इस रोग में कान की नलिका के बाहरी भाग में संक्रमण होता है। संक्रमण की वजह एस्पर्गिलस व कैंडिडा नामक जीवाणु होते हैं जो नमी में तेजी से फैलते हैं।
वातावरण में मौजूद नमी कान में फंगल इंफेक्शन (ऑटोमाइकोसिस) का कारण बनती है। इस रोग में कान की नलिका के बाहरी भाग में संक्रमण होता है। संक्रमण की वजह एस्पर्गिलस व कैंडिडा नामक जीवाणु होते हैं जो नमी में तेजी से फैलते हैं।
लक्षण : इसमें कान में भारीपन, दर्द व खुजली के साथ रिसाव होने लगता है। कई बार व्यक्तिको कान बंद होने का अहसास भी होता है। स्थिति गंभीर होने पर कान के पर्दे में छेद भी हो सकता है।
इलाज : इस रोग में विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी होता है क्योंकि वे कान की सफाई कर फंगल को बाहर निकालते हैं और जरूरत पडऩे पर एंटीफंगल ईयर ड्रॉप व मलहम का प्रयोग भी करते हैं।
ध्यान रखें : खुजली या कोई तकलीफ होने पर तीली या ईयरबड का प्रयोग न करें। तेल या लहसुन का रस न डालें इससे संक्रमण बढ़ सकता है। जिन्हें कान बहने की समस्या हो वे नहाते समय ध्यान रखें कि कान में पानी न जाए।