नेचुरोपैथी में तीन तरह से होता निदान
Published: May 07, 2015 10:18:00 am
प्याज और अदरक लेकर पेस्ट बना लें, फिर इसे छाती और पीठ पर लेप की तरह लगा लें
अस्थमा होने पर नेचुरोपैथी चिकित्सा में मरीज का तीन तरह से इलाज किया जाता है। जिसके लिए आहार चिकित्सा, शुद्धि क्रिया और नेचुरोपैथिक उपायों का सहारा लिया जाता है।
कफ में मिलेगा आराम
1. सरसों या नीलगिरी का तेल छाती और पीठ पर लगा लें। अब हॉट वाटर बैग की सहायता से तीन-तीन मिनट छाती और पीठ की सिकाई करें।
2. चेस्ट पैक : सूती कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर निचोड़ लें। इसे छाती पर पूरी तरह लपेट लें और ऊपर से शॉल आदि डाल लें।
3. प्याज व अदरक (दोनों 25 ग्राम) लेकर पेस्ट बना लें। इसे छाती व पीठ पर लेप की तरह लगा लें। इसके बाद चेस्ट पैक का प्रयोग करें।
4. 5-7 सफेदे के पत्तों को पानी में उबाल लें व इसकी भाप लें। ये सभी प्रयोग तीन-तीन मिनट के लिए करें।
शुद्धि क्रियाएं
जलनेति और सूत्रनेति से अस्थमा का इलाज होता है जिसे विशेषज्ञ ही करवाते हैं। इसके अलावा कुंजल क्रिया से भी आराम मिलता है लेकिन जिन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या हो, वे इसे प्रयोग न करें।
आहार-चिकित्सा
1. एक चम्मच अदरक के रस को दो चम्मच शहद में मिलाकर नाश्ते के साथ और रात को सोने से पहले लेने से फायदा होता है।
2. 50 ग्राम मुलैठी, 10 ग्राम कालीमिर्च और 50 ग्राम अश्वगंधा के पाउडर को मिलाकर मिश्रण बनाकर रख लें। इसकी एक चम्मच मात्रा को एक गिलास गुनगुने पानी से रात को सोेने से पहले लेने से लाभ होगा। ये उपाय उस स्थिति में फायदेमंद होता है जब कफ काफी ज्यादा हो।
3. पांच से सात तुलसी के पत्ते, मुलैठी, अदरक या सौंठ का छोटा टुकड़ा और एक काली मिर्च को मिलाकर एक गिलास पानी में उबाल लें। आधा होने पर छानकर पी लें। इससे जमा हुआ कफ बाहर आ जाता है।
डॉ. रमाकांत शर्मा, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ