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मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज करने से बदल सकती है ब्रेन की रिदम 

129 मरीजों पर स्टडी करके इस शोध के नतीजे निकाले गए हैं।

Jun 28, 2016 / 10:02 pm

विकास गुप्ता

Mobile text messages

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वॉशिंगटन। टेक्स्ट ब्रेन की तरंगों को बदल सकता है। एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। स्टडी में दावा किया गया है कि स्मार्टफोन टेक्स्ट मैसेज में इतनी क्षमता होती है कि वह ब्रेन की तरंगों को बदल सकता है। शोध का कहना है कि लोगों में टेक्स्ट मैसेज के जरिए बातचीत करने की आदत बढ़ रही है। 129 मरीजों पर स्टडी करके इस शोध के नतीजे निकाले गए हैं।

शोधकर्ताओं ने इस बात का एनालिसिस किया कि स्मार्टफोन पर टेक्स्ट के जरिए संचार करने के दौरान हमारा ब्रेन किस तरह काम करता है। यह रिसर्च अमेरिका में मेयो क्लीनिक में की गई। इसमें पाया गया कि यूनिक टेस्टिंग रिदम की आदत मैसेज भेजने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले हर पांच में से एक व्यक्ति में पाई जाती है। इस दौरान शोधकर्ताओं ने मरीजों के मस्तिष्क की तरंगों पर लगातार नजर रखी।

इस रिसर्च को करने के लिए शोधकर्ताओं ने मरीजों से उनकी टेक्स्ट मैसेज करने की आदत, अंगुलियों की चाल, अटेंशन और कॉग्निटिव फंक्शन (संज्ञानात्मक क्रिया) के बारे में पूछा। शोधकर्ताओं ने टेक्स्ट करने के दौरान ब्रेन के लय और उससे पहले के ब्रेन के लय में अतंर पाया। यह सबक मस्तिष्क की सक्रियता की वजह से हुआ। शोधकर्ताओं का कहना है कि आईफोन को यूज करने वाले लोगों में भी यही टेक्स्ट हैबिट पाई गई। शोध में इस बात के कोई बायोलॉजिकल कारण नहीं मिले की लोगों को मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज नहीं करना चाहिए। शोधकर्ता विलियम टोटम का कहना है कि शोध में जो नतीजे निकले हैं उनके आधार पर कहा जा सकता है कि टेक्स्टिंग इंसान के ब्रेन की तरंगों को बदल सकती है।

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