जीवन की सक्रियता के लिए अपने को बेहतर तरीके से तैयार कर सकते हैं।
ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के जर्नल ड्यूक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ता मिरीम सी मोरे ने कहा कि सामान्य तौर पर लोगों के फंक्शनल टेस्ट 70 और 80 की उम्र में किए जाते हैं। ऐसा होने की वजह से लोग समस्याओं से निपटने और तैयारी के 40 साल गवां देते हैं। शोधकर्ताओं ने 775 लोगों के एक समूह पर अध्ययन किया। इसमें अलग जातियों और लिंग के लोग थे। इनकी उम्र 30 से 100 साल तक थी।
इसमें सभी सहभागियों ने एक ही तरह के कार्य अपनी शक्ति और धैर्य दिखाने के लिए किए। इसमें कुर्सी से 30 सेकेंड के अंतराल पर चढऩा उतरना, एक पैर पर एक मिनट के लिए खड़ा होना और 6 मिनट टहलना शामिल रहा। इसके साथ उनकी वॉकिंग स्पीड दस गज की दूरी की मापी गई।
इसमें यह बात सामने आई कि पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में कार्यो में बेहतर प्रदर्शन किया। इसी तरह कम उम्र के लोगों ने अधिक उम्र वालों की तुलना में बेहतर किया। लेकिन, इस अध्ययन में यह पाया गया कि 50 की उम्र में शारीरिक कार्य करने की क्षमता घटनी शुरू हो जाती है। इस पर जेंडर और जनसांख्यिकी की विशेषताओं का कोई असर नहीं होता।
पुरुष और महिलाएं, दोनों ही जो अपने जीवन के मध्य भाग में थे वह कुर्सी पर चढऩे और एक पैर पर खड़े होने में गिरने लगे।
अगले समूह के लोगों में भी गिरने का सिलसिला जारी रहा। 60 और 70 साल वाले लोगों में यह अंतर शारीरिक कार्य करने में और साफ दिखाई दिया।
ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन की असिस्टेंट प्रोफेसर कैथरीन एस हाल कहती हैं कि लोग अक्सर बुढ़ापे की गलत व्याख्या करते हैं। वे बूढ़े होने को उम्र बढऩे से जोड़ते हैं। उनके लिए जीवन के बाद के दिनों में क्रियाशील होना कोई मुद्दा नहीं होता। अच्छी बात यह है कि नियमित व्यायाम और ऐसी ही दूसरी बातों का ध्यान रखकर हम ज्यादा समय तक क्रियाशील रह सकते हैं।